शेख हसीना की बढ़ी मुश्किलें, मानवता के विरुद्ध 'अपराध' मामले में बांग्लादेश की अदालत में आरोप तय, जानें पूरा मामला
शेख हसीना सरकार ने अगस्त 2024 में बांग्लादेश में 1971 के युद्ध के दिग्गजों के रिश्तेदारों को सिविल सेवा नौकरियों में आरक्षण देने की घोषणा की थी. इस एलान के बाद बांग्लादेश में छात्र और युवा सड़कों पर उतर आए. पूरे देश में उग्र प्रदर्शन के दौरान हिंसक घटनाएं भी हुईं. स्थिति बेकाबू होने पर शेख हसीना को देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था.

बांग्लादेश के प्रधानमंत्री पद से बर्खास्त और निर्वासित जीवन जी रही शेख हसीना की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. देश की बांग्लादेश इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (आईसीटी) ने 10 जुलाई को शेख हसीना पर मानवता के विरुद्ध अपराध के आरोप तय कर दिए हैं. यह मामला पिछले साल छात्र आंदोलनों के दमन से जुड़ा है.
शेख हसीना के खिलाफ यह आरोप है कि पिछले साल बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर हुए विद्रोह के दौरान शेख हसीना द्वारा गोलीबारी के आदेश देने के बाद सैकड़ों की संख्या में छात्र मारे गए थे. पूर्व पुलिस प्रमुख ममून ने अपना गुनाह कबूल कर गवाह बनने की पेशकश की है. फिलहाल, शेख हसीना के खिलाफ ट्रायल उनकी गैरमौजूदगी में चलेगा. आने वाले दिनों में मामला बांग्लादेश की राजनीति में बड़ा मोड़ ला सकता है.
इन पर तय हुए आरोप
रिपोर्ट में कहा गया है कि जस्टिस गुलाम मुर्तुजा मोजुमदार की अध्यक्षता वाले तीन सदस्यीय पैनल ने शेख हसीना, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान और पूर्व पुलिस प्रमुख चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून पर 5 आरोप लगाए हैं. पिछले साल अवामी लीग सरकार के गिरने के बाद शेख हसीना 5 अगस्त को भारत भाग गई थीं.
जस्टिस गुलाम मुर्तुजा मोजुमदार की अध्यक्षता वाले तीन सदस्यीय पैनल ने हसीना, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान और पूर्व पुलिस प्रमुख चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून पर पांच आरोप लगाए हैं. इनमें से हसीना और खान पर उनकी गैर मौजूदगी में मुकदमा चल रहा है. अब इस मामले में न्यायाधिकरण ने अभियोजन पक्ष के प्रारंभिक बयान के लिए 3 अगस्त और गवाहों के बयान दर्ज करने के लिए 4 अगस्त की तारीख तय की है.
अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) ने बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक अब्दुल्ला अल मामून के खिलाफ पिछले साल जुलाई-अगस्त में छात्रों के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों को दबाने की कोशिशों के लिए मानवता के विरुद्ध अपराध का मामला दर्ज करने का आदेश दिया है.
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक अभियोजन पक्ष ने एक ऑडियो क्लिप के आधार पर दावा किया है कि हसीना ने अपने सुरक्षा बलों को प्रदर्शनकारियों के खिलाफ 'घातक हथियारों का इस्तेमाल' करने का आदेश दिए थे. उन्होंने कहा था, 'जहां कहीं भी वे पाएंगे, वहां गोली चला देंगे." एक अज्ञात वरिष्ठ अधिकारी के साथ हसीना की बातचीत की यह ऑडियो रिकॉर्डिंग अब तक का सबसे मजबूत सबूत है. इस ऑडियो रिकॉर्डिंग को अभियोजन पक्ष ने हसीना का एक लीक हुआ ऑडियो और अन्य दस्तावेज न्यायाधिकरण को सबूत के तौर पर पेश कर दिए हैं.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, देश में बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और चुनाव में धांधली से उपजे असंतोष के बीच शेख हसीना सरकार ने बांग्लादेश में 1971 के युद्ध के दिग्गजों के रिश्तेदारों को सिविल सेवा नौकरियों में आरक्षण देने की घोषणा की थी. इस एलान के बाद बांग्लादेश में छात्र और युवा सड़कों पर उतर आए थे. पूरे देश में आंदोलन उग्र हो गया. कई स्थानों उग्र प्रदर्शन के दौरान हिंसक घटनाएं भी हुईं. छात्रों के आंदोलन का नतीजा यह निकला कि 15 साल के शासन के बाद हसीना को पद छोड़ने पर मजबूर कर दिया. यह 1971 के युद्ध के बाद से बांग्लादेश में हिंसा की सबसे तीव्र लहर थी. स्थिति बेकाबू होने के बाद 5 अगस्त को हसीना हेलीकॉप्टर से भाग निकलीं, जब प्रदर्शनकारियों ने ढाका स्थित उनके आवास पर धावा बोल दिया था.