अमेरिका से तनातनी के बीच बड़ा सवाल, क्या US तक पहुंच भी सकती हैं ईरानी मिसाइलें?
ईरान का मिसाइल और परमाणु कार्यक्रम हमेशा से ही अमेरिका के लिए चिंता का विषय रहे हैं. ईरान की SRBM और MRBM मिसाइलें इराक, सऊदी अरब और UAE में अमेरिकी सैन्य अड्डों पर हमला कर सकती हैं. वहीं IRBM मिसाइलों से नाटो के सैन्य ठिकानों को खतरा हो सकता है.

ईरान और अमेरिका के पहले से ही खराब संबंध अब और बिगड़ते नजर आ रहे हैं. हाल के दिनों में दोनों देशों के बीच बयानबाजी तेज हो गई है. इस बार विवाद का केंद्र परमाणु समझौता और यमन में हूती विद्रोहियों पर अमेरिकी हमले हैं. कुछ समय पहले, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के शीर्ष नेता अयातुल्लाह खामेनेई को पत्र लिखकर परमाणु समझौते पर वापस लौटने का आग्रह किया था. लेकिन ईरान ने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि जब तक अमेरिका अपनी दबाव बनाने की नीति नहीं छोड़ता, तब तक बातचीत संभव नहीं है.
अब ट्रंप ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि ईरान को बातचीत की मेज पर लाने के लिए अगर सैन्य कार्रवाई करनी पड़ी, तो अमेरिका पीछे नहीं हटेगा. इसके जवाब में ईरान ने भी कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि उसने अपनी मिसाइलों को लॉन्च-रेडी मोड में तैनात कर दिया है. लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या ईरान की मिसाइल तकनीक इतनी विकसित हो चुकी है कि वह अमेरिका को सीधे निशाना बना सके? ईरान से अमेरिका की दूरी लगभग 11,500 किलोमीटर है, और दुनिया के कुछ देशों के पास ऐसी मिसाइलें हैं जो इतनी लंबी दूरी तक मार कर सकती हैं. क्या ईरान भी इस स्तर तक पहुंच चुका है? आइए, इस खबर में ईरान की मिसाइल क्षमता पर विस्तार से चर्चा करते हैं.
ईरान का मिसाइल जखीरा
ईरान का मिसाइल और परमाणु कार्यक्रम हमेशा से ही अमेरिका के लिए चिंता का विषय रहे हैं. और अब माना जाता है कि ईरान मिसाइलों के मामले में दुनिया के ताकतवर देशों के साथ खड़ा है. ईरान का यह मिसाइल प्रोग्राम 1980 के ईरान-इराक युद्ध के दौरान शुरू हुआ था, जब ईरान को दुश्मन के हमलों का जवाब देने के लिए लंबी दूरी की मिसाइलों की जरूरत महसूस हुई.
आज की तारीख में ईरान के पास कई तरह की छोटी से मध्यम दूरी तक मार कर सकने वाली मिसाइलों का जखीरा है. छोटी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों (SRBM) में ईरान के पास फतेह-110, जुल्फिकार, शहाब-1 और शहाब-2 जैसी मिसाइलें हैं जिनकी रेंज 300 से लेकर 1000 किलोमीटर तक है. फतेह-110 एक सॉलिड-फ्यूल मिसाइल है, जो बहुत सटीक निशाना लगा सकती है. वहीं जुल्फिकार फतेह-110 का एक अपडेटेड वर्जन है, जिसे 2020 में अमेरिकी सैन्य अड्डों पर हमले के लिए इस्तेमाल किया गया था. शहाब-1 और शहाब-2 रूस की स्कड मिसाइल पर आधारित हैं, और पास के दुश्मनों पर हमला करने के लिए बनाई गई हैं. ईरान की ये मिसाइलें इराक, सऊदी अरब, इजराइल और अन्य पड़ोसी देशों पर हमला कर सकती हैं.
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मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें (MRBM)
शहाब-3 – यह ईरान की पहली मध्यम दूरी की मिसाइल है, जो इजराइल और यूरोप के कुछ हिस्सों तक पहुंच सकती है.
सज्जिल-2 – यह एक सॉलिड-फ्यूल मिसाइल है, जो और भी तेज़ और अधिक खतरनाक है.
क़द्र-110 – शहाब-3 का एक उन्नत वर्जन, जो और अधिक सटीक निशाना लगा सकता है.
ईरान की इन मिसाइलों की रेंज 1,000-3,000 किमी तक है और ये पूरे मध्य पूर्व, पूर्वी यूरोप, और अमेरिकी सैन्य अड्डों तक हमला कर सकती हैं.
इरान के पास दो ऐसी मिसाइलें भी हैं जिनकी रेंज 3,000-5,500 किलोमीटर है और ये नाटो देशों और ब्रिटेन को भी निशाना बनाने में सक्षम हैं. इनमें से एक है खोर्रमशहर, जिसे ईरान की सबसे शक्तिशाली मिसाइलों में से एक माना जाता है, जो यूरोप तक हमला कर सकती है. दूसरी है इमाद जो शहाब-3 का एक गाइडेड वर्जन, जो अधिक सटीक हमला कर सकता है.
क्या ईरान की मिसाइलें अमेरिका तक पहुंच सकती हैं?
फिलहाल, ईरान के पास कोई ऑपरेशनल ICBM (इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल) नहीं है, जो अमेरिका तक पहुंच सके. लेकिन, अमेरिका की खुफिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि ईरान तेजी से लंबी दूरी की मिसाइल तकनीक पर काम कर रहा है. अभी ईरान के पास ऐसी मिसाइलें नहीं हैं जो अमेरिका तक पहुंच सकें, लेकिन अगर उसका मिसाइल प्रोग्राम यूं ही बढ़ता रहा, तो अगले 10 सालों में ऐसा हो सकता है.
इन अमेरिकी ठिकानों को निशाना बना सकती हैं ईरानी मिसाइलें
ईरान की SRBM और MRBM मिसाइलें इराक, सऊदी अरब और UAE में अमेरिकी सैन्य अड्डों पर हमला कर सकती हैं. वहीं IRBM मिसाइलों से नाटो के सैन्य ठिकानों को खतरा हो सकता है.