मैं देता हूं पैसे, पता है आप बिना पैसों के काम... बिजली विभाग के अधिकारियों से क्यों नाराज हुए विधायक राजीव गुम्बर?
Saharanpur News: विधायक राजीव गुम्बर ने बिजली विभाग की मीटिंग में शामिल हुए. उन्होंने सड़के के बीच में लगे बिजली के खंभों को हटवाने की मांग की. क्योंकि इससे जाम लगा रहता है. इस पर अधिकारियों ने कहा कि पैसे देने होंगे, तभी विधायक नाराज हो गए.
Saharanpur News: उत्तर प्रदेश सरकार हमेशा जनता के हितों के लिए काम करती है. लोगों की समस्या को सुनकर उनका समाधान किया जाता है, लेकिन कई बार अधिकारियों की लापरवाही भी देखने को मिल जाती है. अब सहारपुर से ऐसा ही मामला सामने आया है. सर्किट हाउस में ऊर्जा विभाग की विकास योजनाओं को लेकर एक बैठक के दौरान कुछ ऐसा हुआ जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया.
जानकारी के अनुसार, बैठक में विधायक राजीव गुम्बर डिपार्टमेंट के काम को लेकर अधिकारियों की लापरवाही पर नाराज दिखे. उन्होंने कहा कि रायवाला बाजार में सड़क के बीच बिजली के दो खंभे लगे होने की वजह से जाम रहता है. कई बार बोलने के बाद भी कुछ काम नहीं करवाया गया.
पैसो लो काम करो
विधायक राजीव गुम्बर की समस्या सुनकर अधिकारियों ने कहा कि खंभों को हटाने के लिए एस्टीमेट तैयार है, बस पैसे जमा करने होंगे. इस पर विधायक ने 50 हजार रुपये उनके सामने रख दिए और कहा, कुछ तो शर्म को. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है.
गुम्बर ने कहा, आपको जनता के काम के लिए भी पैसे चाहिए, मैं पैसे देता हूं. आप तुरंत काम शुरू करवाएं. मुझे पता है कि बिना पैसों के आप काम नहीं करेंगे. इसलिए मैं पहले ही घर से पैसे लेकर आया हूं. कम पड़े तो और मंगवा लूंगा, लेकिन जनता को समस्या हो रही है और काम नहीं रुकना चाहिए. मैं उनके लिए पैसे खर्च कर सकता हूं.
विधायक की नाराजगी
उन्होंने शाकुंभरी विहार क्षेत्र की समस्या के बारे में भी बात की. विधायक ने कहा, बिजली की कटौती ग्राणीण फीडर से करने पर लोगों को परेशानी हो रही है. नगर विधानसभा का परिसीमन कई साल हो चुके हैं, लेकिन अब तक क्षेत्रों को शहरी फीडर से नहीं जोड़ा गया है. मीटिंग के दौरान इंदिरा कॉलोनी, पेपर मिल रोड समेत कई इलाकों की समस्या पर ध्यान केंद्रित किया. जहां 66 केवी लाइन के इंसुलेटर टूटे हुए हैं और उनती मरम्मत करने की जरूरत है.
उनका कहना है कि बिजली के खंभों या टूट तारों से किसी की मौत हो जाती है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा. इस घटना ने सरकारी अधिकारियों के कामकाज में लापरवाही को उजागर किया है. कैसे बड़े-बड़े अफसर बिना पैसों के काम नहीं करना चाहते हैं.





