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हरिहर मंदिर या बाबरी मस्जिद! कल्कि यहीं लेंगे अवतार? बाबर ने 1529 में मंदिर तोड़कर बनवाई थी मस्जिद

महंत ऋषिराज गिरी की तरफ से अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कोर्ट में याचिका डाली थी, जिसके बाद कोर्ट ने सर्वे का आदेश दिया है. याचिक में दावा किया गया था कि डाकखाना रोड पर स्थित यह शाही जामा मस्जिद नहीं, बल्कि हरिहर मंदिर था. 1529 में बाबर ने इसे तोड़कर मस्जिद बना दिया. यहीं पर कल्कि भगवान अवतार लेंगे.

हरिहर मंदिर या बाबरी मस्जिद! कल्कि यहीं लेंगे अवतार? बाबर ने 1529 में मंदिर तोड़कर बनवाई थी मस्जिद
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( Image Source:  X/ansarimransr )
नवनीत कुमार
Curated By: नवनीत कुमार

Updated on: 20 Nov 2024 2:30 PM IST

संभल की शाही मस्जिद को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. इसके हरिहर मंदिर होने का दावा किया गया है. इसे लेकर हिंदू पक्ष ने कोर्ट में याचिका दायर की थी. मंगलवार को कोर्ट के आदेश के बाद मस्जिद का सर्वे किया गया. सर्वे के समय क्षेत्र को छावनी में तब्दील कर दिया गया. इसे लेकर मुस्लिम पक्ष लगातार विरोध करता नजर आ रहा है.

सर्वे के दौरान पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी करवाई गई. इस दौरान माहौल काफी तनावपूर्ण हो गया. मुस्लिम पक्ष ने याचिकाकर्ता को मस्जिद में जाने से रोक दिया. इसके बाद जुटी भीड़ ने काफी नारेबाजी की.

भगवान कल्कि रूप में लेंगे अवतार

महंत ऋषिराज गिरी की तरफ से अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कोर्ट में याचिका डाली थी, जिसके बाद कोर्ट ने सर्वे का आदेश दिया है. याचिक में दावा किया गया था कि डाकखाना रोड पर स्थित यह शाही जामा मस्जिद नहीं, बल्कि हरिहर मंदिर था. 1529 में बाबर ने इसे तोड़कर मस्जिद बना दिया. यहीं पर कल्कि भगवान अवतार लेंगे.

क्या है मंदिर का इतिहास?

बताया जाता है कि यहां पर हरिहर यानी भगवान विष्णु और शिव का मंदिर था. 1528 में बाबर ने इस मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण करावाया था. अब इसे अदालत के निर्देश पर सर्वेक्षण के जरिए प्रमाणित करने की कोशिश की जाएगी. वकील विष्णु शंकर जैन ने दावा किया है कि यह स्थान धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण था, क्योंकि इसे हरि हर मंदिर और कल्कि अवतार से जोड़ा गया है.

वहीं, संभल की जामा मस्जिद को बाबरी मस्जिद के नाम से भी जाना जाता है. इसे मुगलकालीन वास्तुकला का बेहतरीन उदहारण भी माना जाता है. बताया जाता है कि इसका निर्माण मीर बेग ने करवाया था. इस ऐतिहासिक मस्जिद का निर्माण बाबर के शासनकाल में हुआ था और यह संभल के सबसे पुराने स्मारकों में से एक है.

काशी-मथुरा के बाद एक और विवाद

यह विवाद काशी और मथुरा के बाद तीसरा प्रमुख मामला बन गया है, जहां मस्जिद के स्थान पर मंदिर होने का दावा किया जा रहा है. ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा का श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद पहले से ही चर्चाओं में रहे हैं. अब संभल का यह मामला भी इन विवादों की श्रेणी में जुड़ गया है और देशभर में सुर्खियां बटोर रहा है.

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

संभल को हिंदू मान्यताओं में कल्कि अवतार की जन्मभूमि माना जाता है. यह स्थान प्राचीन काल से धार्मिक आस्था का केंद्र रहा है. याचिकाकर्ता का कहना है कि इस स्थान की ऐतिहासिक और धार्मिक पहचान को फिर से स्थापित करने की आवश्यक है.

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