संभल हिंसा ने अपनों को छीना, मरने वालों के परिजनों की दर्द भरी दास्तां
जिन 4 लोगों की मौत हुई है उनकी पहचान कोट गर्वी निवासी नईम, सरायतरीन निवासी बिलाल, हयातनगर निवासी नोमान और तुर्तीपुर इल्हा निवासी कैफ के रूप में हुई है. इसके साथ ही कांस्टेबल आशीष वर्मा भी गंभीर रूप से घायल हुए हैं जिनका मेरठ में उपचार चल रहा है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सामने आया है कि चारों की मौत देसी बंदूक की गोली से हुई है.

संभल में रविवार को हुई हिंसा में 4 लोगों की गोली लगने से मौत हो गई. इसे लेकर पूरा एरिया छावनी में तब्दील हो चुका है. हिंसाग्रस्त इलाकों में अभी भी पत्थर और चप्पल पड़े हुए हैं. चप्पलों की संख्या बता रही है कि कितनी भगदड़ हुई थी. जो गाड़ियां जला दी गई थी उसे तो हटा दिया गया है लेकिन अभी भी उनके अवशेष और राख इसकी गवाही दे रहे हैं.
जिन 4 लोगों की मौत हुई है उनकी पहचान कोट गर्वी निवासी नईम, सरायतरीन निवासी बिलाल, हयातनगर निवासी नोमान और तुर्तीपुर इल्हा निवासी कैफ के रूप में हुई है. इसके साथ ही कांस्टेबल आशीष वर्मा भी गंभीर रूप से घायल हुए हैं जिनका मेरठ में उपचार चल रहा है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सामने आया है कि चारों की मौत देसी बंदूक की गोली से हुई है.
नईम की थी मिठाई की दुकान
संभल हिंसा में कोट गर्वी के रहने वाले नईम (34) की मौत हो गई है. उसके पिता का नाम रईसुद्दीन है. नईम की मां ने बताया कि उसकी मिठाई की दुकान है. वह अपनी दुकान की तरफ रिफाइन लेने जा रहा था. गोली लगने के बाद उसे अस्पताल ले जाया गया जहां उसकी जान चली गई. दुकान पर उसकी बुलेट खड़ी है. मस्जिद के बहुत दूरी से जाकर पुलिस ने उसको गोली मारी. पुलिस ने मेरे बच्चे को गोली मारी. नईम को गोली मारकर फेंक दिया. सरकार से अब क्या कहूं, मेरा तो सबकुछ लुट गया.
परिवार का आरोप है कि पुलिस ने नईम को गोली मारी जिससे उसकी जान गई. नईम शादीशुदा है और उसके चार बच्चे हैं. नईम प्रदर्शन में शामिल नहीं था. नईम के भाई तस्लीम ने बताया कि जब हम वहां गए तो भाई को गोली लगी हुई थी और वहां पुलिस के अलावा कोई नहीं था. पुलिस ने उसके पास जाने नहीं दिया. भाई की तड़प तड़पकर मौत हो गई. वहीं, नईम की पत्नी का कहना है कि जो हो रहा है वो इंसाफ़ नहीं है.
ठेला खींचकर बिलाल को पाला, पुलिस ने छीना
इस हिंसा में सरायतरीन निवासी बिलाल की भी मौत हो गई. उसके पिता का नाम हनीफ है. बिलाल की सुपर मार्केट में कपड़े की दुकान थी. हिंसा वाले दिन वह दुकान पर गया था लेकिन तनाव के माहौल को देखते हुए घरवालों को फोन कर बताया था कि माहौल खराब हो गया है और वह घर आ रहे हैं. दोपहर बाद पुलिस ने बताया कि जिला अस्पताल में उसका शव रखा है.
उसके पिता हनीफ सब्जी का ठेला लगाते हैं और मृतक अपने चार भाइयों में तीसरे नंबर का था. बीबीसी से बात करते हुए पिता ने बताया कि पुलिस ने मेरे बेटे के सीने पर गोली मारी है. मेरा बेटा बेग़ुनाह था, मेरे बेटे की मौत की ज़िम्मेदार पुलिस है. उन्होंने कहा कि मैंने ठेला खींच-खींच कर उसे पाला. पुलिस की गोली ने उसे हमसे छीन लिया. उसकी शादी की तैयारी करनी थी, वो चला गया.
दफन में शामिल होने आए थे नोमान
इस हिंसा में हयातनगर निवासी 50 वर्षीय नोमान खां की भी मौत हो गई. उनके पिता का नाम छोटे खां उर्फ तकसील खां है. परिजनों ने बताया कि वह ई-रिक्शा चलाते थे. सुबह करीब 9:45 बजे वह घर से निकले थे. वह संभल के महमूद खां सराय मोहल्ला स्थित अपनी ससुराल में किसी के दफन में शामिल होने के लिए आए थे. पुलिस ने घरवालों को नोमान के मौत की जानकारी दी. उनके परिवार में पत्नी, तीन बेटे व एक बेटी हैं.
दिनभर कैफ को खोजा, शाम में मौत की खबर मिली
इन हिंसा में नखासा थाना क्षेत्र के तुर्तीपुर इल्हा निवासी 17 वर्षीय मोहम्मद कैफ की भी मौत हो गई. उसके पिता का नाम मोहम्मद हुसैन है. वह साप्ताहिक बाजारों में कास्मेटिक सामान को बेचने का काम करता था. कैफ की मां अनीसा ने कहा कि मेरा बेटा फेरी लगाता था, कॉस्मेटिक सामान बेचता था. हमें तो शाम तक पता भी नहीं था कि उसकी मौत हो गई है. हम दिनभर उसे खोज रहे थे.
कैफ के चाचा मारूफ ने बताया कि बवाल के दौरान अन्य लोगों के साथ भीड़ में शामिल हो गया और अपनी जान गवां बैठा. पिता ने परिवार को समझाते हुए कहा कि मेरा बेटा चला गया है, अब वो लौट कर नहीं आएगा. हमें सब्र करना है. ख़ामोशी से उसे दफ़नाना है. अनीसा ने आरोप लगाया कि दोपहर में पुलिस आई और घर का दरवाज़ा तोड़कर उनके बड़े बेटे को घर से खींचते हुए ले गई. कैफ के मामा मोहम्मद वसीम ने कहा कि मेरे एक भांजे को पुलिस ने गोली मार दी, दूसरे को घर से खींच कर ले गए.