कांवड़ियों की गुंडागर्दी पर उत्तराखंड HC सख्त, डीजीपी से पूछा सवाल- अब तक आपने क्या किया?
कांवड़ यात्रा शुरू हो चुकी है. जहां एक तरफ कांवड़ियों की गुंडागर्दी थमने का नाम नहीं ले रही है. सोशल मीडिया पर ऐसी कई वीडियोज वायरल हो रही हैं, जिसमें कांवड़ यात्री हिंसक होते नजर आ रहे हैं. इस पर उत्तराखंड की सरकार ने डीजीपी से सवाल पूछा कि 'आखिर वह कर क्या रहे हैं?'
सावन के पवित्र महीने में उत्तराखंड की सड़कों पर भगवा रंग में रंगे हज़ारों कांवड़िए दिखाई देने लगे हैं. ये श्रद्धालु गंगाजल लेने हरिद्वार से दूर-दूर के शहरों तक जाते हैं, लेकिन इस बार यात्रा की पवित्रता के साथ-साथ कुछ अशांत तस्वीरें भी सामने आ रही हैं. बीते कुछ दिनों में कई वीडियो सामने आई हैं जिनमें कुछ कांवड़ियों द्वारा तोड़फोड़ और अव्यवस्था फैलाने की घटनाएं देखी जा सकती हैं.
कहीं गाड़ियों के शीशे तोड़े गए. तो कहीं दुकानों में घुसकर लोगों को धमकाया गया. इस पर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने डीजीपी से सवाल किया कि आखिर वह क्या कर रहे हैं?
केएफसी में घुसकर दी धमकी
एक वीडियो में कुछ कांवड़िए एक केएफसी आउटलेट में घुसते हैं और वहां के स्टाफ को नॉनवेज न बेचने की धमकी देते हैं. यह वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ, और लोगों ने सवाल उठाए कि क्या 'क्या आस्था का मतलब डर फैलाना है?'
हाई कोर्ट का सवाल... आप क्या कर रहे हैं?”
इन घटनाओं पर उत्तराखंड हाई कोर्ट ने सख्ती दिखाई है. कोर्ट ने राज्य के डीजीपी से सवाल किया कि 'इस सब पर आप क्या कर रहे हैं?' कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए पुलिस और प्रशासन पर दबाव बढ़ रहा है.
सभी के लिए एक कानून
सिर्फ कांवड़ियों की बात नहीं – मुहर्रम में होने वाले उपद्रवों पर भी अक्सर सवाल उठते हैं. अब लोगों की एक ही मांग है कि 'चाहे कोई भी हो कांवड़ यात्री या मुहर्रम का जुलूस, अगर कोई शांति भंग करता है तो उस पर एक जैसी सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.'
कांवड़ यात्रा के बारे में
कांवड़ यात्रा एक पवित्र हिन्दू तीर्थयात्रा है, जो विशेष रूप से सावन महीने में की जाती है. इस दौरान लाखों श्रद्धालु हरिद्वार, गौमुख, गंगोत्री जैसे पवित्र स्थानों से गंगाजल लाकर अपने-अपने क्षेत्र के शिव मंदिरों में भगवान शिव को अर्पित करते हैं. कांवड़ यात्रा एक आस्था की यात्रा है, लेकिन अगर इसके नाम पर डर, धमकी और हिंसा फैलाई जाए, तो इसका पवित्र स्वरूप ही खत्म हो जाएगा. श्रद्धा तभी सच्ची है जब वह दूसरों के अधिकारों और कानून का सम्मान करे.





