मुंबई से लेकर पहलगाम तक, खेली खून की होली... आखिर पाकिस्तान में कितनी गहरी हैं लश्कर-ए-तैयबा की जड़ें?
पहलगामी की बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान चली गई. इस हमले की पीछे लश्कर-ए-तैयबा के छद्म संगठन TRF का हाथ है. लश्कर-ए-तैयबा पाकिस्तान में सिर्फ एक आतंकी संगठन नहीं, बल्कि एक राजनीतिक-धार्मिक नेटवर्क है, जिसे वहां की सत्ता से अप्रत्यक्ष संरक्षण मिला हुआ है. जब तक पाकिस्तान LeT जैसी ताकतों के खिलाफ ईमानदारी से कार्रवाई नहीं करता, तब तक दक्षिण एशिया में शांति मुश्किल है. आइए, इसके बारे में विस्तार से जानते हैं...

Lashkar-e-Taiba in Pakistan: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम स्थित बैसरन घाटी में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की हत्या कर दी गई, जिसमें 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक शामिल थे. इस हमले की जिम्मेदारी 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' (TRF) ने ली है, जिसे भारतीय सुरक्षा एजेंसियां पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का मुखौटा संगठन मानती हैं.
पुलवामा के बाद यह सबसे घातक हमला है. इस हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ अपने राजनयिक और लॉजिस्टिक संबंधों को घटा दिया है, जिसमें सिंधु जल संधि को निलंबित करना, मुख्य सीमा पार बंद करना और पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीजा छूट योजना को रद्द करना शामिल है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमले की कड़ी निंदा की और दोषियों को सजा दिलाने का संकल्प लिया.
लश्कर-ए-तैयबा की कब हुई स्थापना?
- लश्कर-ए-तैयबा (LeT) की स्थापना 1985-86 में हाफिज सईद, जफर इकबाल और अब्दुल्ला अज़्ज़ाम ने की थी.
- इसका मुख्यालय पाकिस्तान के मुरिदके में स्थित है.
- यह परिसर 'जमात-उद-दावा' (JuD) के नाम पर पंजीकृत है, जो LeT का ही सार्वजनिक चेहरा है.
- मुरिदके का मुख्यालय मदरसे, हॉस्पिटल, प्रेस और आतंकियों की ट्रेनिंग फैसिलिटीज से लैस है.
- LeT का घोषित उद्देश्य जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग कर पाकिस्तान में मिलाना है.
- यह संगठन सलाफी जिहादी विचारधारा का पालन करता है और भारत, अमेरिका और इज़राइल को इस्लाम के 'मुख्य दुश्मन' मानता है. .
TRF: लश्कर का नया चेहरा
TRF की स्थापना 2019 में हुई, जब पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ा कि वह कश्मीर में आतंकवाद का समर्थन बंद करे. भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, TRF वास्तव में LeT का ही एक नया रूप है, जिसे कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए बनाया गया है. TRF ने हाल के वर्षों में कई आतंकी हमलों की जिम्मेदारी ली है, जिनमें सुरक्षा बलों और नागरिकों की हत्याएं शामिल हैं.
ISI की भूमिका संदेह के घेरे में
LeT और TRF के पाकिस्तान स्थित प्रशिक्षण शिविरों और संसाधनों के संचालन में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI की भूमिका पर लंबे समय से संदेह है. हालांकि पाकिस्तान सरकार इन आरोपों से इनकार करती है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुदाय, विशेष रूप से अमेरिका और भारत, इन संगठनों को पाकिस्तान की आतंकवाद नीति का हिस्सा मानते हैं.
LeT : एक नजर में
- LeT खुद को एक धार्मिक और सामाजिक सेवा संगठन के रूप में पेश करता है, जिससे इसे पाकिस्तान में कुछ हद तक 'वैधता' मिलती है. इसकी फंडिंग का बड़ा हिस्सा चैरिटी, धार्मिक चंदा, और कभी-कभी ISI (Inter-Services Intelligence) जैसे संगठनों से मिलता है.
- LeT की चैरिटी शाखा जमात-उद-दावा पर भी संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका द्वारा बैन लगाया जा चुका है.
- भारत, अमेरिका, यूरोपीय संघ, यूएन आदि ने LeT को आतंकी संगठन घोषित किया हुआ है. पाकिस्तान ने कई बार अंतरराष्ट्रीय दबाव में हाफिज सईद जैसे नेताओं को नजरबंद तो किया है, लेकिन असली कार्रवाई कम ही हुई. कभी-कभी पाकिस्तान दिखावटी कार्रवाई करता है, लेकिन LeT की जड़ें अभी भी मजबूत बनी हुई हैं.
- LeT फिलहाल सीधे हमले कम कर रहा है, लेकिन TRF (The Resistance Front) जैसे छद्म संगठनों के ज़रिए कश्मीर में गतिविधियां जारी रखता है.
- पाकिस्तान के अंदर LeT अब भी प्रचार, भर्ती और ट्रेनिंग के काम में लगा है. यह संगठन अफगानिस्तान और पश्चिमी एशिया तक कट्टरपंथ फैलाने में सक्रिय भूमिका निभा रहा.
- हाफिज सईद को 2008 के मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड माना जाता है, लेकिन पाकिस्तान में उसे सामाजिक और धार्मिक नेता के रूप में भी देखा जाता है.
- अब्दुल रहमान मक्की, जो LeT का दूसरे प्रमुख TRF सिर्फ नाम है... असली बॉस तो लश्कर है! पाकिस्तान में LeT की जड़ें कितनी गहरी हैं, इसका क्या मकसद और हाफिज सईद पर क्यों नहीं होती कार्रवाई? जानिए अंदर की बातनेता था, का 2024 में निधन हो गया.
- पाकिस्तान की सेना और खुफिया एजेंसी ISI पर LeT को समर्थन देने के आरोप हैं. पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने स्वीकार किया था कि पाकिस्तान ने 1990 के दशक में LeT जैसे संगठनों को कश्मीर में आतंकवाद फैलाने के लिए समर्थन और प्रशिक्षण दिया था .
लश्कर-ए-तैयबा और TRF जैसे संगठनों की गतिविधियां भारत की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हैं. इन संगठनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और अंतरराष्ट्रीय सहयोग आवश्यक है ताकि भविष्य में ऐसे हमलों को रोका जा सके. लश्कर-ए-तैयबा पाकिस्तान में सिर्फ एक आतंकी संगठन नहीं, बल्कि एक राजनीतिक-धार्मिक नेटवर्क है, जिसे वहां की सत्ता से अप्रत्यक्ष संरक्षण मिला हुआ है. जब तक पाकिस्तान LeT जैसी ताकतों के खिलाफ ईमानदारी से कार्रवाई नहीं करता, तब तक दक्षिण एशिया में शांति मुश्किल है.