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कभी कहे जाते थे बीजेपी-सपा की आंखों के तारे, अब बन गए गले की हड्डी; कुलदीप सिंह सेंगर की सत्ता, दबंगई और पतन की कहानी

उन्नाव रेप और हत्या कांड में सजायाफ्ता पूर्व विधायक Kuldeep Singh Sengar एक बार फिर सुर्खियों में हैं. दिल्ली हाईकोर्ट से सजा निलंबन और सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद सड़कों से लेकर अदालतों तक हंगामा मचा है. ग्राम प्रधान से सत्ता के शिखर तक पहुंचे सेंगर का राजनीतिक उत्थान, आपराधिक आरोप, जनआक्रोश और न्यायिक लड़ाई की पूरी पृष्ठभूमि इस रिपोर्ट में पढ़ें.

कभी कहे जाते थे बीजेपी-सपा की आंखों के तारे, अब बन गए गले की हड्डी; कुलदीप सिंह सेंगर की सत्ता, दबंगई और पतन की कहानी
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संजीव चौहान
By: संजीव चौहान

Published on: 31 Dec 2025 12:08 PM

कुलदीप सिंह सेंगर. बीते कई साल से मीडिया में छाया वह बदनाम कहूं या फिर धाकड़ नाम है जिसकी गर्मा-गरम और शर्मनाक जन-चर्चाओं ने उत्तर प्रदेश विधानसभा से लेकर, जिला अदालतों और हाईकोर्ट सुप्रीम कोर्ट तक के गलियारों में कोहराम मचा रखा है. इन दिनों फिर कुलदीप सिंह सेंगर की इज्जत बचने की उम्मीदों का ‘दीया’ कानून के कंधे पर रखकर जैसे ही जलाने की तैयारियां शुरू की गईं, वह दीया जलने से पहले ही हवा मारकर बुझा डाला गया.

उत्तर प्रदेश के उन्नाव से निकले और दिल्ली की तिहाड़ जेल में जा लटके बदनाम नेता से रेप और हत्या के मामले में सजायाफ्ता मुजरिम बन चुके कल के कद्दावर नेता कुलदीप सिंह सेंगर इन दिनों खबरों में छाए हुए हैं. वही कुलदीप सिंह सेंगर जिनका कालांतर में उत्तर प्रदेश की सत्ता में उन्नाव से लखनऊ तक सिक्का चला करता था. आज यही कुलदीप सिंह सेंगर बीते कई वर्ष से पुलिस और सीबीआई वकीलों की भीड़ के बीच इस कोर्ट से उस कोर्ट के दिन भर धक्के खाने के बाद, ‘बिचारे’ की हालत में दिल्ली की जेल की सलाखों में ले जाकर अक्सर ठूंस दिये जा रहे हैं. एक अदद इस उम्मीद के सहारे कि आज नहीं तो कल सही. एक न एक दिन तो उन्हें उन्नाव रेप और हत्याकांड के जिन्न के पंजों से मुक्ति मिलेगी ही.

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जेल से बाहर आना बना सपना

यह तो मगर कुलदीप सिंह सेंगर और उनके अपनों का एक उम्मीद भरा सोचना है. सीबीआई और आफतों के जिन्न की कानूनी पकड़ तो कुलदीप सिंह सेंगर की गर्दन को इतनी मजबूती से अपने पंजों में जकड़े हैं कि जेल से बाहर आने का कुलदीप सिंह सेंगर का सपना तो बहुत बाद का है. उनकी जमानत के नाम का पत्ता भी अगर अदालतों में आहट करता है तो अदालत और जेल से बाहर की दुनिया में तूफान आ जाता है. जैसा कि बीते पांच छह दिन से दिल्ली की सड़कों पर देखने को मिल रहा है.

दो-दो आपराधिक मुकदमों में सजायाफ्ता मुजरिम के रूप में जेल की सलाखों में कैद कुलदीप सिंह सेंगर को करीब साढ़े सात साल बाद रेप के मुकदमे में दिल्ली हाईकोर्ट की डबल बेंच ने उनकी सजा निलंबित करने का आदेश क्या पारित किया. तुरंत ही उस फैसले के खिलाफ दिल्ली की सड़कों पर महिलाओं ने विरोध की आवाज बुलंद कर दी. यह कहते हुए कि जिस रेप पीड़िता के पिता का कत्ल कुलदीप सिंह सेंगर ने करवा डाला है. पीड़िता के पिता की हत्या के आरोप में कुलदीप सिंह सेंगर को ट्रायल कोर्ट से सजा भी हो चुकी है. रेप केस में भी कुलदीप सिंह सेंगर सजायाफ्ता मुजरिम है. तब फिर दिल्ली हाईकोर्ट की डबल बेंच ने उसकी सजा सस्पेंड करने की जुर्रत कैसे कर डाली.

महिलाओं ने सड़कों पर मोर्चा संभाला

इधर दिल्ली की सड़कों पर कुलदीप सिंह सेंगर को राहत देते इस फैसले के खिलाफ महिलाओं ने जैसे ही सड़कों पर मोर्चा संभाला. वैसे ही दूसरी ओर मौकापरस्त कांग्रेसी नेताओं ने पीड़िता के पक्ष में इस आंदोलन को जबरिया हथियाना चाहा. दिल्ली में चल रहे विरोध प्रदर्शन के दौरान दाल भात में मूसलचंद बनकर एक साहब यूं ही विनाशकाले विपरीत बुद्धि का घिनौना नमूना पेश करने को ‘बीजेपी जिंदाबाद’ के नारे लगाते हुए जा पहुंचे. उन्हें रेप पीड़िता पक्ष ने चारों ओर से घेरकर धकियाते हुए आंदोलन स्थल से खदेड़ दिया. गनीमत यह रही कि रेप पीड़िता के पक्ष में कुलदीप सिंह सेंगर हाय-हाय के नारे लगाने वाली महिलाओं की भीड़ ने उस बीजेपी जिंदाबाद के नारे लगाने वाले सिरफिरे की धुनाई नहीं की.

एनजीओ ने उठाया फ़ायदा

लगे हाथ घर बैठे बैठे ही बहती गंगा में हाथ धोने की गरज कहिए या फिर इरादे से एक गैर सरकारी संगठन यानी एनजीओ की महिला भी हाथों में बैनर-पट्टी उठाकर दिल्ली में उस स्थल पर पहुंच गईं, जहां सेंगर के विरोध में और रेप पीड़िता के पक्ष में सैकड़ों महिलाएं धरना प्रदर्शन कर रही थी. यह अचानक मौके पर पहुंची महिला खुद को किसी पीड़ित पुरुष संगठन की नेताइन बताते हुए “कुलदीप सिंह सेंगर को बचाओ कुलदीप सिंह सेंगर बेकसूर हैं” के नारे लगा रही थीं. इन्हें भी रेप पीड़िता के साथ विरोध प्रदर्शन में शामिल महिलाओं ने दिल्ली की सड़कों पर न केवल चौतरफा घेर लिया, बल्कि कुलदीप सिंह सेंगर के पक्ष में जाकर नारेबाजी करने वाली इन महिला को मौके से भागकर अपनी जान छुड़ानी पड़ी.

बांगरमऊ सीट से बने थे विधायक

जिक्र उन्हीं कुलदीप सिंह सेंगर का कर रहा हूं जिन्होंने साल 2017 में उत्तर प्रदेश राज्य विधानसभा चुनाव से ऐन टाइम पहले समाजवादी पार्टी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन की थी. विधानसभा चुनाव लड़ा जिसमें वह बीजेपी के टिकट पर बांगरमऊ सीट से जीतकर माननीय विधायक बन भी गए. इससे पहले यही दबंग कुलदीप सिंह सेंगर साल 2012 में भी उत्तर प्रदेश विधानसभा में समाजवादी पार्टी के टिकट पर उन्नाव की भगवंतनगर सीट से चुनाव जीतकर राज्य विधानसभा पहुंच चुके थे.

ऐसा नहीं है कि कुलदीप सिंह सेंगर रेप और हत्या के मामले में उलझने के बाद ही चर्चाओं में आए हैं. करोड़ों की संपत्ति के मालिक माखी गांव के मूल निवासी कुलदीप सिंह सेंगर ने हमेशा ही अपने ऊपर मढ़े गए रेप और हत्या के आरोपों को फर्जी बताया. यह अलग बात है कि इसके बाद भी सीबीआई जांच के आधार पर वे बीते कई साल से रेप और हत्या के मुकदमों में सजायाफ्ता मुजरिम के बतौर जेल में बंद पड़े हैं.'

भाजपा के लिए बन गए थे गले की हड्डी

यहां जिक्र करना जरूरी है कि जो कुलदीप सिंह सेंगर का बदनाम नाम आज इस कदर उन्नाव से लेकर दिल्ली तक उछल रहा है, जब इनके ऊपर रेप का आरोप लगा तो यही कुलदीप सिंह सेंगर उत्तर प्रदेश में योगी हुकूमत और राज्य भाजपा के लिए बड़ी मुसीबत और गले की हड्डी बन गए थे. यहां जिक्र कालांतर में यूपी की राजनीति में समाजवादी पार्टी और बीजेपी के उन्हीं कद्दावर नेता और आज के सजायाफ्ता मुजरिम कुलदीप सिंह सेंगर का है जिनके जेल से बाहर आने की बात तो दूर की कौड़ी रहा, हवा चलने तक से उन्नाव से लेकर दिल्ली तक जलजला आ जा रहा है. इस शर्मनाक मुद्दे को हालांकि कांग्रेस पार्टी शुरू से अब तक हथिया कर “कैश” करने की कई नाकाम कोशिशें कर चुकी है. हर बार मगर बिचारी कांग्रेस को मुंह की ही खानी पड़ी रही है.

ट्रायल कोर्ट ने इन्हीं बदनाम नाम और कल के यूपी के कद्दावर माननीय विधायक जी नेता जी कुलदीप सिंह सेंगर को साल 2019 में रेप पीड़िता के पिता की हिरासत में हुई मौत के मामले में, 10 साल की सजा सुनाते हुए इनके ऊपर 25 लाख का अर्थदंड भी डाला था. कुलदीप सिंह सेंगर आज भले ही कोर्ट कचहरी जेल तक सिमट कर रह गए हों. मगर इनका अतीत बेहद चकाचौंध वाला रहा है. किसी जमाने में ग्राम प्रधान से आगे बढ़कर कई पार्टियों से चुनाव जीतकर यह चार बार कालांतर में यूपी विधानसभा में विधायक बनकर पहुंच चुके हैं.

स्टेट मिरर स्पेशलधाकड़
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