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36 घंटे बाद खुला गंगोत्री हाईवे, दूध-सब्ज़ी और गैस पहुंचने से मिली राहत; आपदा के बाद कैसा है उत्तरकाशी का हाल?

स्थिति को और चुनौतीपूर्ण बना रहा है खराब मौसम. पिछले दो दिनों से मातली और चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी से हेलीकॉप्टर सेवा बंद है. मौसम साफ न होने की वजह से न तो राहत सामग्री पहुंचाई जा सकी और न ही फंसे हुए लोगों को बाहर निकाला जा सका.

36 घंटे बाद खुला गंगोत्री हाईवे, दूध-सब्ज़ी और गैस पहुंचने से मिली राहत; आपदा के बाद कैसा है उत्तरकाशी का हाल?
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रूपाली राय
Edited By: रूपाली राय

Updated on: 19 Aug 2025 7:18 AM IST

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में लगातार हो रही बारिश और भूस्खलन ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है. गंगोत्री हाईवे बार-बार मलबा और पत्थर गिरने से बाधित हो रहा है, जिसकी वजह से जिले के कई हिस्सों का संपर्क पूरी तरह कट चुका है. इसका सीधा असर लोगों की रोज़मर्रा की ज़रूरतों पर पड़ा है. दूध, सब्ज़ी, फल और गैस जैसी जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति रुकने से आम लोगों के साथ-साथ व्यापारी भी बेहद परेशान हैं.

नालूपानी के पास हाईवे बंद होने से उत्तरकाशी नगर समेत आस-पास के क्षेत्रों में खाद्य सामग्री की किल्लत गहराने लगी थी. दुकानों में दूध खत्म हो गया था और सब्ज़ियों की कीमतें बढ़ गई थी. करीब 36 घंटे तक जाम रहने के बाद जब सोमवार शाम हाईवे सुचारू हुआ, तब जाकर लोगों ने राहत की सांस ली. रास्ते में फंसे दूध, फल-सब्ज़ी और गैस सिलेंडर से भरी गाड़ियां उत्तरकाशी पहुंच सकीं, जिससे बाज़ार में थोड़ी रौनक लौटी.

डबरानी से हर्षिल-धराली के मार्ग बंद

हालांकि, राहत अभी अधूरी है, डबरानी से हर्षिल-धराली तक का मार्ग अब भी बंद है. इस वजह से आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्य बाधित हो रहा है. डबरानी क्षेत्र में लगातार हो रहे भूस्खलन ने हालात को और गंभीर बना दिया है. सड़क के कई हिस्से बह गए हैं डबरानी के आगे करीब 300 मीटर तक सड़क ध्वस्त हो चुकी है, जबकि सोनगाड़ के पास लगभग 400 मीटर सड़क पूरी तरह बह गई है. इन हालातों में ग्रामीणों का जिला मुख्यालय से संपर्क कट चुका है, जिससे गांवों में दिक्कतें और बढ़ गई हैं.

खाने की कमी से जूझ रहे लोग

स्थिति को और चुनौतीपूर्ण बना रहा है खराब मौसम. पिछले दो दिनों से मातली और चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी से हेलीकॉप्टर सेवा बंद है. मौसम साफ न होने की वजह से न तो राहत सामग्री पहुंचाई जा सकी और न ही फंसे हुए लोगों को बाहर निकाला जा सका. धराली और हर्षिल में राहत कार्य में जुटी टीमें भोजन और जरूरी सामान की कमी से जूझ रही हैं. जानकारी के अनुसार, राहत और बचाव कार्य में जुटे करीब 350 से ज्यादा जवान इस समय राशन और गैस सिलेंडर की कमी झेल रहे हैं. डबरानी से गैस सिलेंडर की कुछ खेप हर्षिल-मुखबा तक भेजी गई है, लेकिन यह वहां की वास्तविक जरूरत के मुकाबले बेहद कम है. प्रभावित इलाकों में तैनात जवानों और स्थानीय लोगों के सामने भोजन और ईंधन दोनों की गंभीर समस्या खड़ी हो गई है.

हो रही है वैकल्पिक मार्ग बनाने की कोशिश

प्रशासन का कहना है कि सड़क बहने और लगातार मलबा गिरने की वजह से बीआरओ की मशीनरी को मार्ग खोलने में कठिनाई हो रही है. जहां-जहां सड़क बह चुकी है, वहां वैकल्पिक मार्ग बनाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन बारिश ने काम की रफ्तार बेहद धीमी कर दी है. हेलीकॉप्टर सेवा शुरू न होने से राशन और सिलेंडर की आपूर्ति लगभग ठप है, जिससे हालात और बिगड़ सकते हैं. स्थानीय लोग अब भी सहमे हुए हैं। रोज़मर्रा की जिंदगी प्रभावित है और पहाड़ों पर बसे गांवों तक जरूरी सामान पहुंचना मुश्किल हो गया है. सबसे बड़ी चिंता यह है कि अगर मौसम इसी तरह खराब रहा, तो राहत कार्य पूरी तरह ठप हो जाएंगे और प्रभावित इलाकों में संकट और गहरा जाएगा.

उत्तराखंड न्‍यूज
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