महाकुंभ बना अर्थव्यवस्था का 'पावरहाउस', 8 लाख वर्कर्स को रोजगार, तो कितने की होगी आर्थिक गतिविधि?
Maha Kumbh 2025: महाकुंभ से न केवल प्रयागराज बल्कि आसपास के क्षेत्रों में भी कॉमर्शियली बढ़ावा दे रहा है. ये सिर्फ आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि अर्थव्यवस्था के लिए भी वरदान बनता दिख रहा है. एक अनुमान के तहत महाकुंभ 2025 में 12 लाख गिग और अस्थायी नौकरियां पैदा होंगी.
Maha Kumbh 2025: दुनिया के सबसे बड़े आस्था का केंद्र बना प्रयागराज में हो रहे महाकुंभ सिर्फ आस्था का केंद्र नहीं है, बल्कि अर्थव्यवस्था और लोगों के रोजगार के लिए भी वरदान बन रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, 45 दिवसीय महाकुंभ 2025 में अनुमानित 12 लाख गिग और अस्थायी नौकरियां पैदा होंगी, जिससे अलग-अलग क्षेत्रों में आठ लाख से अधिक वर्कर्स को लाभ होगा.
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में होने वाला ऐतिहासिक समागम देश में अस्थायी रोजगार और आर्थिक विकास के लिए एक पावरहाउस के रूप में उभर रहा है. इस ऐतिहासिक आयोजन से न केवल प्रयागराज में बल्कि पड़ोसी क्षेत्रों में भी कॉमर्शियली बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. इससे पर्यटन, परिवहन और लॉजिस्टिक्स, स्वास्थ्य सेवा, आईटी और खुदरा जैसे प्रमुख उद्योगों को भी लाभ मिलने की उम्मीद है.
महाकुंभ में 2 लाख करोड़ रुपये की आर्थिक गतिविधि
अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ (CAIT) के अनुसार, इस आयोजन से 2 लाख करोड़ रुपये की आर्थिक गतिविधि उत्पन्न होने की उम्मीद है. महाकुंभ से अस्थायी नौकरियों में वृद्धि से औपचारिक और अनौपचारिक दोनों ही रोजगार क्षेत्रों को महत्वपूर्ण बढ़ावा मिल रहा है.
7.72 करोड़ श्रद्धालु लगा चुके हैं डुबकी
श्रद्धालुओं की आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाले खुदरा व्यवसायों से धार्मिक वस्तुओं, स्मृति चिन्हों और स्थानीय उत्पादों की मांग को पूरा करने के लिए जमीनी बिक्री और ग्राहक सहायता कर्मचारियों के लिए लगभग एक लाख नौकरियां पैदा होने की उम्मीद है. अब तक कम से कम 7.72 करोड़ श्रद्धालु विश्व के सबसे बड़े आध्यात्मिक समागम में पवित्र डुबकी लगा चुके हैं.





