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तीन साल की तबाही के बाद पुतिन ने खोला बातचीत का दरवाज़ा, ज़ेलेंस्की बोले- पहले हमला बंद करो

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने तीन साल के युद्ध के बाद पहली बार यूक्रेन को सीधी शांति वार्ता की पेशकश की है. यह प्रस्ताव ईस्टर युद्धविराम और अमेरिका के बढ़ते दबाव के बीच आया है. हालांकि यूक्रेन ने इसे संदेह की दृष्टि से देखा है और लंदन में पश्चिमी देशों के साथ वार्ता की तैयारी कर रहा है. युद्धविराम के बावजूद दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर हमलों के आरोप लगाए हैं.

तीन साल की तबाही के बाद पुतिन ने खोला बातचीत का दरवाज़ा, ज़ेलेंस्की बोले- पहले हमला बंद करो
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नवनीत कुमार
By: नवनीत कुमार

Updated on: 22 April 2025 7:30 AM IST

तीन साल पुराने रूस-यूक्रेन युद्ध में एक अप्रत्याशित मोड़ आया जब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने वर्षों में पहली बार यूक्रेन के साथ प्रत्यक्ष शांति वार्ता की पेशकश की. यह कदम ऐसे समय पर उठाया गया है जब वैश्विक स्तर पर युद्धविराम की मांग तेज़ हो गई है और अमेरिका लगातार दबाव बना रहा है कि दोनों पक्ष एक स्थायी समाधान की दिशा में बढ़ें.

पुतिन ने अपने इंटरव्यू में युद्धविराम और नागरिक सुरक्षा पर 'द्विपक्षीय चर्चा' की वकालत करते हुए खुद को शांति के पक्ष में दिखाया. उन्होंने विशेष रूप से ईस्टर के दौरान मानवीय विराम की सराहना करते हुए संकेत दिया कि मॉस्को अब वार्ता को गंभीरता से ले रहा है. लेकिन जानकारों का मानना है कि यह कदम कूटनीतिक दांव भी हो सकता है, जिससे रूस युद्ध के नैतिक दबाव से कुछ राहत पा सके.

अमेरिका बना रहा समय सीमा का दवाब

वहीं दूसरी ओर, अमेरिका इस प्रक्रिया को तेज़ी से आगे बढ़ते देखना चाहता है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और विदेश मंत्री मार्को रुबियो दोनों ही साफ कर चुके हैं कि अगर कुछ दिनों के भीतर कोई प्रगति नहीं हुई, तो अमेरिका शांति वार्ता से हट सकता है. हालांकि ट्रम्प ने हाल में थोड़ी आशावादी टिप्पणी की और उम्मीद जताई कि इस सप्ताह कुछ सकारात्मक हो सकता है.

युद्धविराम में भी हुए हमले

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने पुतिन की पहल को ठोस नहीं माना और कहा कि रूस की ओर से युद्धविराम के दौरान भी हमले जारी रहे. ज़ेलेंस्की ने नागरिक ठिकानों की रक्षा के लिए 30 दिन के युद्धविराम की मांग रखी, लेकिन उन्होंने पुतिन की वार्ता पेशकश का जवाब सीधे तौर पर नहीं दिया. लंदन में आगामी वार्ता के लिए उन्होंने एक प्रतिनिधिमंडल भेजने की बात कही है, जिसमें अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन भी शामिल होंगे.

संघर्ष लगातार है जारी

ईस्टर युद्धविराम के दौरान दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर भारी उल्लंघन के आरोप लगाए. यूक्रेन ने करीब 3000 उल्लंघनों की बात की, जबकि रूस ने 444 बार गोलीबारी और 900 ड्रोन हमलों का दावा किया. इससे यह स्पष्ट होता है कि जमीनी स्तर पर संघर्ष अब भी उतना ही उग्र है, और किसी भी वार्ता की सफलता इस पर निर्भर करेगी कि दोनों पक्ष युद्ध को वाकई रोकना चाहते हैं या नहीं.

क्या दोनों एक टेबल पर आएंगे?

युद्धविराम और वार्ता की पहल जितनी सकारात्मक दिखती है, उतनी ही जटिल है उसकी असल रूपरेखा. रूस चाहता है कि यूक्रेन उसकी कब्ज़ाई ज़मीनें स्वीकारे और तटस्थता अपनाए, जिसे ज़ेलेंस्की "आत्मसमर्पण" की तरह देखते हैं. यह असहमति इस शांति प्रक्रिया की सबसे बड़ी बाधा है. आने वाले दिनों में यह साफ़ होगा कि क्या दोनों देश वार्ता की मेज़ पर समाधान खोजने आए हैं, या सिर्फ़ अंतरराष्ट्रीय दबाव को टालने के लिए.

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