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उत्तराखंड में पति को गांव में छोड़ बच्चों के साथ शहर भाग रही महिलाएं, जानें क्यों पलायन को मजबूर हुए लोग

Dehradun News: भारत-चीन सीमा के पास ऊंचाई पर स्थित गांव की महिलाएं अपने बच्चों के साथ शहर की ओर पलायन कर रही हैं. कई महिलाएं बहुत पहले ही उत्तरकाशी और देहरादून रहने चली गई हैं. स्थानीय स्कूल में व्यवस्था बहुत खराब है और बच्चे शहर की ओर भाग रहे हैं. अनुप्रिया रावत ने कहा, वह गांव छोड़कर अपने बच्चों के साथ देहरादून में रहती हैं.

उत्तराखंड में पति को गांव में छोड़ बच्चों के साथ शहर भाग रही महिलाएं, जानें क्यों पलायन को मजबूर हुए लोग
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( Image Source:  canava )
निशा श्रीवास्तव
Edited By: निशा श्रीवास्तव

Published on: 31 March 2025 4:00 PM

Dehradun News: प्राकृतिक की गोद में बसा उत्तराखंड देश के सबसे खूबसूरत पहाड़ी राज्यों में से एक है. यह राज्य अपनी मनमोहक वादियों और फेमस टूरिस्ट प्लेस के लिए जाना जाता है. इस बीच एक बेहद हैरान देने वाला मामला सामने आया है. भारत-चीन सीमा के पास उत्तरकाशी में ऊंचाई पर स्थित गांव वाले पलायन को मजबूर हो रहे हैं.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, गांव में रहने वाली महिलाएं अपने बच्चों के साथ शहर में रहने जा रही हैं. इतने लोग को पहले ही गांव से पलायन कर चुके हैं. सुविधाओं के अभाव की वजह से उन्हें यह कदम उठाना पड़ा. स्थानीय स्कूल में व्यवस्था बहुत खराब है और बच्चे शहर की ओर भाग रहे हैं.

क्यों कर रहे लोग पलायन?

रिपोर्ट के मुताबिक, गांव में हरसिल, धराली, मुखबा, बागोरी, झाला, सुखी, जसपौर और पुराली में महिलाएं और बच्चों आबादी संख्या लगातार कम होती जा रही है. सुविधाओं की इतनी कमी है कि उन्हें काम छोड़ना पड़ रहा है. जिससे वह शहर जाकर आराम से अपना जीवन व्यतीत कर सकें. गांव में सबसे ज्यादा शिक्षा व्यवस्था खराब है, जो कि बच्चों के भविष्य के बड़ी चुनौती बन सकता है. यहां के लोग देहरादून और उत्तरकाशी जैसे शहरों में जाकर रह रहे हैं.

गांव वालों ने बताई समस्या

  • TOI से बात करते हुए हरसिल निवासी अनुप्रिया रावत ने कहा, वह गांव छोड़कर अपने बच्चों के साथ देहरादून में रहती हैं. उन्होंने कहा कि मैं अपने पति से दूर शहर में अकेले नहीं करना चाहती, लेकिन हमें अपने बच्चों के भविष्य को देखते हुए यह कदम उठाना पड़ा. उनके साथ बहुत की महिलाओं ने गांव छोड़ दिया है.
  • हरसिल निवासी माधवेंद्र रावत ने कहा, अपनी पत्नी से अलग रहना मुश्किल है, लेकिन बच्चों की शिक्षा के लिए सब करना पड़ रहा है. अच्छी बात यह है कि हम आर्थिक रूप से स्वतंत्र हो रहे हैं. हालांकि त्योहार परिवार के बिना अच्छे नहीं लगते हैं, लेकिन मजबूरी में सब करना पड़ता है.
  • गांव में स्कूल से हालात बिल्कुल खराब है, प्रशासन की ओर से इस समस्या का समाधान नहीं निकल पा रहा है. आठ गांवों में सिर्फ एक इंटर स्कूल है. कई बस्तियों में एक हाई स्कूल जबकि बागोरी में तो एक भी नहीं है. मामूली जरूरतों को पूरा करने में भी स्कूल प्रशासन फेल हो गया है.
  • धराली की आशा पंवार का कहना है कि वह पिछले कई सालों से बच्चों के लिए उत्तरकाशी में रह रही हैं. क्योंकि गांव के स्कूलों में स्वच्छता की कमी और शिक्षकों का ना आना बड़ी समस्या है. उनके पति गांव में रहते हैं, लेकिन वह बच्चों की पढ़ाई के लिए शहर आ गईं. इस वजह से करीब सभी गांव में बेटी-बहू और बच्चे नहीं दिख रहे हैं.
उत्तराखंड न्‍यूज
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