चौथे दिन भी धधका कंबोडिया-थाईलैंड बॉर्डर! क्या ट्रंप की फिर से हो गई बेइज्जती? सीजफायर की धमकी बेअसर
हिंदू शिव मंदिर को लेकर कंबोडिया और थाइलैंड के बीच पिछले चार दिनों से संघर्ष जारी है. दोनों पक्षों की ओर से भारी तोपखाना और हवाई हमले भी जारी हैं. इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ने इस मामले में दखल देने का एलान किया है. इसका सीधा असर यह हुआ कि ट्रंप की इंडिया और फिर ईरान के बाद इस मसले पर भी किरकिरी हुई. थाईलैंड ने ट्रंप की मध्यस्थता की बात के बदले द्विपक्षीय बैठक के जरिए इस मसले का समाधान निकालने पर जोर दिया है.

इंडिया और ईरान में सीजफायर कराने का दावा कर डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका की किरकिरी कराने के बाद अब कंबोडिया और थाईलैंड की सीमा पर जारी जंग को को समाप्त कराने का दावा किया है. उन्होंने दोनों देशों से युद्धविराम पर सहमत होने का आग्रह किया है. साथ ही क्षेत्रीय विवादों और राजनीतिक तनावों से प्रेरित इन झड़पों ने संघर्ष को सुलझाने के लिए शांति और द्विपक्षीय वार्ता की व्यापक अपील की है. बता दें कि दोनों देशों के बीच हिंदू मंदिर को लेकर जारी जंग में अब तक 33 लोग मारे गए हैं. 1 लाख से अधिक लोग अपना घर छोड़ने के लिए भी मजबूर हुए हैं. दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर मानवाधिकार उल्लंघन और नागरिक इलाकों पर हमलों का आरोप लगा रहे हैं.
क्या अमेरिका की हुई बेइज्जती?
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास किया है. उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी है कि जब तक दोनों देश सीजफायर नहीं करेंगे, वे व्यापार समझौते नहीं करेंगे. व्यापार समझौते के तहत 36 प्रतिशत तक के टैरिफ का खतरा भी शामिल है.
वहीं, डोनाल्ड ट्रंप के सोशल मीडिया पोस्ट्स से पता चला कि कंबोडिया ने ‘तत्काल और बिना शर्त’ ट्रंप की मध्यस्थता पर अपनी सहमति दी दी. जबकि थाईलैंड ने शर्त रखी कि कंबोडिया की नीयत आश्वस्त करने योग्य होनी चाहिए.
ट्रंप ने इस संघर्ष की तुलना इंडिया-पाकिस्तान संघर्ष से की है, जिसका दावा था कि अमेरिकी मध्यस्थता से शांति बनी थी. लेकिप भारत ने ट्रंप की भूमिका कम करके आंका था. साथ ही उनके दावों को झूठ का पुलिंदा करार दिया था.
अब इस मामले में आगे क्या होगा?
ASEAN के नेतृत्व में मालदीव के प्रधानमंत्री Anwar Ibrahim ने भी मध्यस्थता का प्रस्ताव रखा है, जिसमें कंबोडिया ने समर्थन दिया है और थाईलैंड ने इसकी “सिद्धांततः” सहमति दी है. UN सुरक्षा परिषद की भी पुष्टि में आपात बैठक हुई थी, जिसमें दोनों देशों को शांति की अपील की गई.
इससे पहले ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान के बार ईरान और इस्राइल समर्थित गुटों के बीच सीजफायर कराने का दावा किया था, लेकिन इंडिया ने सीजफायर की बात स्वीकार नहीं की, बक्कि ट्रंप को झूठा करार दिया. ईरान में भी सीजफायर पूरी तरह से फेल हो गया.
वहीं, अब वो दक्षिण-पूर्वी एशिया के दो पड़ोसी देश कंबोडिया और थाईलैंड एक बार फिर सीमा विवाद के बीच कूद पड़े हैं. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस विवाद को सुलझाने के लिए खुद को "शांतिदूत" के तौर पर पेश किया है. इस बार भी ट्रंप ने दावा किया है कि वो दोनों देशों के बीच ‘स्थायी समझौता’ करवाने की कोशिश कर रहे हैं. जरूरत पड़ी तो वे व्यक्तिगत रूप से दोनों देशों के नेताओं से मिलकर मध्यस्थता करेंगे.
हालांकि, ट्रंप के कार्यकाल में भी कूटनीतिक मामले अक्सर विवादों में ही रहे हैं. चाहे वो उत्तर कोरिया के किम जोंग उन से उनकी मुलाकात हो या अफगानिस्तान से जल्दबाजी में अमेरिका की वापसी. अब सवाल ये है क्या ट्रंप की दखल से वाकई शांति की राह निकलेगी? या ये भी एक पॉलिटिकल स्टंट है.