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पोलिंग बूथ पर गुंडागर्दी और किडनैपिंग! जानें जिला पंचायत अध्यक्ष पद चुनाव कैसे बना जंग का मैदान

Zila Panchayat Election: 14 अगस्त को नैनीताल में जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव हुए. वोटिंग के दौरान दो पक्षों में हिंसक झड़प हुई. भाजपा की दीपा धरमवाल को एक वोट की बढ़त से जीत मिली, लेकिन कांग्रेस ने परिणाम को हाई कोर्ट में चुनौती दी है.

पोलिंग बूथ पर गुंडागर्दी और किडनैपिंग! जानें जिला पंचायत अध्यक्ष पद चुनाव कैसे बना जंग का मैदान
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( Image Source:  canava, @SachinGuptaUP )

Zila Panchayat Election: उत्तराखंड के नैनीताल में 14 अगस्त को जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव हुए. वोटिंग के दौरान दो पक्षों में हिंसक झड़प हुई, जिसने राज्य में राजनीतिक सियासत को बढ़ा दिया है. अब मामला कोर्ट तक पहुंच गया है.

मतदान के दौरान गुंडों ने हथियार दिखाते हुए कांग्रेस समर्थक पांच पंचायत सदस्यों का कथित अपहरण, हिंसा और फायरिंग जैसी घटनाओं को अंजाम दिया. विवाद बढ़ने के बाद हाई कोर्ट ने हस्तक्षेप किया है.

कोर्ट में मामले की सुनवाई

अदालत ने SSP पीएन मीना को उनके लापरवाह रवैए के लिए फटकार लगाई और उन्हें ट्रांसफर किए जाने की सिफारिश की. साथ ही DGP और गृह सचिव को इस गन कल्चर समस्या से निपटने में शामिल करने के निर्देश दिए गए.

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी एक स्वतंत्र मजिस्ट्रियल जांच और आपराधिक शाखा (CID) द्वारा मामले की सुनवाई का आदेश दिया. वहीं भाजपा की दीपा धरमवाल को एक वोट की बढ़त से जीत मिली, लेकिन कांग्रेस ने परिणाम को हाई कोर्ट में चुनौती दी है.

कांग्रेस ने भाजपा पर लगाया आरोप

कांग्रेस उम्मीदवार पुष्पा नेगी ने आरोप लगाया कि स्वतंत्र और निष्पक्ष मतदान नहीं हुए हैं. सहायक निर्वाचन अधिकारी ने पक्षपात का संकेत दिया है. कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि हर वोट मायने रखता है. राज्य और राज्य चुनाव आयोग की ओर ने कहा गया कि चुनाव, स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से होंगे.

कैसे बढ़ा विवाद?

14 अगस्त की सुबह जिला पंचायत के 27 सदस्य वोट डालने के लिए इकट्ठा हुए. इस दौरान तलवारों, बंदूकों से लैस 10 से ज्यादा लोगों ने उन पर हमला कर दिया. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि जब उसने जवाबी कार्रवाई करने की कोशिश की तो उसके समर्थक 5 सदस्यों को अगवा कर लिया गया.

कांग्रेस सदस्य पूनम बिष्ट ने बताया कि वे सुबह करीब 10:30 बजे मतदान केंद्र की ओर जा रही थीं तभी उन्होंने भारी भीड़ देखी. बिष्ट कहती हैं, अचानक, रेनकोट पहने कुछ लोग आए और हमसे आगे चल रहे पांच लोगों को घसीटकर ले गए.

उनके पास तलवारें और बंदूकें थीं, और हमें समझ नहीं आ रहा था कि हम क्या करें. एक घंटे बाद, हमने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया क्योंकि उसके आदेशों के बावजूद ऐसा हो रहा था. फिर अदालत ने सदस्यों को स्वतंत्र रूप से मतदान करने की अनुमति देने के लिए सुरक्षा का आदेश दिया.

उत्तराखंड न्‍यूज
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