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कौन थी कुसमा नाइन? फूलन देवी से बदला लेने के लिए बनी डकैत, 15 लोगों को लाइन में खड़ा कर की थी हत्या

कुख्यात डकैत कुसमा नाइन की इटावा जेल में इलाज के दौरान मौत हो गई. उसने बेहमई कांड के बाद बदला लेने के लिए डकैत बनकर बुंदेलखंड और मध्य प्रदेश में आतंक मचाया था. 15 मल्लाहों की हत्या के लिए कुख्यात कुसमा ने 2004 में सरेंडर किया था. टीबी से ग्रसित होने के कारण जेल में उसकी मृत्यु हुई.

कौन थी कुसमा नाइन? फूलन देवी से बदला लेने के लिए बनी डकैत, 15 लोगों को लाइन में खड़ा कर की थी हत्या
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नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Updated on: 3 March 2025 8:52 AM IST

इटावा जेल में उम्रकैद की सजा काट रही कुख्यात डकैत कुसमा नाइन ने शनिवार रात आखिरी सांस ली. जेल में तबीयत बिगड़ने के बाद उसे पहले इटावा जिला अस्पताल, फिर सैफई मेडिकल कॉलेज और आखिर में लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में भर्ती कराया गया था, जहां उसने दम तोड़ दिया.

एक वक़्त था जब कुसमा नाइन का नाम सुनते ही लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते थे. 1981 में जब फूलन देवी ने बेहमई नरसंहार में 22 लोगों को गोलियों से छलनी कर दिया था, तब लालाराम और उसकी प्रेमिका बन चुकी कुसमा ने बदला लेने की ठानी. फूलन के सरेंडर के बाद कुसमा नाइन का गैंग बुंदेलखंड और मध्य प्रदेश के बीहड़ों में सक्रिय हो गया.

खूनी खेल और आतंक का दौर

1984 में कुसमा ने अपने गैंग के साथ औरैया के अस्ता गांव में 15 मल्लाहों को लाइन में खड़ा कर गोलियों से भून दिया था. इतना ही नहीं, उसने गांव के कई घरों में आग भी लगा दी. कुसमा का गैंग किडनैप किए गए लोगों को लकड़ी से जलाने और हंटर से मारने के लिए कुख्यात था. कुसुमा का गिरोह अपराध के मामले में बहुत आगे थे, उन्होंने यूपी में करीब 200 से ज्यादा और एमपी में 35 से ज्यादा अपराध किए थे.

दो लोगों की निकाल ली थी आंख

साल 1996 की एक डरावनी रात जब इटावा जिले के भरेह इलाके में दहशत का साया था. कुख्यात डकैत कुसमा नाइन अपने गैंग के साथ वहां पहुंची, और उसने बेरहमी की सारी हदें पार कर दीं. संतोष और राजबहादुर नाम के दो मल्लाह उसकी क्रूरता का शिकार बने. उसने दोनों की आंखें निर्दयता से निकाल लीं, लेकिन उन्हें मौत नहीं दी बल्कि जिंदा छोड़ दिया, ताकि उनका दर्द और खौफ बाकी दुनिया तक पहुंचे. उस रात भरेह में चीखें गूंजी थीं, और कुसमा का खौफ और भी गहरा हो गया था.

चंबल की 'शेरनी' का अंत

2004 में भिंड के दमोह पुलिस स्टेशन में कुसमा ने अपने साथी राम आसरे उर्फ फक्कड़ के साथ सरेंडर कर दिया था. कई हत्याओं, लूट और अपहरण के मामलों में दोषी ठहराई गई कुसमा को उम्रकैद की सजा मिली. जेल में उसे टीबी हो गई, जो अंततः उसकी मौत का कारण बनी. एक समय जिस कुसमा नाइन का नाम सुनकर लोग कांप उठते थे, वही डकैत जेल की चारदीवारी में दम तोड़ गई.

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