महाशिवरात्रि पर महाकुंभ में महास्नान जारी, भक्तिभाव से रोशन हुआ संगम; प्रशासन की क्या है तैयारी?
महाशिवरात्रि पर महाकुंभ का अंतिम स्नान संगम तट पर हो रहा है, जहां करोड़ों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा रहे हैं. विशेष ग्रह योग के कारण इस स्नान का महत्व और बढ़ गया है. प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं, और श्रद्धालुओं के लिए अलग-अलग घाट निर्धारित किए गए हैं.

महाकुंभ मेले का आज छठवां और आखिरी स्नान है. 45 दिनों तक चलने वाले इस धार्मिक आयोजन का समापन महाशिवरात्रि पर संगम में अंतिम डुबकी के साथ हो रहा है. अब तक करीब 64 करोड़ श्रद्धालु प्रयागराज के त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगा चुके हैं. महाशिवरात्रि के इस पावन अवसर पर तड़के सुबह 4 बजे तक 20 लाख से अधिक श्रद्धालु संगम में स्नान कर चुके थे.
ब्रह्म मुहूर्त से ही संगम तट पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है, जहां लोग श्रद्धा और भक्ति के साथ डुबकी लगा रहे हैं. ग्रहों और नक्षत्रों के विशेष संयोग के कारण यह स्नान और भी अधिक शुभ माना जा रहा है. महाशिवरात्रि पर चतुर्ग्रही योग भी बन रहा है, जो इस पर्व की आध्यात्मिक महत्ता को कई गुना बढ़ा देता है.
प्रशासन की क्या है तैयारी?
महाकुंभ के आखिरी स्नान पर्व को लेकर प्रशासन ने भी विशेष तैयारियां की हैं. अनुमान है कि आज करीब 3 करोड़ श्रद्धालु संगम में स्नान करेंगे. सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस और प्रशासन ने सख्त व्यवस्था की है और सभी वरिष्ठ अधिकारी ग्राउंड जीरो पर मौजूद हैं. इसके अलावा, मेला क्षेत्र और प्रमुख शिवालयों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है, जिससे किसी भी तरह की अव्यवस्था न हो.
किस घाट पर स्नान करेंगे श्रद्धालु?
श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पुलिस प्रशासन ने विशेष योजना तैयार की है, जिससे वे नजदीकी घाटों पर स्नान कर सकें. विभिन्न दिशाओं से आने वाले भक्तों के लिए अलग-अलग घाट निर्धारित किए गए हैं. दक्षिणी झूंसी से आने वाले श्रद्धालु ऐरावत घाट, उत्तरी झूंसी से आने वाले हरिशचंद्र घाट और ओल्ड जीटी घाट पर स्नान करेंगे. इसी तरह, परेड क्षेत्र और अरैल क्षेत्र के श्रद्धालुओं के लिए भी स्नान घाट तय किए गए हैं.
इसके अलावा, पांटून पुलों का संचालन भीड़ के दबाव के अनुसार किया जाएगा. प्रशासन इस बात का विशेष ध्यान रख रहा है कि किसी भी श्रद्धालु को असुविधा न हो और सभी सुरक्षित रूप से अपने स्नान और पूजा-अर्चना कर सकें. महाशिवरात्रि पर उमड़ी यह भीड़ आस्था और भक्ति की अद्भुत झलक पेश कर रही है, जिससे संगम तट दिव्यता और पवित्रता से भर गया है.