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पाकिस्‍तान को गाजा बताकर क्‍या साबित करना चाह रहे शहबाज शरीफ? कहा - सिंधु जल समझौता...

पाक पीएम शहबाज़ शरीफ ने भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित करने पर कड़ा हमला बोला है और इसे गाजा संकट से जोड़ा है. उन्होंने आरोप लगाया कि भारत पानी को हथियार बना रहा है और इससे लाखों पाकिस्तानी प्रभावित हो सकते हैं. भारत ने यह फैसला पहलगाम आतंकी हमले के बाद लिया था, जिसमें पाकिस्तान पर आतंक का समर्थन करने का आरोप है. यह विवाद अब भारत-पाक रिश्तों में एक नया तनावपूर्ण मोर्चा बन गया है.

पाकिस्‍तान को गाजा बताकर क्‍या साबित करना चाह रहे शहबाज शरीफ? कहा - सिंधु जल समझौता...
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Shehbaz Sharif on Indus Waters Treaty dispute: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने भारत द्वारा सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) को निलंबित करने के निर्णय की कड़ी आलोचना की है. उन्होंने इसे 'पानी का हथियारकरण' करार देते हुए कहा कि भारत का यह कदम लाखों पाकिस्तानी नागरिकों के जीवन को खतरे में डालता है. शरीफ़ ने इस मुद्दे को गाजा संकट से जोड़ते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हस्तक्षेप की अपील की है.

भारत ने 23 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद संधि को निलंबित कर दिया था, जिसमें 26 लोगों की मौत हुई थी. भारत का आरोप है कि इस हमले में पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों का हाथ है. इसके जवाब में, भारत ने सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों पर जल परियोजनाओं की योजना और क्रियान्वयन को तेज करने का आदेश दिया है.

'पानी का हथियारों की तरह इस्तेमाल कर रहा भारत'

शरीफ़ ने ताजिकिस्तान में आयोजित ग्लेशियर संरक्षण सम्मेलन में कहा कि दुनिया आज गाजा में पारंपरिक हथियारों के इस्तेमाल के ताजा निशान झेल रही है, जिसने गहरे जख्म छोड़े हैं. अब एक नया खतरनाक और नया निम्न स्तर देख रहे हैं- पानी का हथियारों की तरह इस्तेमाल करना... पाकिस्तानी पीएम ने सिंधु जल संधि को स्थगित करने को लेकर कहा कि भारत का यह एकतरफा और अवैध निर्णय 'रेड लाइन' को पार करता है और पाकिस्तान इसे स्वीकार नहीं करेगा. उन्होंने कहा कि भारत की यह कार्रवाई संधि की भावना के खिलाफ है और यह क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा है.

भारत ने दिया स्पष्ट संदेश

भारत ने स्पष्ट किया है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ ठोस और अपरिवर्तनीय कदम नहीं उठाता, तब तक संधि को निलंबित रखा जाएगा. भारतीय अधिकारियों का मानना है कि संधि में भारत के हितों की अनदेखी की गई है, और यह पाकिस्तान को अनुचित लाभ देता है.

यह विवाद भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव का संकेत है, जिसमें जल संसाधनों का उपयोग एक नया मोर्चा बनता जा रहा है. दोनों देशों के बीच इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी बहस तेज हो गई है.

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