रूस के साथ सीज फायर चाहते हैं जेलेंस्की, यूक्रेनी राष्ट्रपति की वो 5 गलतियां जो उनपर ही पड़ रही भारी
Russia-Ukraine war: जेलेंस्की ने कहा है कि रूस से यूक्रेनी क्षेत्र वापस लिये बिना भी युद्ध समाप्त किया जा सकता है. इस तरह जेलेंस्की अब रूस से युद्ध खत्म करने की बात कर रहे हैं, जो शुरुआती दौर में डटे रहने की बात करते थे.

Russia-Ukraine war: रूस-यूक्रेन युद्ध को करीब ढाई साल से अधिक का समय हो गया है. यूक्रेन को इस पूरे युद्ध में भारी नुकसान झेलना पड़ा है. राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की की सत्ता महत्वाकांक्षा और अमेरिका के बहकावे में आना अब भारी पड़ता दिख रहा है. हालात ये है कि अमेरिका की बदलती राजनीति और रूस के आक्रामक रूप ने जेलेंस्की को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया है. यही कारण है कि जेलेंस्की रूस के साथ सीज फायर करने को तैयार हो गए हैं. जेलेंस्की की गलती की वजह से यूक्रेन सेना से लगभग 1 लाख जवान सेना छोड़कर भाग चुके हैं.
आइए यहां हम जेलेंस्की की उन पांच गलतियों को देखते हैं, जो अब उनपर ही भारी पड़ा है.
1. पश्चिमी देशों और अमेरिका के बहकावे में आना
अमेरिका अपनी अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए दूसरे देशों की इकोनॉमी पर दबाव बनाने की रणनीति पर चलता है. ऐसे में युक्रेन के साथ भी अमेरिका अपना फायदा ढूंढता दिखा. मदद के नाम पर अमेरिका ने युक्रेन को खूब आर्म्स सप्लाई किया, जिसे मदद और दोस्ती समझना ही जेलेंस्की की सबसे बड़ी भूल थी.
2. अनुभव की कमी और विपक्ष को अनसुना करना
कॉमेडियन से राष्ट्रपति बने जेलेंस्की के पास राजनीतिक अनुभव की कमी थी, जिसे उन्होंने भारी उत्साह में रखा. अपनी राजनीतिक अनुभव की कमी के बाद भी उन्होंने कभी भी अपने विपक्ष में बैठे लोगों का नहीं सुना और युक्रेन की बर्बादी की कहानी लिखते रहे. हालांकि, उस समय युक्रेन की जनता राष्ट्र प्रेम की भावना में उनकी तारीफ कर रही थी, लेकिन जेलेंस्की से 'दूरदर्शी की समझ' कहीं दूर थी.
3. रूस में सेना भेजना
जेलेंस्की बहकावे में हमेशा अतिउत्साही दिखें और फैसले लेते रहें. उन्होंने अमेरिकी हथियार के उपयोग के लिए यूएस से मिले छूट के बाद यूक्रेनी बल को रूस के अंदर 30 किमी तक भेजना उनकी भारी गलती साबित हुई. द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद रूस की जमीन पर यह सबसे बड़ा हमला रहा, जिसे लेकर अब रूस की जवाबी कार्रवाई से थर्राया यूक्रेन भी जेलेंस्की की गलती का नतीजा है.
4. यूक्रेन की अर्थव्यवस्था पर ध्यान नहीं देना
युद्ध के दौरान जहां रूस लगातार अपनी अर्थव्यवस्था पर ध्यान देता रहा, वहीं यूक्रेन ने नजर अंदाज किया. ये भी जेलेंस्की में अनुभव की कमी को दर्शाता है. लाख प्रतिबंध के बाद भी रूस ने इकोनोमी को संभाले रखा. यूक्रेन को हर मोर्चे पर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. 2014 से 2020 के दौरान यूक्रेन को इन्वेस्टमेंट के मोर्चे पर 72 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है. महज 6 साल में यूक्रेन की जीडीपी का साइज आधे से भी कम रह गया है.
5. युद्ध कर अपनी ही जमीन से धोना पड़ा हाथ
इंस्टीट्यूट फॉर द स्टडी ऑफ वॉर के रिपोर्ट के मुताबिक, यूक्रेनी सेना ने रूस के कुर्स्क में अपने आक्रमण के पहले महीने में 1,171 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर भी कब्ज़ा कर लिया था, लेकिन रूसी सेना ने अब उसमें से लगभग आधे क्षेत्र पर फिर से कब्ज़ा कर लिया है. यु्द्ध से यूक्रेन का कमर इतना टूट चुका है कि अब वह शांति के लिए अपनी ही जमीन छोड़ने के लिए तैयार है.