मेरे पति के हत्यारों को मिट्टी में मिला दिया... कौन हैं पूजा पाल, जिन्हें सीएम योगी की तारीफ करने पर अखिलेश यादव ने सपा से निकाला?
समाजवादी पार्टी (SP) प्रमुख अखिलेश यादव ने पार्टी विधायक पूजा पाल को 'गंभीर अनुशासनहीनता और एंटी-पार्टी गतिविधियों' के आरोप में तत्काल प्रभाव से निष्कासित कर दिया. यह कदम उस समय आया जब पूजा पाल ने उत्तर प्रदेश विधानसभा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की 'जीरो टॉलरेंस' नीति और अपने पति राजू पाल के हत्या मामले में न्याय दिलाने के लिए उनकी सराहना की. राजू पाल की 2005 में गैंगस्टर अतीक अहमद द्वारा हत्या कर दी गई थी, और 2024 में सीबीआई कोर्ट ने सात आरोपियों को दोषी ठहराया.

समाजवादी पार्टी (SP) ने गुरुवार को विधायक पूजा पाल को पार्टी से तत्काल प्रभाव से निष्कासित कर दिया. यह कार्रवाई उस वक्त हुई, जब कुछ घंटे पहले ही पूजा पाल ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की खुलेआम प्रशंसा करते हुए कहा था कि उन्होंने उनके पति की हत्या के मामले में न्याय दिलाया और अपराधियों के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई.
SP प्रमुख अखिलेश यादव ने आधिकारिक बयान में कहा कि पूजा पाल लंबे समय से गंभीर अनुशासनहीनता और विरोधी गतिविधियों में शामिल थीं, जिसके चलते पार्टी को नुकसान हुआ. पूर्व में चेतावनी देने के बावजूद उन्होंने अपना रवैया नहीं बदला, इसलिए उन्हें पार्टी से निकालने का फैसला लिया गया। अब वे किसी भी पार्टी कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगी.
'मुख्यमंत्री ने मुझे न्याय दिलाया'
उत्तर प्रदेश विधानसभा में 'विजन डॉक्यूमेंट 2047' पर 24 घंटे की विशेष चर्चा के दौरान पूजा पाल ने कहा, “मेरे पति की हत्या किसने की, यह सब जानते हैं. मुख्यमंत्री ने मुझे न्याय दिलाया, जब कोई और मेरी बात सुनने को तैयार नहीं था. उन्होंने प्रयागराज में मेरे जैसी कई महिलाओं को न्याय दिलाया और अपराधियों को खत्म किया. आज पूरा प्रदेश उन पर भरोसा करता है.”
“मेरे पति के हत्यारे अतीक अहमद को मुख्यमंत्री ने मिट्टी में मिला दिया”
पूजा पाल ने आगे कहा, “मेरे पति के हत्यारे अतीक अहमद को मुख्यमंत्री ने मिट्टी में मिला दिया. मैंने तब आवाज़ उठाई, जब कोई भी अतीक जैसे अपराधी से लड़ने को तैयार नहीं था. जब मैं थकने लगी, तब मुख्यमंत्री ने मुझे न्याय दिलाया.”
राजू पाल की कब हुई हत्या?
पूर्व BSP विधायक राजू पाल की 25 जनवरी 2005 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. पुलिस के मुताबिक, यह हत्या राजनीतिक दुश्मनी के चलते हुई थी. 2004 के उपचुनाव में राजू ने अतीक अहमद के भाई अशरफ को हराकर प्रयागराज पश्चिम सीट जीती थी. 2016 में CBI ने केस की जांच अपने हाथ में ली. 2024 में CBI कोर्ट ने रंजीत पाल, आबिद, फरहान अहमद, इसरार अहमद, जावेद, गुलहसन और अब्दुल क़ावी को हत्या और आपराधिक साजिश के आरोप में दोषी ठहराया.
अतीक और अशरफ का अंत
फरवरी 2023 में इस केस के गवाह उमेश पाल की प्रयागराज में हत्या हुई. कुछ दिनों बाद पुलिस कस्टडी में मेडिकल चेकअप के लिए ले जाए जा रहे अतीक अहमद और अशरफ की कैमरे के सामने गोली मारकर हत्या कर दी गई. इससे पहले, अतीक का बेटा असद झांसी में पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था. न्यायिक आयोग ने इन हत्याओं में पूर्व-नियोजित साजिश या पुलिस लापरवाही की संभावना से इनकार किया. राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को भरोसा दिलाया कि जांच निष्पक्ष और पारदर्शी होगी.