अक्सर आपने देश ही नहीं, कई विदेशी नेताओं को भी कहते सुना होगा कि आतंकवा का कोई मजहब नहीं होता, लेकिन पहलगाम में जो कुछ भी हुआ, उसे देखकर हम आपसे कहना चाहते हैं, जी हां- आतंकवाद का धर्म होता है. अगर आपका धर्म अपने से गैर मजहब, गैर पंथ, गैर कौम, परधर्म को "काफ़िर", "नास्तिक", "गुमराह", "शिर्क करने वाला" कहता है… और उन्हें खत्म करने की इजाजत देता है, अगर आपके धर्मगुरु माइक पर चढ़कर कहते हैं कि "जो हमारे रास्ते पर नहीं, वो काफ़िर है, और काफ़िर को मारने वाला जन्नती है," तो हां – आतंकवाद का धर्म होता है.