विधवा महिला ने जिंदगी को दिया दूसरा मौका! लिव-इन रिलेशनशिप के लिए कराया रजिस्ट्रेशन, जानें कितने कपल कर चुके हैं अप्लाई
उत्तराखंड में लिव-इन रिलेशनशिप को रजिस्टर करवाने पर खूब बवाल मचा था. इसके बावजूद अब लोग सामने आ रहे हैं और सरकार को इस बारे में जानकारी दे रहे हैं. हाल ही में एक विधवा ने लिव-इन रिलेशनशिप के लिए अप्लाई किया है.

उत्तराखंड में यूसीसी कानून लागू हो चुका है, जिसके तहत लिव-इन रिलेशनशिप को रिजस्टर करवाना जरूरी है. अगर कोई ऐसा नहीं करता है, तो उसे जुर्माने के साथ-साथ जेल हो सकती है. ऐसे में हल्द्वानी से एक विधवा महिला ने अपने पार्टनर के साथ लिव-इन रिलेशनशिप रजिस्टर करवाया है.
यह रजिस्ट्रेशन 4 अप्रैल को हुआ, इस पर एसडीएम ने बताया कि वह इस डिवीजन में लिव-इन रिलेशनशिप को रजिस्टर कराने वाली पहली महिला है. चलिए जानते हैं यूसीसी कानून से जुड़ी बातें.
कैसे करें अप्लाई
27 जनवरी को यूसीसी पोर्टल लॉन्च हुआ था. लिव इन रिलेशनशिप को रजिस्टर करवाने के लिए ऑनलाइन फॉर्म भरना पड़ता है, जिसे 30 दिन के अंदर रिजेक्ट या एक्सेप्ट करना होता है. अभी तक 21 कपल ने रजिस्ट्रेशन करवाया है.
यूसीसी पर सरकार की दलील
यूसीसी रजिस्ट्रेशन को आधार से जोड़ने पर भी सरकार ने बताया कि इससे किसी तरह की कोई निगरानी नहीं होगी. इसे बेतुकी बात बताया है. सरकार का कहना है कि जानकारी केवल रिकॉर्ड बनाए रखने के लिए है. यह सब कुछ साइलो में पैक होता है, जिन्हें इन्हें मर्ज करना मना है.
लिव-इन रिलेशनशिप
लिव-इन रिलेशनशिप रजिस्ट्रेशन पर सरकार का कहना है कि यह कानून इसलिए लाया गया है, ताकि किसी के साथ अपराध न हो. साथ ही, भविष्य में होने वाले अपराध से भी रोका जा सके. राज्य ने यह भी दावा किया है कि शादी से जन्मे बच्चे और छोड़े गई महिलाओं के हितों पर बात करने में कमी है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ऐसे बच्चों को नाजायज नहीं माना जा सकता है, लेकिन डॉक्यूमेंट्स न होने के कारण पैटरनिटी और इनहेरिटेंस को साबित करने में परेशानी आती है. इस चीज पर यूसीसी कानून बात करेगा.