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इश्क में सब जायज़! सोनू बना सोनिया, प्रेम कुमार से शादी रचाकर गांव में किया समलैंगिक विवाह

इश्क और जंग में सब जायज है. यह कहावत ऐसे ही नहीं कही गई है. उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में भी कुछ ऐसा ही हुआ है, जहां के रहने वाले सोनू ने अपना जेंडर बदलवाकर प्रेम से शादी रचाई. इस खबर से पूरे गांव में हड़कंप मचा हुआ है.

इश्क में सब जायज़! सोनू बना सोनिया, प्रेम कुमार से शादी रचाकर गांव में किया समलैंगिक विवाह
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( Image Source:  Instagram-statemirrornews )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 24 Jun 2025 3:46 PM IST

उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के नेबुआ नौरंगिया थाना क्षेत्र के खैरटिया गांव के मंदिर में शिवलिंग के सामने दो प्रेमियों ने कुछ ऐसा किया, जो इस इलाके में पहले कभी नहीं देखा गया था. यह कोई सामान्य विवाह नहीं था. जहां समलैंगिक जोड़े ने रीति-रिवाज से शादी रचाई और सात जन्मों तक साथ रहने की कसमें खाई.

इस प्यार को शादी में बदलने के लिए सोनू सोनिया बना और फिर सामाजिक बेड़ियों को तोड़ा. हालांकि, इस खबर के फैलते ही गांव में भूचाल आ गया. लोगों ने इस शादी का विरोध किया.

सोनू से बना सोनिया

कहानी की शुरुआत सोनू से होती है. समय के साथ उसने साहसिक कदम उठाया और लिंग परिवर्तन (जेंडर ट्रांजिशन) करवा कर 'सोनिया' बन गया. इस बदलाव के पीछे सिर्फ प्रेम कारण था. सोनिया अपने प्रेमी ‘प्रेम’ के साथ एक नई जिंदगी शुरू करना चाहती थी.

शिव मंदिर में लिए सात फेरे

सोनिया और प्रेम ने समाज की दकियानूसी सोच को नजरअंदाज करते हुए खैरटिया गांव के प्राचीन शिव मंदिर में विवाह रचाया. विधिवत पूजा-पाठ, मंत्रोच्चार और सात फेरों के साथ इस समलैंगिक जोड़े ने एक-दूसरे के साथ जीने-मरने की कसमें खाईं. मंदिर परिसर में हुए इस विवाह का वीडियो जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, गांव में चर्चा का तूफान उठ खड़ा हुआ.

गांव में मचा हड़कंप

वीडियो के वायरल होते ही गांव में भूचाल आ गया. कुछ लोग इस विवाह को खुले दिल से स्वीकार न कर सके. परंपरा, सामाजिक मर्यादा और संस्कृति के नाम पर कई गांववालों ने इस रिश्ते का विरोध करना शुरू कर दिया. माहौल तनावपूर्ण हो गया और धीरे-धीरे स्थिति इतनी बिगड़ गई कि सोनिया और प्रेम को गांव छोड़कर भागना पड़ा.

प्रेम की लड़ाई और समाज का दोहरा मापदंड

यह घटना सिर्फ एक विवाह की नहीं, बल्कि उस सामाजिक रवैये की भी कहानी है, जो अब भी LGBTQ+ रिश्तों को सहजता से स्वीकारने को तैयार नहीं है, खासकर ग्रामीण भारत में. शहरों में भले ही बदलाव की बयार बह रही हो, लेकिन छोटे गांवों में आज भी प्रेम की परिभाषा लिंग और परंपरा के पुराने खांचों में कैद है.

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