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महाकुंभ में ग्रीस की पेनेलोप ने सिद्धार्थ से किया विवाह, जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर ने किया कन्यादान

महाकुंभ प्रयागराज में ग्रीस की पेनलोपे और भारतीय सिद्धार्थ का विवाह हुआ, जो वैदिक रीतियों से संपन्न हुआ. जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरी ने कन्यादान की रस्म अदा की. पेनलोपे और सिद्धार्थ की मुलाकात के बाद उनका प्रेम बढ़ा और वे विवाह के लिए महाकुंभ पहुंचे. पेनलोपे ने भारतीय विवाह संस्कार को 'शब्दों से परे जादुई' बताया, जबकि सिद्धार्थ ने विवाह के पवित्र महत्व पर जोर दिया. इस विवाह में ग्रीक और भारतीय संस्कृतियों का अद्भुत संगम हुआ.

महाकुंभ में ग्रीस की पेनेलोप ने सिद्धार्थ से किया विवाह, जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर ने किया कन्यादान
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नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Updated on: 27 Jan 2025 7:50 PM IST

महाकुंभ प्रयागराज में एक विशेष विवाह समारोह हुआ, जिसमें ग्रीस की महिला पेनलोपे और उनके भारतीय साथी सिद्धार्थ ने वैदिक रीतियों से शादी की. यह विवाह जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरी की उपस्थिति में हुआ, जिन्होंने 'कन्यादान' की रस्म अदा की. विवाह में भारतीय और ग्रीक संस्कृतियों का अद्भुत संगम देखने को मिला, जहां गंगा-यमुना और अदृश्‍य सरस्‍वती साक्षी बनीं.

पेनलोपे, जो एथेंस में पर्यटन प्रबंधन से स्नातक हैं, की योग में गहरी रुचि थी. उन्होंने योग की ट्रेनिंग थाईलैंड में ली और फिर ग्रीस लौटकर लोगों को योग और ध्यान की शिक्षा देने लगीं. पेनलोपे की मुलाकात सिद्धार्थ से हुई और दोनों की दोस्ती जल्द ही प्यार में बदल गई. एक साल पहले दोनों की मुलाकात स्वामी यतींद्रानंद से हुई, जिसके बाद उनका झुकाव अध्यात्म की ओर हुआ. स्वामी यतींद्रानंद के आशीर्वाद से पेनलोपे और सिद्धार्थ ने महाकुंभ में शादी करने का निर्णय लिया.

विवाह है मैजिक

पेनलोपे ने भारतीय विवाह संस्कार को 'शब्दों से परे जादुई' बताया और कहा कि यह अनुभव उनके लिए अविस्मरणीय था. सिद्धार्थ ने विवाह की पवित्रता को रेखांकित करते हुए कहा कि विवाह एक बहुत पुरानी और महत्वपूर्ण संस्था है, जो आजकल के समय में लोग भूल रहे हैं. उन्होंने भारतीय संस्कृति को प्राचीन धरोहर के रूप में बताया, जो पूरी दुनिया के लिए एक अमूल्य धरोहर है.

भारत में ही करनी थी शादी

पेनलोपे ने भारत में शादी करने का विकल्प खुशी से चुना, क्योंकि उन्हें यहां की पवित्रता और आध्यात्मिकता का अनुभव हुआ. उन्होंने कहा कि यहां की शादी एक दिव्य और आध्यात्मिक अनुभव था, जबकि अन्य स्थानों पर शादी अब केवल पार्टी और शराब का अवसर बन गई है. पेनलोपे और सिद्धार्थ का विवाह महाकुंभ के इस ऐतिहासिक अवसर पर एक नई मिसाल स्थापित करता है, जहां भारतीय और ग्रीक संस्कृतियों का समागम हुआ.

अपनाया सनातन धर्म

पेनलोप जो पहले बौद्ध धर्म की अनुयायी थीं ने अब सनातन धर्म अपनाने का निर्णय लिया है. उनका कहना है, "मैंने अनुभव किया कि हर चीज का वास्तविक स्रोत सनातन धर्म है. इस धर्म ने मुझे जीवन की सच्चाई समझने और जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति पाने का मार्ग दिखाया है. महाकुंभ में विवाह करना और अब 29 जनवरी को पवित्र डुबकी लगाना मेरे लिए एक अनमोल अनुभव होगा."

महाकुंभ 2025
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