बिहार के चुनावी शोर में एक ऐसी सच्चाई छिपी है जो न केवल शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाती है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को भी दांव पर लगाती है. हमारी ग्राउंड रिपोर्ट 'Bihar Mein Chunav Hai' के इस एपिसोड में हम उस गांव ब्लॉक में पहुंचे, जहां क्लास 5 के बाद एक भी सरकारी स्कूल नहीं है. नतीजा - गांव के बच्चे निजी कोचिंग सेंटरों पर निर्भर हैं, जिन्हें कोई भी चला रहा है. कई बार तो 10वीं के छात्र ही छोटे बच्चों को पढ़ाते दिखे. हमने जिन कोचिंग सेंटरों का दौरा किया, उनमें से एक में एक समर्पित निजी शिक्षक बच्चों को पढ़ाने की पूरी कोशिश कर रहे थे, लेकिन हालात फिर भी आदर्श से कोसों दूर हैं. गहराई में जाने पर ऐसे कई दिल दहला देने वाले किस्से सामने आए जो बताते हैं कि बिहार की ढहती शिक्षा व्यवस्था बच्चों के सपनों को किस तरह कुचल रही है. यह सिर्फ चुनावी मुद्दा नहीं - यह एक जनरेशन क्राइसिस है. सही संसाधन नहीं मिलने के बाद इस छोटे से बच्चे की अंग्रेजी सुन आप भी कह उठेंगे - गजब!