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लखनऊ के दिल में धड़ल्ले से बिक रहा फर्ज़ी नाम! डिप्टी सीएम से मिलते-जुलते नाम पर भी कर रहे सौदा

UIDAI (लखनऊ) के डिप्टी डाइरेक्टर जनरल प्रशांत कुमार सिंह ने कहा, 'रतन स्क्वायर के आधार केंद्र में हाल ही में हुई जांच में गड़बड़ी पाई गई है. 21 अप्रैल को एक फर्जी अभियान चलाकर अनियमितताओं का खुलासा हुआ है.

लखनऊ के दिल में धड़ल्ले से बिक रहा फर्ज़ी नाम! डिप्टी सीएम से मिलते-जुलते नाम पर भी कर रहे सौदा
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( Image Source:  AI: Representative Image )
रूपाली राय
Edited By: रूपाली राय

Updated on: 27 Nov 2025 4:30 PM IST

लखनऊ में उत्तर प्रदेश विधानसभा से कुछ ही दूरी पर स्थित रतन स्क्वायर परिसर के एक आधार सेवा केंद्र (ASK) में बेखौफ दलाल खुलेआम पैसे लेकर कोई भी काम कराने का दावा करते हैं. हैरानी की बात यह है कि ये दलाल एक ऐसा नाम भी सुझाते हैं जो उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक से मेल खाता है. जब एक रिपोर्टर ने इस आधार केंद्र में चल रहे दलालों के रैकेट की जांच करने के लिए वहां दौरा किया, तो कई चौंकाने वाली बातें सामने आईं. केंद्र के अंदर चारों ओर दलाल सक्रिय थे, जिनमें तीन युवतियां भी शामिल थीं जो इस पूरे गिरोह का हिस्सा थी.

रिपोर्टर से संपर्क करने वाले एक दलाल ने खुद का नाम राजेश बताया. जब रिपोर्टर ने कहा कि वह बख्शी का तालाब क्षेत्र से है और उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक का बड़ा फैन है, इसलिए वह अपना नाम भी ब्रजेश पाठक रखना चाहता है, लेकिन उसके पास कोई जरूरी दस्तावेज नहीं हैं, तो राजेश ने मुस्कुराते हुए भरोसा दिलाया, 'हो जाएगा.' इसके बाद राजेश ने तुरंत अपना फोन निकाला, बदायूं के एक असली ब्रजेश पाठक का वोटर आईडी डाउनलोड किया, उस पर रिपोर्टर की फोटो लगाई और एक नकली बारकोड भी जोड़ दिया. कुछ ही मिनटों में उसने आधार अपडेट के लिए अपॉइंटमेंट भी बुक कर दिया.

वहीं हुआ जिसका वादा हुआ था

राजेश ने कहा, 'सीधे वेरिफायर के पास जाओ, कोई सवाल नहीं पूछा जाएगा और इसके एवज में उसने UPI से 1,500 रुपये भी ले लिए.' आधार सेवा केंद्र के अंदर भी वही हुआ जो वादा किया गया था. काउंटर-5 पर बैठे वेरिफायर ने नकली दस्तावेजों को ध्यान से देखे बिना काम आगे बढ़ा दिया. दोपहर 2 बजे तक रिपोर्टर समेत लगभग 20 ऐसे लोगों को बुला लिया गया जो दलालों के जरिये आए थे. रिपोर्टर को काउंटर-22 पर भेजा गया, जहां एक महिला ऑपरेटर ने आधार अपडेट का प्रोसेस पूरा किया और आईरिस स्कैन भी लिया, एक घंटे के भीतर एक फर्जी पहचान बन चुकी थी. यह रिपोर्टर उन अधिकारियों की टीम का हिस्सा था जो बाद में इस फर्जीवाड़े का खुलासा करने के लिए औचक जांच के तहत ASK पहुंचे थे.

UIDAI के कॉन्ट्रैक्ट के तहत काम करती है

इस आधार केंद्र का संचालन पिछले पांच सालों से स्मार्ट चिप प्राइवेट लिमिटेड कर रहा है, जो फ्रांसीसी कंपनी IDEMIA की भारतीय सहायक कंपनी है. जब TOI ने इस धांधली पर प्रतिक्रिया लेने के लिए स्मार्ट चिप प्राइवेट लिमिटेड के अधिकारियों से संपर्क किया, तो एक दिन के इंतजार के बाद IDEMIA के एक सूत्र ने कहा कि कंपनी UIDAI के कॉन्ट्रैक्ट के तहत काम करती है, इसलिए कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं कर सकती. हालांकि, सूत्र ने माना कि रतन स्क्वायर ASK में कुछ कर्मचारी गड़बड़ी में शामिल थे, फिर भी, कंपनी के पास दस्तावेजों की जांच करने का अधिकार नहीं है.

आधार केंद्र में पाई गई गड़बड़ी

UIDAI के लखनऊ क्षेत्रीय कार्यालय ने भी कुछ दिन पहले इस केंद्र पर दो फर्जी व्यक्तियों को भेजकर जांच की थी, जिसमें पाया गया कि दलाल और केंद्र के कर्मचारी आपस में मिले हुए थे. TOI से बातचीत में UIDAI (लखनऊ) के डिप्टी डाइरेक्टर जनरल प्रशांत कुमार सिंह ने कहा, 'रतन स्क्वायर के आधार केंद्र में हाल ही में हुई जांच में गड़बड़ी पाई गई है. 21 अप्रैल को एक फर्जी अभियान चलाकर अनियमितताओं का खुलासा हुआ है. मामले को जांच और एफआईआर दर्ज करने के लिए संबंधित एजेंसी को सौंप दिया गया है. हम भरोसा दिलाते हैं कि UIDAI की बैकएंड गुणवत्ता जांच फर्जी दस्तावेजों को पकड़ लेती है और उन्हें खारिज कर देती है.'

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