पाकिस्तान के बिगड़े हालात, Microsoft ने समेटा कामकाज, दफ्तर बंद करने के लिए मजबूर क्यों हुई कंपनी?
दुनिया की चर्चित टेक कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने 25 वर्षों के बाद 4 जुलाई को पाकिस्तान में अपना कार्यालय बंद कर दिया. कंपनी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि वैश्विक पुनर्गठन और क्लाउड-आधारित साझेदार-नेतृत्व वाले मॉडल अपनाने के बाद बदलाव की वजह से यह निर्णय लेना पड़ा. इसे पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है.

टेक क्षेत्र की दिग्गज कंपनी (माइक्रोसॉफ्ट) ने पाकिस्तान में अपने दफ्तर को बंद करने का फैसला लिया. इसे पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. माइक्रोसॉफ्ट की इस फैसले का असर पहले आर्थिक संकट में फंसे पाकिस्तान के लिए और ज्यादा नुकसानदेह साबित होगा. इस फैसले को लेकर माइक्रोसॉफ्ट की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि मैनपावर की नई नीति पर अमल करने को लेकर वैश्विक रणनीति के तहत कंपनी से यह फैसला लिया है.
माइक्रोसॉफ्ट का यह कदम 2023 के बाद से सबसे बड़ा छंटनी अभियान है. कंपनी ने कर्मचारियों की छंटनी की रणनीति के तहत दुनिया भर में लगभग 9,100 कर्मचारियों की कटौती की है. माइक्रोसॉफ्ट पाकिस्तान के पूर्व संस्थापक कंट्री मैनेजर जवाद रहमान ने सरकार और आईटी मंत्री से एक साहसिक योजना के साथ टेक दिग्गजों से जुड़ने की अपील की है.
माइक्रोसॉफ्ट की इस फैसले के पीछे पाकिस्तान की बिगड़ती आर्थिक स्थिति, अनिश्चित नीतिगत माहौल, और कम होते विदेशी निवेश को देखते हुए लिया है.
दफ्तर बंद करने के पीछे ये है वजह
पाकिस्तान इस समय गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है. डॉलर में कमी, महंगाई में जबरदस्त बढ़ोतरी और राजनीतिक अस्थिरता ने वहां के बिजनेस माहौल बहुत कमजोर कर दिया है. माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी कंपनियों के लिए यह माहौल जोखिम भरा है. सरकार की ओर से आईटी सेक्टर को समर्थन देने की कमी और रेगुलेटरी बाधाएं भी कंपनियों के लिए समस्याएं खड़ी कर रही हैं.
डिजिटल मोड में जारी रहेंगी सेवाएं
सूत्रों के मुताबिक माइक्रोसॉफ्ट ने केवल अपने स्थानीय ऑफिस को बंद किया है, लेकिन अपने प्रोडक्ट्स और सेवाएं पाकिस्तान में डिजिटल रूप से उपलब्ध कराता रहेगा. यह कदम उन कई विदेशी कंपनियों के बीच एक उदाहरण बन गया है जो पाकिस्तान में अपने भविष्य को लेकर दुविधा में हैं.
इन कंपनियों ने भी कारोबार बंद करने का लिया था फैसला
इससे पहले भी कई अन्य मल्टीनेशनल कंपनियां जैसे कि यूनिलीवर, शेल और सुजुकी ने पाकिस्तान में अपने काम को सीमित करने या पूरी तरह बंद करने का फैसला लिया था. यह ट्रेंड पाकिस्तान के लिए एक चिंताजनक संकेत है, क्योंकि इससे देश की विदेशी निवेश पाने की क्षमता पर असर पड़ता है.
माइक्रोसॉफ्ट का यह कदम न पाकिस्तान के खराब आर्थिक हालात का प्रतीक है. यह भी बताता है कि यदि स्थिरता और व्यापारिक समर्थन नहीं मिलेगा, तो बाकी कंपनियां भी यही रास्ता अपना सकती हैं.