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एक अटैक और दुश्मन खाक, अमेरिका का सबसे शक्तिशाली लेजर वेपन HELIOS; ताकत जानकर हो जाएंगे हैरान

अमेरिका ने अपने शक्तिशाली लेजर वेपन HELIOS की फोटो शेयर की है. इस लेजर सिस्टम से अमेरिकी नौसेना को काफी मदद मिलने वाली है. इसकी मदद से दुश्मन के किसी भी ड्रोन हमले को गिराकर नष्ट करने में मदद मिलेगी. इस कारण ये अमेरिका का सबसे शक्तिशाली लेजर वेपन है.

एक अटैक और दुश्मन खाक, अमेरिका का सबसे शक्तिशाली लेजर वेपन HELIOS; ताकत जानकर हो जाएंगे हैरान
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( Image Source:  Social Media: X )
सार्थक अरोड़ा
Edited By: सार्थक अरोड़ा

Published on: 5 Feb 2025 2:43 PM

अमेरिका ने अपने हाई पावर लेजर की तस्वीरों को साझा किया है. इस लेजर को आप सभी HELIOS लेजर सिस्टम के नाम से जान सकते हैं. इसे यही नाम दिया गया है. अमेरिका ने इस हथियार को इसलिए बनाया है ताकी ड्रोन से होने वाले खतरों से आसानी से निपटा जा सके. गौर करें कि पिछले कुछ महीनों में बड़ी संख्या में ड्रोन हमले देखने को मिले थे. जिन्हें रोकने में अमेरिका विफल रहा. नतीजा इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी थी. अब इस तरह के हमलों से निपटने के लिए अमेरिका ने इस लेजर वेपन को तैयार कर लिया है.

अमेरिकी वॉरशिप्स होंगी मजबूत

HELIOS का मतलब है हाई एनर्जी विद लेजर इंटीग्रेटेड ऑप्टिकल-डैज़लर एंड सर्विलांस. इसके नाम में ही इतनी पावर झलक रही है. जानकारी के अनुसार अमेरिकी नेवी की मदद के लिए इसे तैयार किया गया है. ताकी अमेरिकी वॉरशिप्स को स्ट्रांग किया जा सके, साथ ही जमीनी लक्ष्यों को सुरक्षित करने के लिए इसे तैनात किया गया है. सोशल मीडिया पर इसके अटैक की एक तस्वीर सामने आई हैं. इन तस्वीरों में देखा गया कि हेलिओस वेपन ने ड्रोन को मार गिराया.

क्या है HELIOS की ताकत

इस वेपन की ताकत की अगर बात की जाए तो ड्रोन और मिसाइलों को एक सटीक निशाने पर गिरा सकता है. अब ये अंधेरे में भी दुश्मन पर नजर रख सकता है. इस कारण इसका फायदा रात में भी उठाया जा कता है. इसमें खर्च कम और फायरिंग करने की क्षमता ज्यादा है. इसलिए भी ये नेवी के हथियारों के लिए कारगर साबित हो सकता है. ये वेपन इतना स्ट्रांग है कि 60 किलोवॉट पर भी आसानी से काम कर सकता है. म्मीद है कि यह लेजर वेपन एक दिन यह परिचालन आवश्यकताओं के आधार पर 120 किलोवाट पर विस्फोट करने में सक्षम होगा.

अभी मुश्किलें नहीं हुईं आसान

भले ही अमेरिकी सेना ने इसे तैयार कर लिया हो. लेकिन अभी भी इसे विकसित करने में कई बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है. दरअसल नेवी को पावर सप्लाई संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. क्योंकी हाई पावर लेजरों को चलाने के लिए जहाजों में महत्वपूर्ण वापर सपोर्ट चाहिए होती है. इसलिए ये समस्या भी नेवी के लिए बनी हुई है. इसी के साथ क्लाइमेट चेंज भी एक बड़ी समस्या है. कोहरा, हवा और मौसम में होने वाले बदलाव लेजर के इंपैक्ट पर प्रभाव डाल सकता है. आपको बता दें कि रक्षा विभाग ने उच्च ऊर्जा लेज़रों में प्रतिवर्ष 1 बिलियन डॉलर का निवेश किया है, लेकिन परिणाम धीमे रहे हैं.

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