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लड़की के ब्रेस्ट पकड़ना और पायजामे का नाड़ा तोड़ना रेप की कोशिश नहीं; HC ने क्यों की ये टिप्पणी?

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि किसी लड़की के स्तनों को पकड़ना और उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ना बलात्कार के प्रयास के दायरे में नहीं आता. अदालत ने कहा कि "तैयारी" और "वास्तविक प्रयास" में अंतर होता है, और इस मामले में अपराध सिर्फ तैयारी के चरण तक सीमित था.

लड़की के ब्रेस्ट पकड़ना और पायजामे का नाड़ा तोड़ना रेप की कोशिश नहीं; HC ने क्यों की ये टिप्पणी?
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सागर द्विवेदी
Edited By: सागर द्विवेदी

Updated on: 19 March 2025 10:12 PM IST

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक हैरान कर देने वाला फैसला सुनाया है अपने हालिया फैसले में स्पष्ट किया कि किसी लड़की के स्तनों को पकड़ना, उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ना और उसे पुलिया के नीचे खींचने का प्रयास करना, आरोपी पर बलात्कार या बलात्कार के प्रयास का आरोप लगाने के लिए पर्याप्त नहीं है. अदालत ने 'तैयारी के चरण' और 'वास्तविक प्रयास' के बीच अंतर को रेखांकित किया और कहा कि इस मामले में अभियोजन पक्ष यह साबित करने में विफल रहा कि अपराध की योजना 'तैयारी' से आगे बढ़कर "वास्तविक प्रयास" की श्रेणी में आती है.

मूल रूप से, ट्रायल कोर्ट ने आरोपी पवन और आकाश के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार) और पोक्सो अधिनियम की धारा 18 (अपराध का प्रयास) के तहत मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया था. लेकिन हाईकोर्ट ने आदेश में संशोधन करते हुए कहा कि इन आरोपों के बजाय, आईपीसी की धारा 354-बी (महिला को निर्वस्त्र करने का प्रयास) और पोक्सो अधिनियम की धारा 9/10 (गंभीर यौन हमला) के तहत मुकदमा चलाया जाएगा.

समझें पूरा मामला...

अभियोजन पक्ष के अनुसार, आरोपियों पवन और आकाश ने 11 वर्षीय पीड़िता के स्तनों को पकड़ लिया, जबकि आकाश ने उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ दिया और उसे पुलिया के नीचे खींचने का प्रयास किया. हालांकि, राहगीरों के हस्तक्षेप के कारण आरोपी मौके से भाग गए. ट्रायल कोर्ट ने इस मामले को बलात्कार के प्रयास के रूप में वर्गीकृत करते हुए पोक्सो अधिनियम की धारा 18 और आईपीसी की धारा 376 लागू की थी, जिसे आरोपी पक्ष ने हाईकोर्ट में चुनौती दी.

हाईकोर्ट की टिप्पणी

न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की पीठ ने अभियोजन पक्ष की दलीलों की समीक्षा के बाद कहा कि रिकॉर्ड में ऐसा कोई ठोस साक्ष्य नहीं है जिससे यह साबित हो कि आरोपी वास्तव में पीड़िता के साथ बलात्कार करने के इरादे से आगे बढ़े थे.

क्या कहा कोर्ट ने?

'बलात्कार के प्रयास के आरोप के लिए यह साबित करना होगा कि यह केवल तैयारी नहीं थी, बल्कि अपराध को अंजाम देने की ठोस कोशिश की गई थी, यह स्पष्ट नहीं है कि आरोपी आकाश ने नाड़ा तोड़ने के बाद पीड़िता को निर्वस्त्र करने का प्रयास किया या नहीं. गवाहों ने यह भी नहीं कहा कि इस घटना के कारण पीड़िता के कपड़े पूरी तरह उतर गए या आरोपी ने उसे नग्न करने का प्रयास किया.

इन टिप्पणियों को ध्यान में रखते हुए, हाईकोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को संशोधित कर दिया और निर्देश दिया कि आरोपियों पर अब आईपीसी की धारा 354 (बी) और पोक्सो अधिनियम की धारा 9/10 के तहत मुकदमा चलाया जाए. हाईकोर्ट ने बलात्कार के प्रयास (धारा 376 और पोक्सो धारा 18) के आरोप हटाए. महिला को निर्वस्त्र करने का प्रयास (धारा 354-बी) और गंभीर यौन हमला (पोक्सो धारा 9/10) के तहत मुकदमा चलेगा.अदालत ने इस मामले में "तैयारी" और "वास्तविक प्रयास" का कानूनी अंतर स्पष्ट किया.

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