Begin typing your search...

किसी के बच्चे विदेश में, किसी के अब.. दीवाली पर वृद्धाश्रम के बुजुर्गों की आंखों में उम्मीद और यादों का जल रहा दीया

X
Old Age Home Emotional Story | Diwali Emotional Story | Vridh Ashram | Sad Stories | Ground Report

दीवाली रोशनी और खुशियों का त्योहार है, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनकी ज़िंदगी इस रोशनी में भी तन्हाई के साए से घिरी हुई है. एक वृद्धाश्रम में रह रहे बुजुर्गों की कहानी दिल छू लेने वाली है. कोई अपने बच्चों के विदेश चले जाने की वजह से अकेला रह गया है, तो कोई उन अपनों की यादों में खोया है जो अब इस दुनिया में नहीं हैं. इन बुजुर्गों में कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने कभी अपने जीवन में सब कुछ देखा- पैसा, पद, सम्मान... लेकिन अब उनके साथ सिर्फ यादें हैं. फिर भी इनकी आंखों में दीवाली की एक छोटी-सी उम्मीद चमकती है कि शायद इस बार कोई आकर 'दीवाली मुबारक' कह दे. वृद्धाश्रम में दीवाली की तैयारियां चल रही हैं. स्टाफ और कुछ समाजसेवी मिलकर बुजुर्गों के लिए दीये जला रहे हैं, मिठाइयां बांट रहे हैं, लेकिन हर मुस्कान के पीछे एक अधूरी कहानी है, उस बेटे की, जो वर्षों से मिलने नहीं आया; उस बेटी की, जिसकी आवाज़ अब फोन पर भी सुनाई नहीं देती. यह रिपोर्ट सिर्फ एक वृद्धाश्रम की नहीं, बल्कि उस सच्चाई की झलक है जो हमारे समाज में बढ़ती जा रही है, जहां बुजुर्गों की तन्हाई सबसे बड़ी सज़ा बन चुकी है. यह कहानी आपको सोचने पर मजबूर कर देगी कि आखिर दीवाली की असली रोशनी क्या सिर्फ घरों में जगमगाने वाले दीयों में है, या फिर उन आंखों में जो अब भी किसी अपनापन भरे स्पर्श की राह देख रही हैं.


India News
अगला लेख