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Nikki Dowry Death: समाज में ‘नाक’ ऊंची रखने की मैली मंशा में बे-मेल शादी की भेंट चढ़ी है ‘निक्की भाटी’! Inside Story

ग्रेटर नोएडा की निक्की भाटी की संदिग्ध मौत ने इलाके में सनसनी फैला दी है. पुलिस इसे दहेज हत्या और बे-मेल शादी से जुड़ा मामला मानकर जांच कर रही है. निक्की की शादी विपिन भाटी से हुई थी, लेकिन दोनों के बीच अक्सर तनाव रहता था। परिवार का आरोप है कि शादी के बाद निक्की को दहेज और घरेलू झगड़ों को लेकर प्रताड़ित किया गया. सोशल मीडिया पर भी यह केस चर्चा का विषय बन गया है और लोग इसे महिला सुरक्षा व दहेज प्रथा से जोड़कर देख रहे हैं. फिलहाल पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.

Nikki Dowry Death: समाज में ‘नाक’ ऊंची रखने की मैली मंशा में बे-मेल शादी की भेंट चढ़ी है ‘निक्की भाटी’! Inside Story
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( Image Source:  statemirrornews )
संजीव चौहान
By: संजीव चौहान

Updated on: 27 Aug 2025 6:26 PM IST

Nikki Dowry Death Case: दिल्ली से सटे यूपी के हाईटेक शहर ग्रेटर नोएडा का कथित निक्की भाटी हत्याकांड खबरों की सुर्खी बना हुआ है. ‘कथित-हत्याकांड’ इसलिए क्योंकि अभी यह तय नहीं हुआ है कि, निक्की भाटी ने पति-सुसराल वालों की प्रताड़ना से आजिज होकर ‘आत्महत्या’ की है या फिर उसे किसी ने जलाकर कत्ल किया है. इन दोनों ही सवालों का जवाब पुलिसिया तफ्तीश में सामने आने पर ही तय होगा कि, निक्की भाटी की मौत ‘आत्महत्या’ थी या फिर ‘हत्या’.

बहरहाल, स्टेट मिरर हिंदी के एडिटर क्राइम इनवेस्टीगेशन ने अब तक की पुलिसिया तफ्तीश और दोनों परिवारों, समाज के लोगों के बयानों को देख-सुनकर जब घटना की तह-तक में जाने की कोशिश की, तो कई चौंकाने वाले तथ्य कहिए या फिर सवाल निकल कर सामने आए हैं.

  1. निक्की भाटी और उसकी बड़ी बहन कंचन भाटी जब एक नामी अंग्रेजी माध्यम के कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ीं थीं, तब फिर मायके वालों ने निक्की की शादी, यह जानते हुए भी कि निक्की का जिस विपिन के साथ रिश्ता किया जा रहा है वह पढ़ाई-लिखाई की नजर से निक्की के सामने 'शून्य' है. माता-पिता ने शैक्षिक नजरिए से बेहद कमजोर ऐसे बे-मेल युवक विपिन भाटी के साथ अंग्रेजी माध्यम से पढ़ी बेटी निक्की भाटी का विवाह क्यों किया?
  2. निक्की और उसकी बड़ी बहन कंचन भाटी आधुनिक खुले ख्यालों की लड़कियां हैं. जबकि जिस परिवार में उन दोनों की और जिन लड़कों के साथ इनकी शादियां की जा रही हैं, वह परिवार (निक्की और कंचन के अब पति, ससुराल) आज के लिहाज से बेहद रुढ़िवादी समाज और विचारधारा के हैं. उस हद तक की रुढ़िवादिता का शिकार जिसमें बेटों की बहुओं को मुंह तक घूंघट में ढंक कर ही घर में रहना होता है. यह जानते हुए भी निक्की और कंचन के माता-पिता ने, विपिन और रोहित के ऐसे घोर-रूढ़िवादी परिवार में अपनी दोनों उच्च शिक्षित और आधुनिक ख्यालों की बेटियों की शादी क्यों किस लालच में की?
  3. इस सवाल के जवाब में निक्की-कंचन और विपिन के समाज से जुड़े लोग दबी जुबान बताते हैं कि, “मायके वालों को अपने समाज कौम में इतना खाता पीता घर नहीं मिल रहा था जिसकी हकदार उनकी लड़कियां थीं. साथ ही कंचन और निक्की की जो अब ससुराल है, इस घर में दोनों बेटियों की शादी तय करते वक्त निक्की-कंचन के परिवार वालों को ससुराल पक्ष इज्जतदार और खाते-पीते लोग लगे थे.”
  4. तब फिर ऐसे में यह सवाल जन्म लेता है कि निक्की और कंचन के थोड़े समय के सुख की लालसा में, ससुराल पक्ष की तमाम कमजोरियां जानने-समझने के बाद भी मायके पक्ष ने अपनी ‘नाक’ समाज में ऊंची रखने की गलत-नियति या लालच में दोनों बेटियों की शादी, बे-मेल युवकों या परिवार में जाकर कर दी, कि कम से कम बेटियों का ससुराल-पक्ष के लोग खाते-पीते और पैसे वाले तो हैं. बेटियों के होने वाले दूल्हे-पति भले ही क्यों न कम-पढ़े लिखे हों.
  5. इसका मतलब मां-बाप ने सिर्फ अपनी बेटियों के लिए समाज की नजर में अच्छे घर-खानदान को प्राथमिकता दी. जबकि उन्होंने (निक्की कंचन के माता-पिता) इस बात से आंखें जान-बूझकर बंद कर लीं कि, जिस घर में उनकी बेटियां शादी होकर जा रही हैं, वहां उन्हें खुली सोच-विचारों वाला कोई नहीं मिलेगा.
  6. न ही माता-पिता ने बेटियों के लिए ऐसे बे-मेल लड़के (पति-दुल्हे) तलाशने के बाद बेटियों की शादी की हामी भरते वक्त यही सोचा कि, उनकी अंग्रेजी माध्यम से पढ़ी-लिखी आधुनिक-स्वच्छंद विचारों वाली, इंस्टाग्राम पर रील बनाने की शौकीन बेटियां, आखिर इस कदर की रूढ़िवादिता के बंधन में जकड़े परिवार में खुद को कैसे ‘फिट’ बैठा सकेंगी?
  7. जब निक्की और कंचन उच्च शिक्षित, आजाद-ख्याल की आधुनिक सोच वाली लड़कियां हैं ही. तब बालिग और अंग्रेजी माध्यम के स्कूल से शिक्षा प्राप्त करने के चलते क्या दोनों बहनों को अपने भविष्य के बारे में खुद नहीं सोचना चाहिए था?
  8. निक्की और कंचन के माता-पिता ने जब विपिन और उसके बड़े भाई से दोनों बहनों के रिश्ते की बात चलाई तो, यह कैसे संभव है कि दोनों बहनों को अपनी होने वाली ससुराल के बारे में कुछ पता ही न चला हो. उन्होंने क्या अपने माता-पिता से कहा कि वे किसी ठेठ अनाड़ी या कम शिक्षित या फिर पूरी तरह से अशिक्षित विपिन जैसे किसी निरक्षर के साथ पत्नी के रूप में अपना जीवन काट पाने की कुव्वत नहीं रखती हैं?
  9. अगर इन दोनों बहनों ने यह बात कही और फिर भी समाज में अपनी नाक ‘ऊंची’ रखने के लिए माता-पिता ने बेटियों की ससुराल के रूप में महज एक खाता-पिता सुखी-सम्पन्न घर को ही प्राथमिकता देकर, बेटियों की सोच के विपरीत जाकर भी शादी कर दी. तब इसके लिए तो सीधे तौर पर सबसे पहले दोनों बहनें और माता-पिता ही, ससुराल पक्ष से ज्यादा क्या दोषी नहीं हैं?
  10. इन तमाम सवालों के बीच अब बात ससुराल पक्ष की करें तो वे भी दूध के धुले नहीं कहे जा सकते हैं. विपिन (निक्की का पति) और कंचन (निक्की की बड़ी बहन का पति विपिन का बड़ा भाई और निक्की का जेठ) के ससुराल पक्ष (सास-ससुर, पति देवर जेठ) को जब पता था कि उनके बेटे दोनों बहनों की तुलना में पढ़ाई लिखाई की नजर से 'शून्य' हैं. यह जानते हुए भी उन्होंने अपने ऐसे बेटों के साथ दोनों बहनों को ब्याहकर लाने के लिए सहमति क्यों किस लालच में दे दी?
  11. क्या निक्की-कंचन की ससुराल वाले नहीं जानते थे कि उनकी होने वाली दोनों बहुएं (दोनों सगी बहनें कंचन और निक्की) आधुनिक आजाद ख्याल, मन-मौजी मिजाज की शख्शियतें हैं. जिनके ऊपर ससुराल पक्ष के रूढ़िवादी-विचारधारा कोई असर नहीं छोड़ सकेगी. और इसी के चलते विचारों के न मिलने के चलते आज नहीं तो कल, बेटों-बहुओं के बीच क्लेश होना तय है. इसके बाद भी वह कौन सी कमजोरी या जरूरत या फिर ससुराल वालों की कमजोर नस थी, जिसके चलते या सब जानने के बाद भी, विपिन और उसके बड़े भाई की शादी माता-पिता ने (निक्की कंचन के सास-ससुर) निक्की और कंचन के साथ कर दी. जिसका नतीजा आज जमाने के सामने है कि, निक्की अकाल मौत की गोद में जा समाई. ससुराल पक्ष जेल में पड़ा है और मायका पक्ष बेटी की मौत के दोषियों को सजा दिलाने के लिए सड़कों पर धक्के खाने के विवश है.
  12. इन तमाम सवालों के बीच अहम सवाल यह है कि जब-जब निक्की के ऊपर ससुराल में अत्याचार हुए भी. तब-तब माता-पिता (मायका पक्ष) ने न्याय के लिए कानून का दरवाजा क्यों नहीं खटखटाया? वे क्यों बेटी के ससुराल में बिगड़ चुके संबंधों को सुधरवाने के लिए हमेशा उस अपने समाज के सामने ही गए जो समाज आज अब, किसी भी कीमत पर किसी भी वजह से अपनी जिंदगी खो चुकी निक्की भाटी को जिंदा करने की कुव्वत ही नहीं रखता है. कहां हैं आज समाज के वे ठेकेदार जो निक्की को बार-बार ससुराल-मायका पक्ष के बीच कथित समझौता करवा कर, उसी ससुराल में भेज दिया करते थे, जहां से निक्की जीते-जी निजात पाने के लिए ही गिड़गिड़ाती रही.

'दूध का धुला कोई नहीं है'

कुल जमा इन तमाम सवालों के अंत में निचोड़ यही निकल कर आता है कि, निक्की की अकाल व अब तक की संदिग्ध मौत के मामले में दूध का धुला कोई नहीं है. न मायका और न ही ससुराल पक्ष. निक्की को ‘पुल’ बनाकर दोनों ही पक्षों ने अपनी अपनी ‘नाक’ ऊंची रखने की मैली ‘यात्रा’ भर पूरी की. ताकि इस मक्कार समाज की नजरों में ‘ससुराल और मायका’ दोनो ही पक्षों की झूठी ‘शान’ पर कहीं कोई आंच न आए.

जहां तक अब निक्की की मौत के बाद बात मायके पक्ष के द्वारा यह आरोप लगाए जाने की है कि, ससुराल वालों ने शादी के बाद से ही दहेज मांगना शुरू कर दिया. कभी कार और कभी लाखों रुपयों की डिमांड! तब ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर निक्की की ससुराल वालों को यह कैसे किसने और कब भनक दी कि, निक्की-कंचन के माता-पिता के पास अकूत दौलत का खजाना है, जितना दहेज वसूल सको वसूल लो.

जाहिर सी बात है निक्की-कंचन के घर से ही जाने-अनजाने यह बात भी निकली होगी कि, दोनों बहनों के मायके वाले ‘धन्नासेठ’ हैं. तभी शायद ससुराल पक्ष का कथित रूप से ही सही मगर दहेज के लिए मुंह फैलाना भी शुरू हुआ होगा. मतलब, साफ है कि दहेज मांगने के लिए अगर ससुराल पक्ष कानूनी कटघरे में खड़ा है तो, मायका पक्ष भी इस बात से एकदम बरी नहीं हो सकता है कि, उसके धन्नासेठ-दौलतमंद होने की बात तो उसी की देहरी से किसी अपने ने ही बाहर (ससुराल) वालों तक पहुंचाई होगी.

UP NEWSस्टेट मिरर स्पेशल
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