असदुद्दीन ओवैसी, जिन्हें अक्सर बीजेपी की ‘बी-टीम’ कहा जाता है, बिहार विधानसभा चुनाव में अपनी छवि बदलने की कोशिश में हैं. शायद यही वजह है कि जिस राष्ट्रीय जनता दल ने उनके 5 में से 4 विधायक छीन लिए थे, वह बार-बार उसी के साथ गठबंधन करने को बेताब दिखते हैं. तो क्या एआईएमआईएम अब केवल अल्पसंख्यक राजनीति तक सीमित नहीं रहना चाहती, बल्कि व्यापक मुद्दों पर जनता को जोड़ने की रणनीति बना रही है. सवाल यह है कि क्या ओवैसी वाकई बिहार की राजनीति में खुद को एक विश्वसनीय विकल्प साबित कर पाएंगे या फिर एक बार फिर वोटकटवा की छवि में ही सिमटकर रह जाएंगे.