Begin typing your search...

निगम की मनमानी फेल, अब उत्तराखंड में बिजली नहीं होगी महंगी, आयोग ने यूपीसीएल की 674 करोड़ की मांग ठुकराई

उत्तराखंड राज्य में बिजली महंगी करने की निगम की मांग को राज्य विद्युत नियामक आयोग ने खारिज कर दिया है. यूपीसीएल ने 674 करोड़ रुपये बढ़ाकर टैरिफ बढ़ाने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन आयोग ने इसे उचित न मानते हुए ठुकरा दिया

निगम की मनमानी फेल, अब उत्तराखंड में बिजली नहीं होगी महंगी, आयोग ने यूपीसीएल की 674 करोड़ की मांग ठुकराई
X
( Image Source:  Canva )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 5 Sept 2025 8:11 PM IST

उत्तराखंड के बिजली उपभोक्ताओं के लिए राहत की खबर है. अब राज्य में बिजली के दाम बढ़ने की चिंता खत्म हो गई है. उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने यूपीसीएल (उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड) की याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें कंपनी ने 674.77 करोड़ रुपये की कैरिंग कॉस्ट की मांग की थी.

आयोग ने साफ कहा कि यूपीसीएल ने इस याचिका में कोई नया तथ्य नहीं पेश किया है और न ही कोई ठोस गलती बताई गई है. इसके अलावा पुनर्विचार का कोई वैध आधार भी नहीं है. यही कारण है कि आयोग ने इस याचिका को पूरी तरह खारिज कर दिया. इससे साफ है कि नियामक संस्था ने उपभोक्ताओं के हित को प्राथमिकता दी और निगम की मांगों को मान्यता नहीं दी

याचिका क्यों दाखिल हुई थी?

11 अप्रैल को आयोग ने नया टैरिफ आदेश जारी किया था. इसके खिलाफ यूपीसीएल ने पुनर्विचार के लिए याचिका दायर की. कंपनी का कहना था कि उसके खर्च पूरे करने के लिए 674.77 करोड़ रुपये चाहिए. इसके अलावा यूपीसीएल ने 129.09 करोड़ रुपये के डिले पेमेंट सरचार्ज (DPS) को टैरिफ में शामिल न करने की भी मांग की थी.

मांग का कोई ठोस आधार नहीं

आयोग ने कहा कि यूपीसीएल की इन मांगों का कोई औचित्य नहीं है. आयोग के अध्यक्ष एम.एल. प्रसाद और सदस्य विधि अनुराग शर्मा ने साफ कहा कि सरकार हो या उपभोक्ता. सभी के लिए एक समान नियम हैं. ऐसे में डिले पेमेंट सरचार्ज (डीपीएस) को टैरिफ का हिस्सा माना जाएगा. इससे उपभोक्ताओं को फायदा ही होगा क्योंकि टैरिफ कम होता है.

बिजनेस प्लान पर भी सख्ती

आयोग ने यूपीसीएल के अगले तीन साल के बिजनेस प्लान पर कड़ा रुख अपनाया. यूपीसीएल ने कहा था कि 2025-26 में उसका लाइन लॉस 13.50 प्रतिशत होगा, लेकिन आयोग ने इसे घटाकर 12.75 प्रतिशत तय किया. 2026-27 में यूपीसीएल ने 13.21 प्रतिशत का अनुमान लगाया, जिसे आयोग ने 12.25 प्रतिशत किया. वहीं 2027-28 में 12.95 प्रतिशत का दावा भी आयोग ने घटाकर 11.75 प्रतिशत कर दिया. यानी निगम को अगले तीन साल में लाइन लॉस को 11.75 प्रतिशत तक लाना होगा.

पुराने आंकड़े रहे निराशाजनक

आयोग ने यह भी साफ किया कि यूपीसीएल पिछले तीन सालों में अपने निर्धारित लक्ष्य पूरे नहीं कर पाया. 2021-22 में लक्ष्य 13.75 प्रतिशत था, लेकिन वास्तविक नुकसान 14.70 प्रतिशत हुआ. 2022-23 में 13.50 प्रतिशत के लक्ष्य के मुकाबले 16.39 प्रतिशत नुकसान दर्ज किया गया. वहीं 2023-24 में 13.25 प्रतिशत के लक्ष्य के मुकाबले 15.63 प्रतिशत नुकसान हुआ. इन आंकड़ों से साफ है कि यूपीसीएल अपने तय किए गए मानकों पर खरा नहीं उतर पाया.

जनसुनवाई में विरोध

यूपीसीएल की इस याचिका पर 5 अगस्त को जनसुनवाई भी हुई थी. उस दौरान उपभोक्ताओं और हितधारकों ने इसका विरोध जताया था. लोगों का कहना था कि निगम अपनी खामियों का बोझ आम जनता पर डालना चाहता है. आयोग ने भी इस तर्क को गंभीरता से लिया.

उत्तराखंड न्‍यूज
अगला लेख