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12 घंटे में भाग जाओ, नहीं तो मर जाओ... मोसाद की खौफनाक कॉल से हिला ईरान का आर्मी सिस्टम, Audio Viral

ऑपरेशन राइजिंग लायन से पहले इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद ने ईरान के शीर्ष IRGC जनरलों को फोन कर दी जान से मारने की धमकी. वॉशिंगटन पोस्ट को मिले ऑडियो में एजेंट कहता है, “हम तुम्हारी गर्दन की नस से भी करीब हैं.” धमकियों का उद्देश्य ईरानी कमांड स्ट्रक्चर को तोड़ना और डर फैलाना बताया गया.

12 घंटे में भाग जाओ, नहीं तो मर जाओ... मोसाद की खौफनाक कॉल से हिला ईरान का आर्मी सिस्टम, Audio Viral
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नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Updated on: 24 Jun 2025 2:14 PM IST

13 जून को इजरायल के 'ऑपरेशन राइजिंग लायन' की शुरुआत के तुरंत बाद, ईरान के शीर्ष सैन्य अधिकारियों को एक के बाद एक खौफनाक फोन कॉल्स मिलने लगे. वॉशिंगटन पोस्ट द्वारा लीक एक ऑडियो के मुताबिक, इन कॉल्स में एक इजरायली एजेंट, संभवतः मोसाद का, ईरानी इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के एक जनरल से कहता है, “आप हमारे निशाने पर हैं. आपके पास 12 घंटे हैं, भाग जाओ.”

वॉशिंगटन पोस्ट के सूत्रों के अनुसार, ये कॉल्स केवल चेतावनी नहीं थीं, बल्कि एक बड़े गुप्त अभियान का हिस्सा थीं. इनका मकसद ईरानी शासन को मानसिक रूप से तोड़ना और IRGC की कड़ी में भय और भ्रम फैलाना था. कॉल्स में बोलने वाले एजेंट की भाषा सीधी और घातक थी. ऑडियो में वो कह रहा है कि, “हम तुम्हें, तुम्हारे परिवार और बच्चों को भी मिटा देंगे.”

मोसाद ने कहा- हम गर्दन की नस से भी पास हैं

रिकॉर्डेड कॉल में एक वाक्य विशेष रूप से डरावना था, “हम तुम्हारी गर्दन की नस से भी ज़्यादा पास हैं.” फोन पर मौजूद ईरानी जनरल जब घबराए हुए पूछता है कि “अब मुझे क्या करना चाहिए?”, तो एजेंट एक ही जवाब देता है. “शासन की निंदा करते हुए एक वीडियो रिकॉर्ड करो और 12 घंटे के भीतर टेलीग्राम पर भेजो.” यह स्पष्ट था कि यह सिर्फ धमकी नहीं, एक मनोवैज्ञानिक जाल था.

इजरायली एजेंट का दावा: कई जनरल मारे गए

उसी ऑडियो में इजरायली एजेंट दावा करता है कि, “हमने दो घंटे पहले IRGC के दो बड़े जनरल होसैन सलामी और मोहम्मद बाघेरी और वाइस एडमिरल अली शमखानी की हत्या कर दी है.” हालांकि बाद में ईरानी मीडिया ने शमखानी के जिंदा बचने की पुष्टि की. लेकिन कॉल का मकसद स्पष्ट था खौफ और भ्रम पैदा करना.

किस हद तक कामयाब हुई धमकी?

अब तक यह साफ नहीं है कि फोन कॉल के बाद ईरानी जनरल ने वाकई मोसाद की मांग मानी या नहीं. लेकिन यह अभियान, जिसमें दर्जनों अधिकारियों को लक्ष्य बनाकर व्यक्तिगत कॉल्स की गईं, इजरायल की रणनीतिक गहराई और साइकोलॉजिकल वॉरफेयर में उसकी पकड़ को उजागर करता है. इसका लक्ष्य था अयातुल्ला खामेनेई के चारों ओर खड़े कमांडरों की लाइन तोड़ना.

इजरायल की चुप्पी, ईरान की बेचैनी

इस पूरे मामले पर अभी तक इजरायली सरकार या मोसाद की कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है. लेकिन वॉशिंगटन पोस्ट द्वारा प्रकाशित ऑडियो और विवरण से ईरानी सैन्य प्रतिष्ठान में मचे तनाव का अंदाज़ा लगाया जा सकता है. इस ‘फोन टेरर ऑपरेशन’ को इजरायल की नई गुप्त रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है, जो गोलियों से नहीं, मनोबल तोड़कर दुश्मन को हराने की दिशा में है.

ईरान इजरायल युद्ध
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