भारत में बाघों के संरक्षण की लड़ाई को नई दिशा देने वाले 'टाइगर मैन' वाल्मिक ठाकुर का 73 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. उन्होंने अपने जीवन के चार दशक वन्यजीवों और विशेषकर बाघों के संरक्षण के लिए समर्पित कर दिए. वाल्मिक ठाकुर का रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान से गहरा रिश्ता था, जहां उन्होंने बाघों की गतिविधियों पर न केवल बारीकी से अध्ययन किया, बल्कि कई डॉक्युमेंट्री, किताबें और रिपोर्ट भी लिखीं. उन्होंने भारत सरकार के कई बाघ परियोजनाओं में सलाहकार की भूमिका निभाई. उनका जाना सिर्फ एक प्रकृति प्रेमी का नहीं, बल्कि एक युग का अंत है, जिसने भारत में वाइल्डलाइफ संरक्षण की सोच को एक नई दिशा दी.