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दिल की बीमारी का डॉक्‍टर! AI स्टेथोस्‍कोप लाएगा नई क्रांति, 15 सेकेंड में हार्ट की बीमारियों की होगी पहचान

ब्रिटेन के शोधकर्ताओं ने AI स्टेथोस्कोप विकसित किया है, जो केवल 15 सेकंड में हार्ट फेल्योर, एट्रियल फिब्रिलेशन और वॉल्व्यूलर हार्ट डिज़ीज़ जैसी तीन बड़ी हृदय बीमारियों की पहचान कर सकता है. यह पारंपरिक स्टेथोस्कोप से अलग, माइक्रोफोन और सेंसर से लैस उपकरण है, जो डेटा क्लाउड पर भेजकर AI एल्गोरिद्म के जरिए विश्लेषण करता है.

दिल की बीमारी का डॉक्‍टर! AI स्टेथोस्‍कोप लाएगा नई क्रांति, 15 सेकेंड में हार्ट की बीमारियों की होगी पहचान
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( Image Source:  Meta AI )
प्रवीण सिंह
Edited By: प्रवीण सिंह

Updated on: 3 Sept 2025 1:13 PM IST

मेडिकल क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव आने वाला है. ब्रिटेन के शोधकर्ताओं ने पारंपरिक स्टेथोस्‍कोप का ऐसा वर्ज़न तैयार किया है, जो केवल 15 सेकंड में तीन बड़ी हृदय बीमारियों की पहचान कर सकता है. यह डिवाइस हार्ट फेल्योर, एट्रियल फिब्रिलेशन और वॉल्व्यूलर हार्ट डिज़ीज़ जैसी स्थितियों का पता लगाने में सक्षम है. इसे मेडिकल साइंस का गेम-चेंजर कहा जा रहा है क्योंकि यह न केवल तेज़ है बल्कि बेहद सटीक भी है.

यह AI स्टेथोस्कोप पारंपरिक उपकरण से बिल्कुल अलग है. इसमें प्लेइंग-कार्ड के आकार का गैजेट लगा है, जिसमें माइक्रोफोन और सेंसर मौजूद हैं. जब डॉक्टर इसे मरीज की छाती पर रखते हैं, तो यह दिल की धड़कनों और खून के बहाव की आवाज़ रिकॉर्ड करता है. साथ ही यह दिल के इलेक्ट्रिकल सिग्नल्स यानी ECG जैसी जानकारी भी कैप्चर करता है. यह डेटा तुरंत क्लाउड पर भेजा जाता है, जहां हजारों मरीजों के रिकॉर्ड पर प्रशिक्षित AI एल्गोरिद्म इसे एनालाइज करते हैं और फिर नतीजे सीधे डॉक्टर के स्मार्टफोन ऐप पर आ जाते हैं.

2,000 से ज्यादा मरीजों पर परीक्षण

इस तकनीक का परीक्षण इंपीरियल कॉलेज लंदन और इंपीरियल कॉलेज हेल्थकेयर NHS ट्रस्ट के नेतृत्व में किया गया. इसमें 12,000 से ज्यादा मरीजों को शामिल किया गया और अमेरिकी कंपनी Eko Health के स्टेथोस्‍कोप का उपयोग हुआ. नतीजे बेहद प्रभावशाली रहे. अध्ययन में सामने आया कि हार्ट फेल्योर की पहचान की संभावना 2.3 गुना, एट्रियल फिब्रिलेशन की पहचान 3.5 गुना और वॉल्व डिज़ीज़ की पहचान लगभग दोगुनी रही.

शुरुआती स्‍तर पर ही हो जाएगी बीमारी की पहचान

रिसर्च टीम का कहना है कि इन बीमारियों को पहचानने में AI एल्गोरिद्म का परफॉर्मेंस अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किए गए वैलिडेशन स्टडीज़ से मेल खाता है. इसका मतलब है कि यह तकनीक हर जगह समान प्रभावी हो सकती है. खास बात यह भी है कि यह स्टेथोस्कोप सिर्फ बड़े अस्पतालों में ही नहीं, बल्कि छोटे क्लिनिकों में भी उपयोगी है. इससे गांव और कस्बों में शुरुआती स्तर पर हृदय रोग की पहचान की जा सकेगी, जो अब तक मुश्किल था.

बचाई जा सकेंगी हजारों जानें

ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन ने इस अध्ययन को फंड किया है. संगठन का कहना है कि यह डिवाइस डायग्नोसिस और ट्रीटमेंट की स्पीड को कई गुना बढ़ा देगा और शुरुआती पहचान से हजारों लोगों की जान बचाई जा सकती है. साथ ही यह NHS जैसे सार्वजनिक हेल्थ सिस्टम पर दबाव भी घटा सकता है.

शोधकर्ता अब इस तकनीक को वेल्स, साउथ लंदन और ससेक्स की जनरल प्रैक्टिसेज़ में लागू करने की तैयारी कर रहे हैं. उनका लक्ष्य इसे रूटीन चेकअप का हिस्सा बनाना है ताकि डॉक्टर बिना महंगे टेस्ट के ही मरीज की स्थिति पहचान सकें.

हर साल दिल की बीमारियों से जाती हैं 1.8 करोड़ जानें

विशेषज्ञ मानते हैं कि यह तकनीक दिल की बीमारियों की लड़ाई में शांत क्रांति साबित होगी. WHO के अनुसार हर साल दुनियाभर में 1.8 करोड़ लोग हृदय रोगों से मरते हैं. ऐसे में अगर बीमारियों को शुरुआती चरण में ही पकड़ लिया जाए तो इलाज ज्यादा प्रभावी हो सकता है.

यह AI स्टेथोस्कोप सिर्फ एक गैजेट नहीं, बल्कि एक ऐसा उपकरण है जो इंसान और मशीन को मिलकर हृदय रोग के खिलाफ जंग लड़ने में मदद करेगा. चिकित्सा इतिहास में जैसे एक्स-रे और MRI ने क्रांति लाई थी, वैसे ही यह तकनीक भी आने वाले सालों में हृदय रोगियों के लिए जीवनरक्षक साबित हो सकती है.

टेक न्यूज़
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