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अलास्का में ट्रंप-पुतिन की बैठक पर दुनिया की नजर! सीजफायर हुआ तो भारत को अमेरिकी टैरिफ से राहत?

अलास्का में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की हाई-स्टेक बैठक दुनिया की नजरों के केंद्र में है. शिखर सम्मेलन का मकसद यूक्रेन संकट का समाधान और शांति स्थापित करना है. बैठक में सीजफायर पर सहमति बनने की स्थिति में भारत को रूस से तेल आयात पर लगाए गए अमेरिकी टैरिफ में राहत मिलने की संभावना है.

अलास्का में ट्रंप-पुतिन की बैठक पर दुनिया की नजर! सीजफायर हुआ तो भारत को अमेरिकी टैरिफ से राहत?
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( Image Source:  Sora_ AI )
सागर द्विवेदी
By: सागर द्विवेदी

Updated on: 16 Aug 2025 6:48 AM IST

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अलास्का में शुक्रवार को होने वाला शिखर सम्मेलन विश्व राजनीति के लिए निर्णायक साबित हो सकता है. यह मुलाकात यूक्रेन संकट के समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है, लेकिन दोनों नेताओं के अलग-अलग रुख और रणनीतियों ने इसे हाई-रिस्क समिट बना दिया है.

ट्रंप ने इस बैठक को रूस और यूक्रेन के बीच शांति की दिशा में एक कदम बताया, साथ ही संकेत दिया कि इसमें क्षेत्रीय लेन-देन (territorial swap) भी शामिल हो सकता है. हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर पुतिन किसी समझौते पर तैयार नहीं हुए, तो बैठक कुछ मिनटों में ही खत्म हो सकती है.

अलास्का में लैंडिंग और बैठक का प्रारंभ

ट्रंप सुबह 10:30 बजे अलास्का पहुंचेंगे, जबकि पुतिन का आगमन 11 बजे तय है. रिपोर्ट्स के अनुसार ट्रंप विमान के स्टेप्स पर पुतिन का स्वागत करेंगे. रूसी राजदूत अलेक्जेंडर डार्चिएव ने कहा कि मॉस्को को इस समिट से “अत्यधिक उम्मीदें नहीं हैं” और वे निरंतर और धीरे-धीरे प्रगति की अपेक्षा कर रहे हैं. बैठक स्थल पर संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए तैयार किया गया बैकड्रॉप “Pursuing Peace” यानी शांति की ओर बढ़ना लिखा हुआ है, जो दोनों नेताओं की साझा इच्छा को दर्शाता है.

यूक्रेन की चिंता और ज़ेलेंस्की की अनुपस्थिति

यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की को इस शिखर सम्मेलन में आमंत्रित नहीं किया गया है. इससे कीव में चिंता पैदा हो गई है कि बैठक के अंत तक ट्रंप की नीति रूस के पक्ष में झुक सकती है. बीबीसी के अनुसार, यूक्रेन के शहरों पर मिसाइल हमले और रूस की कठोर रुख ने ट्रंप को भी खफा किया है.

भारत पर अमेरिकी टैरिफ और आर्थिक दबाव

अलास्का समिट के बीच, ट्रंप ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की. इसमें 25 प्रतिशत टैरिफ का कारण भारत द्वारा रूस से तेल आयात करना बताया गया. अमेरिका का तर्क है कि रूस को इस तेल के जरिए मिलने वाले पैसे से यूक्रेन युद्ध को बढ़ावा मिल रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि इससे भारत के निर्यात और घरेलू उत्पादन पर भी असर पड़ेगा.

भारतीय अधिकारियों ने अलास्का में बैठक पर नजरें टिकाई हुई हैं. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, भारत और अमेरिका के बीच रक्षा संबंध पूरी तरह से ट्रैक पर हैं. अमेरिकी डेलीगेशन इस महीने भारत आने वाला है. ट्रंप ने गुरुवार को दावा किया कि टैरिफ के बाद भारत ने रूस से तेल आयात कम कर दिया है, जिससे रूस पर दबाव पड़ा और वह अमेरिका से बातचीत के लिए तैयार हुआ.

दुनिया की नजरें शिखर सम्मेलन पर

पूरी दुनिया की नजरें अब इस बैठक पर टिकी हैं. उत्तर यूरोपीय नेताओं के लिए भी इसके निहितार्थ गंभीर हैं. अगर रूस को यूक्रेन के कुछ हिस्सों पर कब्जा करने की अनुमति मिलती है, तो यह पोलैंड, एस्टोनिया, लिथुआनिया और लातविया जैसे नाटो देशों के प्रति रूस के रुख को और आक्रामक बना सकता है.

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