ट्रंप का फिर से क्रेडिट ड्रामा! बोले- हमने रोका भारत-पाक युद्ध, भारत ने दावों की उड़ाई धज्जियां
डोनाल्ड ट्रंप ने दोहराया कि उनकी फोन कॉल ने 10 मई से पहले भारत-पाक युद्ध रोककर दुनिया को परमाणु तबाही से बचाया. उन्होंने कहा कि व्यापार सुरक्षा से जुड़ा है, इसलिए मध्यस्थता की. भारत ने तुरंत पलटवार करते हुए कहा कि संघर्ष विराम ऑपरेशन सिंदूर की सफल हवाई कार्रवाई और सैन्य संपर्क का परिणाम था. विश्लेषक ट्रंप के दावे को घरेलू राजनीति का प्रचार करार देते हैं.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर सामने आकर कहा कि दक्षिण एशिया को परमाणु तबाही से बचाने का श्रेय उन्हीं को जाता है. उन्होंने दोहराया कि 10 मई से पहले के तनावपूर्ण दिनों में व्हाइट हाउस के दफ़्तरों से जो फ़ोन गए, उन्होंने ही भारत और पाकिस्तान को युद्ध से रोका. ट्रंप ने दावा किया कि अगर उनकी टीम ने दख़ल न दिया होता तो पूरा इलाक़ा रेडियो एक्टिव राख बन जाता और इसका असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ता.
ट्रंप ने यह भी जोड़ा कि उनकी मध्यस्थता का असली उद्देश्य दक्षिण एशिया की आर्थिक धुरी को टिकाए रखना था, क्योंकि “हम उन देशों से व्यापार नहीं कर सकते जो लड़ाई के बीच परमाणु बम लहरा रहे हों.” इस कथन के ज़रिये उन्होंने याद दिलाया कि आर्थिक स्थिरता के लिए उनकी विदेश नीति कितनी ‘व्यावहारिक’ थी. आलोचकों का कहना है कि यह बयान भारत-पाक संबंधों की जटिलता को एक व्यापारिक समीकरण तक सीमित कर देता है, जबकि ज़मीनी हक़ीक़त में बसों, गांवों और सीमाओं पर असल संकट सैनिक और नागरिक झेलते हैं.
नई दिल्ली की दो-टूक
भारत सरकार ने तुरंत पलटवार करते हुए साफ़ किया कि संघर्ष विराम किसी बाहरी दबाव का नतीजा नहीं था. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एक इंटरव्यू में कहा कि “जब पाकिस्तानी रडार अंधे हो चुके थे तब ही इस्लामाबाद लाइन पर बात करने को राज़ी हुआ.” उनके अनुसार भारतीय सेनाओं के सीधे संपर्क और स्थानीय कमांडरों की सामरिक समझ ने ही 10 मई को गोलाबारी रोकने की राह बनाई. भारतीय अधिकारियों ने इस तर्क को खारिज कर दिया कि ट्रंप या कोई अन्य तीसरा पक्ष इन निर्णयों के केंद्र में था.
ऑपरेशन सिंदूर से मिली निर्णायक बढ़त
भारतीय वायुसेना ने 7 मई की रात ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा में नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया. इंटेलिजेंस सूत्रों के अनुसार लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के कम से कम एक सौ लड़ाकों को बेअसर कर दिया गया. हमले ने पाकिस्तानी वायु रक्षा के कमांड-एंड-कंट्रोल नेटवर्क को अपंग कर दिया, जिससे सीमा पर भारत को सामरिक बढ़त मिली. सैन्य विश्लेषक मानते हैं कि इस तकनीकी उपलब्धि ने ही इस्लामाबाद को संघर्ष विराम पर सहमत होने के लिए मजबूर किया.
कूटनीतिक प्रदर्शन बनाम ज़मीनी रणनीति
ट्रंप की कथाएं अमेरिका की भीतरी राजनीति में वाहवाही लाती है, पर दक्षिण एशिया में ज़मीनी तथ्य अलग राग सुनाते हैं. भारत-पाक सीमा पर तैनात सैनिक, नियंत्रित वायुक्षेत्र और टूटी संचार लाइनों का प्रबंधन वही करते हैं जिन्होंने वास्तविक जोखिम उठाया. दिल्ली का संदेश साफ़ है कि उसकी सुरक्षा नीति स्वदेशी क्षमता और क्षेत्रीय यथार्थ पर आधारित है, न कि वाशिंगटन की वाहवाही पर. इस प्रकरण ने एक बार फिर दिखा दिया कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर श्रेय की लड़ाई और वास्तविक सुरक्षा रणनीति अक्सर समानांतर, लेकिन अलग-अलग राहों पर चलती हैं.