कॉपी किया रे... भारत की तरह पाक भी विदेशों में भेजेगा सांसदों का डेलिगेशन, बिलावल भुट्टो को किसका आया फोन?
भारत सरकार सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को दुनिया के अलग-अलग देशों में भेजेगा, जो दुनिया को भारत की जीरो टॉलरेंस’ नीति के बारे में बताएंगे. अब पाकिस्तान भी इसी राह पर निकल पड़ा है. बिलावल भुट्टो ने बताया कि वह पाक की तरफ से इस डेलिगेशन को लीड करेंगे.

भारत में हुए पहलगाम आतंकी हमले और सफल ऑपरेशन सिंदूर के बाद अब देश ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी नीति को दुनिया के सामने मजबूती से पेश करने की योजना बनाई है. भारत के इस मजबूत कदम का असर पड़ोसी देश पाकिस्तान पर भी दिखने लगा है. वह भी अब उसी राह पर चलने की तैयारी कर रहा है. हालांकि एक 'नकलची' अंदाज़ में.
शनिवार को भारत सरकार ने घोषणा की कि वह आतंकवाद के खिलाफ अपनी ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति को दुनिया भर में उजागर करने के लिए सात ऑल पार्टी डेलिगेशन भेजेगा. ये प्रतिनिधिमंडल विभिन्न देशों में जाकर बताएंगे कि भारत किस तरह सीमा पार आतंकवाद का सामना कर रहा है और किस तरह उसने ऑपरेशन सिंदूर जैसे अभियानों के ज़रिए आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब दिया.
पाकिस्तान की 'प्रतिक्रिया' या 'नकल'?
भारत की इस वैश्विक पहल के तुरंत बाद पाकिस्तान से एक प्रतिक्रिया सामने आई. हालांकि सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया, लेकिन बिलावल भुट्टो जरदारी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में इशारा दिया कि वह भी एक अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाले हैं.
बिलावल भुट्टो करेंगे लीड
भुट्टो ने बताया कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने उनसे संपर्क किया है और अनुरोध किया है कि वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांति के लिए पाकिस्तान का मामला रखें. उन्होंने कहा कि 'आज सुबह प्रधानमंत्री @CMShehbaz ने मुझसे बात की. उन्होंने मुझे कहा कि मैं अंतरराष्ट्रीय मंच पर शांति के लिए पाकिस्तान का मामला पेश करने के लिए एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करूं. मैं इस ज़िम्मेदारी को स्वीकार करता हूं और इस चुनौतीपूर्ण समय में पाकिस्तान की सेवा के लिए प्रतिबद्ध हूं.' यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान ने भारत की रणनीति को अपनाने की कोशिश की हो, लेकिन इस बार मामला सीधा कूटनीतिक मोर्चे से जुड़ा है और पूरी दुनिया की निगाहें इस पर टिकी हैं.
बिलावल की भूमिका और सियासी पेंच
गौरतलब है कि भुट्टो की पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (PPP) वर्तमान में सत्ताधारी गठबंधन की प्रमुख सहयोगी है, जिसमें पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) का वर्चस्व है. ऐसे में भुट्टो की यह पहल केवल विदेश नीति नहीं, बल्कि घरेलू सियासत में भी एक रणनीतिक चाल हो सकती है.