बांग्लादेश में भड़क रही आग को केवल भारत में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मिली राजनीतिक शरण से जोड़कर देखना एक बड़ी भूल होगी. मौजूदा हालात कहीं ज़्यादा गहरे, खतरनाक और रणनीतिक संकेतों से भरे हुए हैं। आज जो बांग्लादेश जल रहा है, उसे जब तक अपनी बर्बादी की असली वजह समझ में आएगी, तब तक हालात उसके हाथ से पूरी तरह निकल चुके होंगे. इस पूरे घटनाक्रम पर भारत की चुप्पी को कमजोरी या मजबूरी समझना भी भारी भूल साबित हो सकती है. भारत इस समय जानबूझकर खामोश है—और रणनीतिक मामलों में भारत की यह खामोशी अक्सर बड़े एक्शन से पहले का संकेत रही हैं. इन तमाम मुद्दों पर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के पूर्व महानिरीक्षक और कोबरा कमांडो फोर्स के वरिष्ठ अधिकारी रहे के.के. शर्मा ने बेहद अहम और बेबाक बातें कहीं हैं. के.के. शर्मा जम्मू-कश्मीर और भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में कई अत्यंत संवेदनशील और खतरनाक ऑपरेशनों का नेतृत्व कर चुके हैं, वह भी बिना किसी नुकसान के... सुरक्षा, उग्रवाद और अंतरराष्ट्रीय साजिशों को लेकर उनका अनुभव बेहद गहरा माना जाता है. स्टेट मिरर हिंदी के एडिटर (क्राइम इन्वेस्टिगेशन) संजीव चौहान से एक्सक्लूसिव बातचीत में के.के. शर्मा ने कहा कि बांग्लादेश में जो कुछ हो रहा है, वह स्वतःस्फूर्त नहीं है. इसके पीछे सुनियोजित अस्थिरता, कट्टरपंथी ताकतों का उभार और बाहरी शक्तियों का दखल साफ़ देखा जा सकता है. उन्होंने आगाह किया कि अगर इन घटनाओं को केवल आंतरिक राजनीतिक संकट मानकर नज़रअंदाज़ किया गया, तो इसका असर पूरे दक्षिण एशिया की सुरक्षा संरचना पर पड़ेगा.