UNSC में पाकिस्तान का नहीं चला 'विक्टिम कार्ड', क्लोज़-डोर कंसल्टेशन में क्या निकला नतीजा?
पहलगाम हमले के बाद भारत की संभावित सैन्य कार्रवाई से डरे पाकिस्तान ने जल्दबाज़ी में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाई. हालांकि यह बैठक सिर्फ कंसल्टेशन रूम तक ही सीमित रही. पाकिस्तान ने कश्मीर मुद्दे और भारत की रणनीति को वैश्विक मंच पर उठाने की कोशिश की, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकला. भारत अब आर्थिक और कूटनीतिक मोर्चों पर सख्ती से आगे बढ़ रहा है.

पाकिस्तान एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर कश्मीर और क्षेत्रीय तनाव का मुद्दा उठाने की कोशिश में कूटनीतिक हाशिए पर नजर आया. हाल ही में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत-पाकिस्तान तनाव पर एक बंद कमरे की बैठक (क्लोज़-डोर कंसल्टेशन) हुई, जिसे पाकिस्तान ने बड़ी कूटनीतिक उपलब्धि बताने की कोशिश की, जबकि यह बैठक न तो आधिकारिक एजेंडे में थी और न ही इसमें कोई औपचारिक संयुक्त बयान जारी किया गया.
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की संभावित सैन्य कार्रवाई की आशंका से घबराकर पाकिस्तान ने आनन-फानन में यूएन का दरवाजा खटखटाया. पाकिस्तान चाहता था कि यूएन भारत से संयम बरतने की अपील करे, लेकिन बैठक केवल कंसल्टेशन रूम में सीमित रही. यानी यह केवल एक अनौपचारिक चर्चा थी, न कि औपचारिक यूएनएससी कार्रवाई. इससे पाकिस्तान की कूटनीतिक स्थिति और भी स्पष्ट हो गई कि वह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के खिलाफ ठोस समर्थन जुटाने में विफल है.
बैठक का कोई रिजल्ट आया?
पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि असीम इफ्तिखार ने दावा किया कि कई देशों ने कश्मीर मुद्दे को शांतिपूर्ण हल करने की बात मानी. लेकिन उन्होंने इस बात को नजरअंदाज कर दिया कि यह बैठक कोई निर्णयात्मक प्रक्रिया नहीं थी. पाकिस्तान बार-बार 1947 के प्रस्तावों की बात करता है, जबकि वैश्विक समुदाय अब कश्मीर को भारत का आंतरिक मामला मानता है और आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान की भूमिका को लेकर सतर्क है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने पाकिस्तान को दी नसीहत
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को लेकर चिंता जताते हुए पाकिस्तान को स्पष्ट शब्दों में चेताया. उन्होंने कहा कि क्षेत्र को सैन्य टकराव की ओर ले जाना खतरनाक होगा, पीछे हटना ही समझदारी है. सैन्य समाधान, समाधान नहीं हो सकता. पहलगाम हमले की कड़ी निंदा करते हुए गुटेरेस ने ज़ोर दिया कि दोषियों को हर हाल में न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि वह हमले के बाद भारत में उपजे आक्रोश और भावनाओं को भली-भांति समझते हैं.
भारत समझदारी से ले रहा काम
भारत की ओर से सीधे प्रतिक्रिया नहीं दी गई, लेकिन यूएन के भीतर जारी संदेश स्पष्ट है. भारत अब कूटनीति के साथ-साथ रणनीतिक विकल्पों को भी तेज़ी से इस्तेमाल कर रहा है. उदाहरण के तौर पर, सिंधु जल समझौते को आंशिक रूप से स्थगित करने का फैसला. यह कदम पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर असर डाल सकता है और इससे पाकिस्तान में पानी को लेकर संकट गहराने की संभावना है.
पाक घबराकर कर रहा यूएन महासचिव से बात
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ खुद दो बार यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस से फोन पर संपर्क कर चुके हैं. उन्होंने भारत पर 'अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों का राजनीतिकरण' करने का आरोप लगाया और दावा किया कि भारत पाकिस्तान को आर्थिक रूप से कमजोर करने की रणनीति अपना रहा है. हालांकि, यूएन महासचिव ने कोई सार्वजनिक समर्थन नहीं दिया और केवल संवाद जारी रखने की बात कही.
इंडिया का स्टैंड है क्लियर
इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट हो गया है कि भारत की रणनीति अब केवल जवाब देने की नहीं, बल्कि क्षेत्रीय स्थिति को फिर से परिभाषित करने की है. पाकिस्तान के पास फिलहाल अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भावनात्मक अपील और पुराने प्रस्तावों की दुहाई देने के अलावा ठोस कूटनीतिक समर्थन नहीं बचा है. वहीं, भारत चुपचाप लेकिन निर्णायक रणनीतियों से अपनी स्थिति मजबूत करता जा रहा है.