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राजनाथ मैंगो चखा क्‍या आपने? नाम रखने के पीछे का किस्‍सा सुन आप भी कहेंगे वाह...

पद्मश्री हाजी कलीम उल्लाह खान ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को समर्पित करते हुए आम की एक नई किस्म विकसित की है, जिसे ‘राजनाथ मैंगो’ नाम दिया गया है. यह आम ऑपरेशन सिंदूर से प्रेरित है और 8 साल की मेहनत से फला है. लखनऊ से रिश्ते और राष्ट्रभक्ति की भावना को जोड़ती यह पहल कृषि नवाचार और साहस का अनोखा संगम है.

राजनाथ मैंगो चखा क्‍या आपने? नाम रखने के पीछे का किस्‍सा सुन आप भी कहेंगे वाह...
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नवनीत कुमार
Curated By: नवनीत कुमार

Published on: 4 Jun 2025 11:37 AM

मशहूर 'मैंगो मैन' और पद्मश्री सम्मानित हाजी कलीम उल्लाह खान ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को समर्पित करते हुए आम की एक नई किस्म विकसित की है, जिसे उन्होंने ‘राजनाथ मैंगो’ नाम दिया है. इस नामकरण की प्रेरणा उन्हें ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से मिली. एक ऐसा सैन्य अभियान जिसमें भारतीय सेना ने पहलगाम आतंकी हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया था.

हाजी कलीम उल्लाह का कहना है कि उन्होंने इस आम की लंबाई और बनावट को राजनाथ सिंह के व्यक्तित्व से जोड़ा है. उनका कहना है कि जैसे यह आम लंबा और विशिष्ट है, वैसे ही राजनाथ सिंह एक कद्दावर और सौम्य व्यक्तित्व के धनी हैं. यही कारण है कि जब आम ने आकार लिया, तो उन्होंने इसे रक्षा मंत्री के नाम से जोड़ने का निश्चय किया.

8 साल की मेहनत, 700 ग्राम का पहला फल

यह आम 7-8 साल की लंबी प्रक्रिया के बाद पहली बार फला है. फल का आकार लगभग 10 इंच लंबा और वजन करीब 700 ग्राम है. देखने में बेहद आकर्षक यह आम फिलहाल पकने की प्रक्रिया में है, लेकिन इसके स्वाद को लेकर हाजी कलीम उल्लाह पूरी तरह आश्वस्त हैं. उनका दावा है कि यह भी उनके अन्य प्रयोगात्मक फलों की तरह विशिष्ट होगा.

लखनऊ और आम दोनों के साथ रिश्ता

राजनाथ सिंह खुद लखनऊ से सांसद हैं और मलीहाबाद उसी क्षेत्र का हिस्सा है, जो आम की खेती के लिए देशभर में जाना जाता है. यह प्रतीकात्मक समर्पण न केवल एक राजनेता के साहसिक निर्णयों का सम्मान है, बल्कि क्षेत्रीय पहचान और कृषि नवाचार का मिलन भी है. यही वजह है कि इस आम को देखने आने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है.

आम से राष्ट्रभक्ति तक: अनोखा संदेश

यह नामकरण केवल सम्मान नहीं, बल्कि एक विचार है. कैसे फल, फसल और धरती से जुड़ा एक किसान अपने तरीके से राष्ट्र के सिपाही को श्रद्धांजलि देता है. ऑपरेशन सिंदूर जैसी सैन्य कार्रवाइयों की प्रेरणा को कृषि में शामिल कर हाजी कलीम उल्लाह ने दिखा दिया कि देशभक्ति केवल वर्दी में नहीं होती, बल्कि मिट्टी में भी जड़ें रखती है.

मैंगो मैन की परंपरा और विरासत

हाजी कलीम उल्लाह खान आम की खेती में प्रयोगों के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं. एक ही पेड़ पर सैकड़ों किस्में उगाने की उनकी कला पहले ही चर्चा का विषय रही है. अब ‘राजनाथ मैंगो’ उस विरासत की अगली कड़ी है, जो स्वाद और साहस दोनों को साथ लेकर चलती है. जैसे यह आम दुनिया भर में पहचाना जाएगा, वैसे ही उसका नाम भी भारत की एक सैन्य जीत से जुड़ा रहेगा.

मैंगो नाम कैसे पड़ा?

आम की सैकड़ों किस्में होती हैं, जिनमें कुछ मलाईदार और मीठी, कुछ खट्टी, कुछ तीखी तो कुछ अनानास जैसी होती हैं, जबकि सुपरमार्केट में मिलने वाली किस्में अक्सर बेस्वाद लगती हैं. मीठे स्वाद के लिए अल्फांसो जैसी किस्में आदर्श मानी जाती हैं. आम न केवल भारत, पाकिस्तान और फिलीपींस का राष्ट्रीय फल है, बल्कि बांग्लादेश का राष्ट्रीय वृक्ष भी है. अंग्रेजी शब्द 'मैंगो' की उत्पत्ति तमिल के 'मनके' या केरल के 'मैंगा' शब्द से मानी जाती है, जिसे पहले पुर्तगालियों ने 'मंगा' कहा और फिर 15वीं-16वीं शताब्दी में अंग्रेजों ने इसे 'मैंगो' बना दिया.

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