देहरादून में त्रिपुरा के 24 वर्षीय छात्र एंजेल चकमा की मौत ने एक बार फिर देश के विभिन्न हिस्सों में पढ़ाई कर रहे पूर्वोत्तर भारत के छात्रों की सुरक्षा और उनके साथ होने वाले भेदभाव को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. यह मामला न केवल एक छात्र की असमय मौत का है, बल्कि उस व्यापक सामाजिक चिंता को भी उजागर करता है, जिससे दूर-दराज से आए छात्र अक्सर जूझते हैं. देहरादून में एमबीए की पढ़ाई कर रहे एंजेल चकमा 16 दिनों तक अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष करते रहे, लेकिन 26 दिसंबर को उन्होंने दम तोड़ दिया। इस घटना के बाद राजनीतिक दलों, छात्र संगठनों और सामाजिक संस्थाओं ने मामले में सख्त कार्रवाई और छात्रों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की है.