H-1B वीज़ा में एक बार फिर बदलाव की तैयारी में ट्रंप प्रशासन, सिटिजनशिप टेस्ट भी बदलेगा; भारत पर क्या होगा असर?
ट्रंप प्रशासन अमेरिकी सिटिजनशिप टेस्ट और H-1B वीजा नियमों में बड़े बदलाव की तैयारी कर रहा है. USCIS डायरेक्टर जोसेफ एडलो ने कहा कि H-1B वीजा का मकसद अमेरिकी अर्थव्यवस्था को सप्लीमेंट करना है, न कि रिप्लेस करना. साथ ही, मौजूदा सिटिजनशिप टेस्ट को 'बहुत आसान' बताते हुए इसे कठिन बनाने का संकेत दिया. इन बदलावों से भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स और अमेरिकी सिटिजनशिप के इच्छुक लोगों पर सीधा असर पड़ेगा.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने एक बार फिर H-1B वर्क वीजा और सिटिजनशिप टेस्ट में बड़े बदलाव की तैयारी शुरू कर दी है. यह जानकारी यूनाइटेड स्टेट्स सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विस (USCIS) के नए डायरेक्टर जोसेफ एडलो (Joseph Edlow) ने दी. इन बदलावों को अमेरिका की कानूनी इमिग्रेशन प्रणाली को 'मॉडर्नाइज' करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है.
जोसेफ एडलो ने द न्यूयॉर्क टाइम्स को दिए इंटरव्यू में कहा, "मेरा मानना है कि H-1B वीजा का इस्तेमाल अमेरिकी अर्थव्यवस्था, बिजनेस और वर्कर्स को सप्लीमेंट करने के लिए होना चाहिए, न कि उन्हें रिप्लेस करने के लिए."
H-1B वीजा में बदलाव क्यों महत्वपूर्ण है?
H-1B वर्क वीजा भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स के लिए बेहद अहम माना जाता है. इस वीजा के जरिए लाखों भारतीय हर साल अमेरिका में नौकरी पाने का सपना पूरा करते हैं. ट्रंप प्रशासन पहले भी इन वीजा नियमों को सख्त करने के लिए जाना जाता है. अगर अब नियमों को फिर से बदला जाता है, तो इसका सीधा असर भारतीय इंजीनियर्स, टेक कंपनियों और अमेरिकी बाजार में काम कर रही भारतीय आईटी कंपनियों पर पड़ेगा.
सिटिजनशिप टेस्ट पर फिर सख्ती की तैयारी
जोसेफ एडलो ने इंटरव्यू में यह भी कहा कि मौजूदा अमेरिकी सिटिजनशिप टेस्ट 'बहुत आसान' है और इसे लेकर लोगों को सिर्फ सवाल-जवाब रटने होते हैं. उन्होंने कहा कि यह मौजूदा व्यवस्था कानून की भावना से मेल नहीं खाती. सिटिजनशिप टेस्ट का इतिहास देखें तो 2008 में जॉर्ज बुश प्रशासन ने पहला स्टैंडर्डाइज्ड सिविक्स टेस्ट लागू किया था, जिसमें 100 सवालों में से 10 सवाल पूछे जाते थे और छह सही उत्तर देने होते थे.
ट्रंप प्रशासन के पहले कार्यकाल में यह संख्या बढ़ाकर 128 सवाल कर दी गई और सही उत्तरों की शर्त 12 में से 20 कर दी गई. हालांकि, मार्च 2021 में बाइडेन प्रशासन ने इसे वापस पुराने पैटर्न में बदल दिया. 2024 में प्रस्तावित नया डिजाइन भी भारी विरोध के कारण रद्द कर दिया गया.
अब एक बार फिर ट्रंप टीम इस टेस्ट को कठिन बनाने पर विचार कर रही है, ताकि केवल वही लोग सिटिजनशिप पा सकें जो अमेरिकी इतिहास और कानून को गहराई से समझते हों.
क्यों है यह बदलाव चर्चा में?
ट्रंप प्रशासन का यह कदम इसलिए चर्चा में है क्योंकि इससे अमेरिका की इमिग्रेशन पॉलिसी में बड़ी सख्ती लौट सकती है. USCIS का नया मैसेज यह साफ करता है कि भविष्य में अमेरिकी सिटिजनशिप हासिल करना आसान नहीं होगा. साथ ही, H-1B वीजा पॉलिसी के कड़े होने से भारतीयों के लिए अमेरिका में जॉब पाने का रास्ता मुश्किल हो सकता है.
विशेषज्ञों का मानना है कि ये बदलाव अमेरिकी पॉलिटिक्स में इलेक्शन इश्यू भी बन सकते हैं, क्योंकि ट्रंप का फोकस "अमेरिका फर्स्ट" एजेंडे को मजबूत करने पर है.
अगर ट्रंप प्रशासन की यह योजना लागू होती है, तो भारतीय आईटी इंडस्ट्री और प्रोफेशनल्स को नई चुनौतियों के लिए तैयार रहना होगा. वहीं, अमेरिकी सिटिजनशिप पाने के इच्छुक लोगों को ज्यादा मेहनत और गहराई से तैयारी करनी होगी.