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अमेरिका में भारतीय युवाओं को क्यों है सेल्फ डिपोर्टेशन का खतरा?

बहुत से लोग अब दूसरे ऑप्शन पर विचार कर रहे हैं, जिसमें कनाडा या यूके जैसे देशों में प्रवास करना शामिल है, जहां की पॉलिसी ज्यादा लचीली हैं. अमेरिका के एम्प्लॉयमेंट बेस्ड ग्रीन कार्ड सिस्टम में भारी बैकलॉग भारतीय माइग्रेंट पर बेढंगे तौर से असर करता है.

अमेरिका में भारतीय युवाओं को क्यों है सेल्फ डिपोर्टेशन का खतरा?
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( Image Source:  freepik )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 6 March 2025 7:03 PM IST

अमेरिका ने इमीग्रेशन पॉलिस में कई बदलाव किए हैं. इसके चलते कुछ भारतीय बच्चों का भविष्य खतरे में है. दरअसल जो बच्चे एच-4 वीजा के तहत नाबालिग के तौर पर अमेरिका माइग्रेट हुए थे. अब वह 21 साल के होने वाले हैं. अमेरिका में मौजूदा इमीग्रेशन लॉ के तहत वह अब अपने एच1-बी होल्डर पेरेंट्स के डिपेंडेंट्स के तौर पर क्वालिफाई नहीं है.

अब तक उनके पास 'एजिंग आउट' के बाद दूसरे वीजा की स्टेट्स में जाने के लिए दो साल का समय था, लेकिन अब इस मामले में काफी कुछ बदल चुका है. ऐसे में अब युवा सेल्फ डिपोर्टेशन के डर में जी रहे हैं. चलिए जानते हैं आखिर क्या है मामला?

नया रजिस्ट्रेशन पीरियड

यूएस सिटीजनशिप और इमीग्रेशन सर्विस (यूएससीआईएस) ने हाल ही में फाइनेंशियल ईयर 2026 के लिए एच-1बी वीजा के लिए रजिस्ट्रेशन पीरियड के बारे में बताया था. यह प्रोसेस 7 मार्च से 24 मार्च तक चलेगा.

इतने भारतीय बच्चों का भविष्य खतरे में

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2023 के मार्च तक लगभग 1.34 लाख भारतीय बच्चों के डिपेंडेंट वीजा की उम्र खत्म हो जाने की उम्मीद है. इससे पहले कि उनके परिवारों को ग्रीन कार्ड मिल जाए. यूएस इमीग्रेश सिस्टम में बैकलॉग का मतलब है कि कई लोगों को परमानेंट रेजीडेंसी के लिए लंबे समय तक इंतजार करना होगा. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि कुछ एप्लीकेंट्स को 12 से 100 साल तक का समय लगने का अंदाजा है.

टेक्सास का नया नियम

हाल ही में टेक्सास की एक अदालत ने डिफर्ड एक्शन फॉर चाइल्डहुड अराइवल्स (डीएसीए) प्रोग्राम के तहत नए एप्लीकेंट्स के लिए वर्क परमिट पर रोक लगा दी है. इसके कारण स्थिति और खराब हो गई है. डीएसीए उन लोगों को डिपोर्टेशन से अस्थायी और रिन्यूएबल दो साल की सुरक्षा देता है. अब इसके चलते कई भारतीय युवाओं का भविष्य खतरे में है.

क्या है एच-1बी वीजा?

एच-1बी वीजा एक नॉन इमीग्रेंट वीजा है, जो अमेरिकी कंपनियों और बिजनेस के लिए ऐसे लोगों को हायर करता है, जिसके लिए थियोरिटिकल और टेक्निकल एक्सपर्ट की जरूरत होती है. हर साल एच-1बी वीजा में 65,000 वीजा की लिमिट होती है, जिसमें यूएस मास्टर डिग्री वाले एप्लीकेंट्स के लिए एक्सट्रा 20,000 वीजा होते हैं. इस मामले में धोखाधड़ी को कम करने और सही सेलेक्शन के लिए यूएससीआईएस ने बेनेफिशियरी सेंट्रिक प्रोसेस शुरू किया है. वहीं, नई रजिस्ट्रेशन फीस $215 है.

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