हसीना युग पर लगा ब्रेक! यूनुस सरकार ने अवामी लीग को किया बैन, जानें किस कानून का दिया हवाला
अवामी लीग बांग्लादेश की सबसे पुरानी और मजबूत राजनीतिक पार्टी मानी जाती है, इसलिए इस फैसले के बड़े राजनीतिक असर होंगे. शेख हसीना फिलहाल भारत में हैं और वहां शरण लिए हुए हैं. उनके और उनके मंत्रियों पर राजद्रोह, भ्रष्टाचार और मानवाधिकार उल्लंघन जैसे गंभीर आरोपों में मुकदमे दर्ज किए गए हैं.

बांग्लादेश इस समय एक गहरे राजनीतिक संकट और सामाजिक तनाव के दौर से गुजर रहा है. देश में अस्थिरता की स्थिति जुलाई 2024 में हुए एक व्यापक विद्रोह के बाद से बनी हुई है, जिसमें रिजर्वेशन सिस्टम के खिलाफ छात्रों द्वारा शुरू किया गया आंदोलन जल्द ही व्यापक जन आंदोलन और सरकार विरोधी प्रदर्शन में बदल गया था.
इस विद्रोह की आग ने पूरे देश को अपनी चपेट में ले लिया और तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार को गंभीर संकट का सामना करना पड़ा. विरोध प्रदर्शन पर काबू पाने के लिए सरकार ने बल प्रयोग का सहारा लिया, जिससे हालात और अधिक बिगड़ गए. पुलिस और सुरक्षाबलों द्वारा प्रदर्शनकारियों पर कठोर कार्रवाई, लाठीचार्ज, गिरफ्तारियां और कई जगहों पर गोलीबारी की घटनाओं ने सरकार की छवि को भारी नुकसान पहुंचाया.
यूनुस सरकार का कड़ा फैसला
स्थिति गंभीर होती देख, बांग्लादेश में एक अंतरिम (अस्थायी) सरकार बनाई गई, जिसकी जिम्मेदारी नोबेल पुरस्कार विजेता और अर्थशास्त्री डॉ. मुहम्मद यूनुस को दी गई. अब इसी यूनुस सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग पर आतंकवाद विरोधी कानून के तहत प्रतिबंध लगा दिया है. सरकार का कहना है कि यह प्रतिबंध देश की सुरक्षा और शांति बनाए रखने के लिए जरूरी है. जब तक अवामी लीग और उसके नेताओं के खिलाफ चल रहे कोर्ट केस पूरे नहीं हो जाते, तब तक यह प्रतिबंध लागू रहेगा. सरकार की कैबिनेट ने इस फैसले को मंजूरी दी है और इसकी आधिकारिक सूचना अगले कार्य दिवस पर जारी की जाएगी.
सबसे मजबूत और पुराणी पार्टी में से एक
अवामी लीग बांग्लादेश की सबसे पुरानी और मजबूत राजनीतिक पार्टी मानी जाती है, इसलिए इस फैसले के बड़े राजनीतिक असर होंगे. शेख हसीना फिलहाल भारत में हैं और वहां शरण लिए हुए हैं. उनके और उनके मंत्रियों पर राजद्रोह, भ्रष्टाचार और मानवाधिकार उल्लंघन जैसे गंभीर आरोपों में मुकदमे दर्ज किए गए हैं. सरकार ने कहा है कि यह कदम सिर्फ सजा देने के लिए नहीं, बल्कि उन लोगों की सुरक्षा के लिए भी है, जो पिछली सरकार के खिलाफ आंदोलन में शामिल थे और अब उन्हें खतरा हो सकता है. इस फैसले की विपक्षी दलों ने कड़ी आलोचना की है. उनका कहना है कि यह लोकतंत्र के लिए खतरा है और यह सब राजनीतिक बदले की भावना से किया गया है. लेकिन यूनुस सरकार का कहना है कि यह फैसला देश की सुरक्षा और स्थिरता के लिए जरूरी है.
शेख हसीना को वापस भेजने की मांग
इसके साथ ही भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में भी तनाव आ गया है. बांग्लादेश में यूनुस सरकार पर भारत विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देने और अल्पसंख्यकों पर हिंसा करने के आरोप लगे हैं. बांग्लादेश ने भारत से शेख हसीना को वापस भेजने की मांग की है, लेकिन भारत ने अब तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया है. इस पूरे घटनाक्रम ने बांग्लादेश की राजनीति को हिला कर रख दिया है. अब सबकी नजरें इस पर हैं कि आगे क्या होगा क्या बांग्लादेश में फिर से लोकतंत्र मजबूत होगा या हालात और बिगड़ेंगे?