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2,700 साल पहले सौर तूफान ने पृथ्वी पर मचाई थी तबाही! पेड़-पौधे के छल्लों ने खोलें कई राज

Massive solar storm: प्राचीन वृक्ष के छल्लों के माध्यम से 664-663 ईसा पूर्व के एक विशाल सौर तूफान का पता चला है, जिससे सालों पहले अंतरिक्ष में हुए उथल-पुथल के बारे में पता चलता है और इस पर से कई राज उठते नजर आते हैं.

2,700 साल पहले सौर तूफान ने पृथ्वी पर मचाई थी तबाही! पेड़-पौधे के छल्लों ने खोलें कई राज
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Massive solar storm
सचिन सिंह
Edited By: सचिन सिंह

Updated on: 30 Nov 2024 5:25 PM IST

Massive solar storm: सौर मंडल में उठे तूफान का असर पृथ्वी पर भी हो सकता है. इसे लेकर चर्चा चल ही रही थी कि वैज्ञानिकों ने 664-663 ईसा पूर्व के आसपास यानी कि 2,700 साल पहले पृथ्वी पर आए एक विशाल सौर तूफान का सबूत ढूंढ लिया है, जहां उस समय मची तबाही में नष्ट हुए पेड़-पौधों के छल्ले मिले हैं.

कम्युनिकेशंस अर्थ एंड एनवायरनमेंट में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, एरिज़ोना विश्वविद्यालय के रिसर्चर्स ने कहा कि इस मियाके घटना ने प्राचीन पेड़-पौधों के छल्लों में निशान छोड़े हैं. ये आने वाले समय में समाजों के लिए ऐसे तूफानों से उत्पन्न संभावित खतरों से आगाह करते हैं.


क्या हैं मियाके इवेंट?

जापानी भौतिक विज्ञानी फुसा मियाके के नाम पर मियाके इवेंट की विशेषता रेडियोकार्बन आइसोटोप में तेज वृद्धि है, जिन्होंने 2012 में पहली बार इनकी पहचान की थी. ये घटनाएं अत्यंत दुर्लभ हैं, पिछले 14,500 सालों में केवल छह बार ही इसकी पुष्टि हुई है. सबसे हाल ही में साइबेरिया से पेड़-छल्ले के नमूनों में इसका पता चला था, जो प्राचीन सौर गतिविधि के बारे में सबूत देता है.

रेडियोकार्बन तब बनता है, जब ब्रह्मांडीय विकिरण वायुमंडल में नाइट्रोजन के साथ संपर्क करता है, जो आखिर में कार्बन डाइऑक्साइड में बदल जाता है, जिसे पेड़ प्रकाश संश्लेषण के दौरान अवशोषित करते हैं. डॉ. पन्यूश्किना ने एक बयान में बताया कि कार्बन-14 लकड़ी के हिस्से के रूप में पेड़ के छल्लों में प्रवेश करता है, जो साल दर साल सौर गतिविधि को रिकॉर्ड करता है.


पेड़ों और बर्फ के टुकड़ों से मिले सबूत

रिसर्च टीम ने ध्रुवीय क्षेत्रों से बर्फ के कोर में बंद बेरिलियम-10 आइसोटोप के साथ ट्री-रिंग डेटा की तुलना की है. दोनों आइसोटोप बढ़ी हुई सौर गतिविधि के दौरान बढ़ते हैं, जो पिछली घटनाओं का दोहरा रिकॉर्ड मिला.

रिसर्च टीम ने डेटा का मिलान करके इस घटना के लगभग 2,700 साल पहले होने का पता लगाया. डॉ. पन्यूश्किना ने एक अन्य बयान में कहा कि ध्रुवीय बर्फ में बेरिलियम-10 के साथ-साथ पेड़ों के छल्लों में रेडियोकार्बन का विश्लेषण करके वे इन दुर्लभ सौर तूफानों के समय की पुष्टि कर सकते हैं.

आने वाले समय के लिए चेतावनी

दिलचस्प होते हुए भी ऐसी घटनाएं आज की तकनीक-निर्भर दुनिया को तबाह कर सकती हैं. वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि अगर इस तरह का तूफान अभी आता है, तो सैटेलाइट नेटवर्क, पावर ग्रिड और संचार प्रणाली को बहुत बड़ा खतरा हो सकता है.

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