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अमेरिका और यूक्रेन के बीच हो गई मिनरल डील, जानें समझौते में क्या-क्या है शामिल

अमेरिका और यूक्रेन ने एक ऐतिहासिक खनिज समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत अमेरिका को यूक्रेन के दुर्लभ खनिजों में निवेश का पहला अधिकार मिला. यह सौदा ट्रम्प सरकार और ज़ेलेंस्की के बीच राजनीतिक संतुलन बनाए रखने के प्रयास का हिस्सा है. समझौते में संयुक्त निवेश फंड, मुनाफे पर अमेरिका का दावा और EU सदस्यता की स्वतंत्रता सुनिश्चित की गई है.

अमेरिका और यूक्रेन के बीच हो गई मिनरल डील, जानें समझौते में क्या-क्या है शामिल
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नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Published on: 1 May 2025 7:00 AM

अमेरिका और यूक्रेन ने एक ऐतिहासिक खनिज और ऊर्जा समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. इस समझौते के जरिए अमेरिका को यूक्रेन के खनिज संसाधनों तक खास पहुंच मिलेगी. इस पहल का मकसद सिर्फ आर्थिक सहयोग नहीं, बल्कि यूक्रेन के युद्धकालीन हालात में अमेरिका के राजनीतिक समर्थन को मजबूत करना भी है. यह सौदा ऐसे वक्त पर हुआ है जब अमेरिका की ओर से रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर बढ़ता दबाव सामने आ रहा है.

यह समझौता फरवरी में तय होना था, लेकिन राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की की वॉशिंगटन यात्रा के बाद इसमें देरी हुई.दोनों देशों के नेताओं के बीच बातचीत में खटास आई, पर अंततः बातचीत दोबारा शुरू हुई. यह डील उस समय अंतिम रूप ले पाई जब ज़ेलेंस्की और डोनाल्ड ट्रम्प की आमने-सामने मुलाकात हुई, जिसके बाद दोनों पक्ष सहमत हुए. यह दिखाता है कि यह सौदा सिर्फ खनिजों का नहीं, बल्कि रणनीतिक समीकरणों का भी हिस्सा है.

शर्तों में क्या-क्या शामिल है

  • अमेरिका को यूक्रेन के तेल, गैस, ग्रेफाइट, एल्यूमिनियम और दुर्लभ खनिज क्षेत्रों में निवेश की प्राथमिकता दी गई है.
  • अमेरिका को खनिज कंपनियों में निवेश का 'पहला अधिकार' मिलेगा.
  • एक नया संयुक्त निवेश फंड बनाया जाएगा, जिसमें अमेरिका और यूक्रेन बराबर पैसा लगाएंगे, लेकिन नियंत्रण अमेरिका के पास रहेगा.
  • फंड से मिलने वाले मुनाफे पर अमेरिका का पहला दावा होगा.
  • यह साफ किया गया है कि यह डील यूक्रेन के यूरोपीय संघ में शामिल होने की उम्मीदों को प्रभावित नहीं करेगी.
  • समझौते में यह भी शामिल है कि अमेरिका द्वारा यूक्रेन को दी जाने वाली सैन्य सहायता को अमेरिका के हिस्से में गिना जाएगा.

राजनीतिक दबाव और रणनीति

इस समझौते के पीछे ट्रम्प सरकार का रणनीतिक दबाव भी काम कर रहा है. ट्रम्प पहले ही युद्धविराम की धीमी प्रगति से नाराज़ हैं और चेतावनी दे चुके हैं कि अगर बातचीत नहीं बढ़ी तो अमेरिका पीछे हट सकता है. ऐसे में यूक्रेन के लिए यह सौदा ट्रम्प को साधे रखने का एक तरीका भी बन गया है.

पुरानी मदद की वापसी नहीं

शुरुआती बातचीत में अमेरिका ने यह संकेत दिया था कि वह पहले दी गई मदद की भरपाई चाहता है. लेकिन अंतिम दस्तावेज़ में यह शर्त हटा दी गई. यूक्रेनी प्रधानमंत्री डेनिस श्म्याल ने भी स्पष्ट कर दिया कि यह समझौता नई साझेदारी का प्रतीक है, न कि पिछली सहायता का हिसाब-किताब.

भविष्य के लिए रास्ता

अब दोनों देश मिलकर यूक्रेन में ऊर्जा और खनन के क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देंगे. साथ ही यह भी सुनिश्चित करेंगे कि यह साझेदारी यूरोपीय संघ की दिशा में यूक्रेन के कदमों के साथ मेल खाए. यह समझौता जहां एक ओर आर्थिक विकास का जरिया बनेगा, वहीं दूसरी ओर यह अमेरिका और यूक्रेन के बीच राजनीतिक रिश्तों को भी नई दिशा देगा.

डोनाल्ड ट्रंप
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