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अमेरिका ने मारा पंजा! तो भारत की ओर मुंह उठाए चीन तलाश रहा व्यापार के रास्ते, ड्रैगन ने हिंदुस्तान को बताया- 'सबसे बड़ा पड़ोसी'

China is looking trade with India: अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के साथ बढ़ती तनाव और व्यापार युद्ध के कारण चीन को अपने व्यापारिक साझेदारों और बाजारों के मामले में विविधता लाने की जरूरत महसूस हो रही है. ऐसे में ड्रैगन भारत को एक बड़ी अर्थव्यवस्था और उपभोक्ता बाजार के रूप में देख रहा है.

अमेरिका ने मारा पंजा! तो भारत की ओर मुंह उठाए चीन तलाश रहा व्यापार के रास्ते, ड्रैगन ने हिंदुस्तान को बताया- सबसे बड़ा पड़ोसी
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China is looking trade with India
सचिन सिंह
Edited By: सचिन सिंह

Updated on: 8 March 2025 10:07 AM IST

China is looking trade with India: चीन की सारी हेकड़ी तब निकल गई, जब अमेरिका ने टैरिफ पर बड़ी कार्रवाई की. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का टैरिफ को ड्रैगन के प्रति रवैया बेहद सख्त है, जिस पर चीन अपनी नाराजगी जता चुका है. अब अमेरिका ने जब पंजा मारा है, तो ड्रैगन भारत की मुंह ताक रहा है और कभी सीना तानने वाला ये चीन अब भारत अपना सबसे बड़ा पड़ोसी भी बता रहा है.

भारत-चीन संबंधों के बारे में पूछे जाने पर चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा, 'पिछले एक साल में चीन-भारत संबंधों में सकारात्मक प्रगति हुई है. पिछले अक्टूबर में रूस के कज़ान में राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री मोदी के बीच सफल बैठक ने द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाने के लिए रणनीतिक मार्गदर्शन प्रदान किया.'

भारत को सबसे बड़ा पड़ोसी बता रहा चीन

चीनी विदेश मंत्री ने कहा, 'चीन और भारत एक दूसरे के सबसे बड़े पड़ोसी हैं और चीन का हमेशा से मानना ​​रहा है कि दोनों को ऐसे भागीदार होने चाहिए जो एक दूसरे की सफलता में योगदान दें. ड्रैगन और हाथी के बीच एक सहकारी पैस डे दो दोनों पक्षों के लिए एकमात्र सही विकल्प है.'

उन्होंने आगे कहा, 'दो प्राचीन सभ्यताओं के रूप में हमारे पास सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखने की बुद्धि और क्षमता है, जबकि एक निष्पक्ष और उचित समाधान की दिशा में काम करना है. हमें कभी भी द्विपक्षीय संबंधों को सीमा प्रश्न या विशिष्ट मतभेदों से परिभाषित नहीं होने देना चाहिए जो हमारे संबंधों की समग्र तस्वीर को प्रभावित करते हैं.'

'अमेरिका युद्ध चाहता है तो युद्ध ही सही'

डोनाल्ड ट्रम्प ने एलान किया कि चीनी आयात पर अमेरिका 20% शुल्क लगाएगा. इसे लेकर चीन अमेरिका के लिए आक्रमक रूख अपना रहा तो भारत के लिए अब उसके दिल में सॉफ्ट कॉर्नर दिख रहा. चीन ने कहा कि अगर अमेरिका युद्ध चाहता है, चाहे वह टैरिफ युद्ध हो, व्यापार युद्ध हो या किसी अन्य प्रकार का युद्ध हो, हम अंत तक लड़ने के लिए तैयार हैं.

यह क्यों मायने रखता है?

यह सिर्फ़ एक आर्थिक विवाद नहीं है बल्कि यह वैश्विक वर्चस्व की लड़ाई है. ट्रम्प के आक्रामक रुख का उद्देश्य एक व्यापार प्रणाली को खत्म करना है, जिसके बारे में उनका तर्क है कि इसने दशकों तक चीन को अनुचित रूप से लाभ पहुंचाया है.

इस बीच चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग अपने देश को उस तरह के आर्थिक और भू-राजनीतिक अलगाव से बचाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं, जिसने शीत युद्ध के दौरान सोवियत संघ को बर्बाद कर दिया था.

चीन के लिए चुनौती अस्तित्व की है. शी जिनपिंग सोवियत संघ के भाग्य से बचने के लिए दृढ़ हैं, जो अमेरिका और उसके सहयोगियों के आर्थिक दबाव में ढह गया था. इसका मतलब है कि चीन खुद को अमेरिकी प्रभाव से बचाने के प्रयासों को दोगुना करने की संभावना है, चाहे वह तकनीकी आत्मनिर्भरता, विस्तारित व्यापार साझेदारी या सैन्य रुख के माध्यम से हो.

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