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बगल में खड़े थे पाक पीएम और शांति सम्मलेन में भारत की तारीफ करने लगे ट्रंप, ऐसा क्या कहा कि पड़ोसी देश को लगी मिर्ची?

मिस्र के शर्म-अल-शेख शांति सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खुलकर प्रशंसा की. ट्रंप ने भारत को “महान देश” और मोदी को “बहुत अच्छे दोस्त” बताया. गाज़ा युद्धविराम समझौते के बाद आयोजित इस सम्मेलन में ट्रंप ने भारत-पाक संबंधों को लेकर आशा जताई कि “दोनों देश अब साथ-साथ अच्छे से रहेंगे.” पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ भी इस दौरान मंच पर मौजूद थे और उन्होंने ट्रंप की शांति पहल की सराहना करते हुए उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए फिर से नामांकित करने की घोषणा की.

बगल में खड़े थे पाक पीएम और शांति सम्मलेन में भारत की तारीफ करने लगे ट्रंप, ऐसा क्या कहा कि पड़ोसी देश को लगी मिर्ची?
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( Image Source:  X/Whitehouse )
नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Published on: 14 Oct 2025 7:43 AM

गाज़ा युद्धविराम समझौते के बाद मिस्र में आयोजित शर्म-अल-शेख शांति सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए उन्हें “बहुत अच्छे दोस्त” बताया. उन्होंने कहा, “भारत एक महान देश है और उसके शीर्ष पर मेरा एक बहुत अच्छा मित्र है, जिसने शानदार काम किया है.” उन्होंने पीएम मोदी की तारीफ की.

सम्मेलन के दौरान ट्रंप पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ के ठीक पास खड़े थे. इसी मंच से उन्होंने कहा, “मुझे विश्वास है कि भारत और पाकिस्तान अब बहुत अच्छे से साथ रहेंगे.” ट्रंप के इस बयान पर शरीफ़ मुस्कुराए, लेकिन पूरे हॉल में हलचल सी मच गई. यह बयान साउथ एशिया की राजनीति और राजनयिक समीकरणों को लेकर नए संकेत देता है.

मोदी-ट्रंप की फोन बातचीत का संदर्भ

ट्रंप की टिप्पणी ऐसे समय में आई जब कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें फोन कर गाज़ा शांति समझौते की सफलता पर बधाई दी थी. मोदी ने X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा था, “अपने मित्र राष्ट्रपति ट्रंप को गाज़ा शांति योजना की सफलता पर बधाई दी. व्यापार वार्ताओं में हुई प्रगति की समीक्षा की और निकट संपर्क बनाए रखने पर सहमति जताई.” यह दोनों नेताओं के बीच एक महीने में दूसरी बातचीत थी.

पाकिस्तान को मिली मंच पर जगह

सम्मेलन में ट्रंप ने अपने संबोधन के दौरान अचानक पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ को मंच पर आमंत्रित किया. उन्होंने कहा, “क्या आप कुछ कहना चाहेंगे? वही कहिए जो आपने मुझसे उस दिन कहा था.” इस पर शरीफ़ ने ट्रंप की शांति प्रयासों की सराहना करते हुए कहा, “यह समकालीन इतिहास के सबसे बड़े दिनों में से एक है. ट्रंप ने जिस तरह से इस क्षेत्र को युद्ध से बाहर निकाला है, वह अद्भुत है.”

शरीफ़ ने फिर की नोबेल शांति पुरस्कार की मांग

शहबाज़ शरीफ़ ने अपने भाषण में कहा कि पाकिस्तान ने पहले भी ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया था, क्योंकि उन्होंने भारत-पाक युद्ध को रोकने में अहम भूमिका निभाई थी. उन्होंने आगे कहा, “हम उन्हें फिर से नामांकित करेंगे, क्योंकि उन्होंने दक्षिण एशिया ही नहीं बल्कि मध्य पूर्व में भी लाखों ज़िंदगियां बचाई हैं.”

गाज़ा युद्धविराम बना नया कूटनीतिक मंच

शर्म-अल-शेख सम्मेलन में ट्रंप ने कहा कि अब मिडिल ईस्ट में युद्ध के बजाय स्थिरता लाने का समय है. उन्होंने कहा, “हमने सैन्य सफलता हासिल की है, अब हमें इसे शांति में बदलना होगा.” इस शांति योजना को लेकर अमेरिका ने मिस्र, कतर, सऊदी अरब और भारत जैसे देशों की भागीदारी सुनिश्चित की थी.

एशिया में शांति या कुछ और!

राजनयिक विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की यह टिप्पणी सिर्फ एक दोस्ताना संकेत नहीं, बल्कि दक्षिण एशिया की नई शक्ति-संतुलन राजनीति का हिस्सा है. मोदी को “फैंटास्टिक जॉब” कहने के साथ ही उन्होंने भारत की भूमिका को अंतरराष्ट्रीय शांति प्रक्रिया में एक निर्णायक किरदार के रूप में पेश किया. जबकि पाकिस्तान के साथ उनका व्यवहार अधिक प्रतीकात्मक रहा.

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