बनारस के यूपी कॉलेज में हंगामे के पीछे की क्या है कहानी, क्यों शुरू हुई जमीन पर दावे की लड़ाई?
वाराणसी में उदय प्रताप कॉलेज की जमीन को लेकर छिड़ा विवाद बढ़ता जा रहा है. साल 2018 में वक्फ बोर्ड ने कॉलेज की जमीन पर अपना दावा ठोंका था. इस पर छात्रों में काफी गुस्सा है. कॉलेज परिसर में हजारों की तादात में नमाजियों ने नमाज पढ़ी, तो वहीं हिंदू छात्रों ने भी मजार और मस्जिद में जाकर हनुमान चालिसा का पाठ किया.

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में उदय प्रताप कॉलेज में जमीन को लेकर विवाद काफी बढ़ता जा रहा है. दरअसल वक्फ बोर्ड की ओर से कॉलेज की 115 साल पुरानी जमीन पर अपना दावा ठोंका है. इस दावे से कॉलेज के हजारों छात्रों में गुस्सा है. अब तक हजारों छात्र कॉलेज में विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं. ये प्रदर्शन इतना बढ़ चुका है कि छात्रों ने कॉलेज के अंदर स्थित मस्जिद और मजार में घुसकर हनुमान चालीसा का पाठ करने की कोशिश की.
वहीं इस बीच पुलिस द्वारा छात्रों को ऐसा करने से जब रोका गया तो वह कॉलेज के गेट के बाहर बैठकर हनुमान चालीसा कार पाठ करने लगे. वहीं इस पर विवाद गहराता जा रहा है. एक ओर हनुमान चालीसा का पाठ किया जा रहा है तो दूसरी ओर कॉलेज को नोटिस मिलने के बाद कॉलेज में करीब पांच सौ नमाजियों ने परिसर में घुसकर नमाज पढ़ने की कोशिश की थी. हालांकि इससे पहले तक ऐसा नहीं होता था इससे पहले सिर्फ चार से पांच लोग ही नमाज अदा करने कॉलेज परिसर में पहुंचते थे. इतनी बढ़ी संख्या से विवाद और ज्यादा बढ़ना शुरू हुआ. लेकिन आखिर अचानक इतना बवाल हो कैसे रहा है? क्यों अचानक छात्र गुस्सा हैं.
कॉलेज को जारी हुआ था नोटिस
दरअसल, संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान वक्फ बिल संशोधन की संभावनाओं के बीच वाराणासी स्थित 100 साल से भी अधिक पुराने उदय प्रताप कॉलेज को नोटिस जारी किया गया था, जिसमें कॉलेज को वक्फ बोर्ड की संपत्ति होने का दावा किया गया है. उदय प्रताप कॉलेज की जमीन पर मालिकाना हक जताते हुए इसे सुन्नी वक्फ बोर्ड से अटैच होने की बात कही गई है. वक्फ बोर्ड की इस दावे के बाद बवाल खड़ा हो गया. उदय प्रताप कॉलेज के छात्रों और स्टाफ ने इस पर आपत्ति जताई है. हालांकि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ इस कॉलेज को यूनिवर्सिटी का दर्जा देने की भी बात कह चुके है.
2018 में वक्फ बोर्ड ने भेजा था नोटिस
वहीं साल 2018 में जब कॉलेज को नोटिस भेजा गया था उस नोटिस में दावा किया गया था कि कॉलेज परिसर में तैयार हुई मस्जिद और कॉलेज की जमीन टोंक के नवाब ने वक्फ बोर्ड को दान में दी थी. इसलिए इस जमीन पर दावा ठोंका जा रहा है. लेकिन इस पर कॉलेज प्रिंसिपल डीके सिंह ने बयान जारी कते हुए कहा कि इस दावे के आधार पर वक्फ बोर्ड जमीन पर अपना दावा ठोंक रहा है. उनका कहना है कि साल 2018 में ही इस नोटिस का जवाब देते हुए ये तर्क दिया गया था कि मस्जिद अवैध रूप से तैयार की गई है. कॉलेज की प्रॉपर्टी ट्रस्ट की है, इसे न तो खरीदा जा सकता है और न ही बेचा जा सकता है.''
कब हुई थी कॉलेज की स्थापना?
वहीं कॉलेज की स्थापना 1909 में हुई थी. राजर्षि जूदेव ने इंडाउमेंट ट्रस्ट का गठन कर 1909 में कॉलेज की स्थापना की थी. ये जमीन इंडाउमेंट ट्रस्ट की है. चैरिटेबल इंडाउमेंट एक्ट के अंतर्गत आधार वर्ष के उपरांत ट्रस्ट की जमीन पर अन्य किसी का मालिकाना हक खुद ही खत्म हो जाता है. वहीं कॉलज की सभी संस्थानों में कुल 15 हजार से भी ज्यादा छात्र पढ़ते हैं. यहीं से तकरीबन 100 मीटर की दूरी पर एक मस्जिद है. इस मस्जिद में आसपास के लोग नमाज अदा करने आते है.